नागौर - शबीक अहमद उस्मानी
राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक शख्स की वजह से चर्चा में बानी हुई एक सीट है डीडवाना सीट। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के खास सिपहसालार रहे यूनुस खान इसी सीट से भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। नागौर जिले से अलग होकर बने डीडवाना-कुचामन जिले की डीडवाना विधान सभा क्षेत्र से पिछले 56 सालों में कोई भी लगातार विधायकी रिपीट नहीं कर पाया है। क्षेत्र का सियासी समीकरण पूर्व मंत्री यूनुस खान का भाजपा से बगावत कर निर्दलीय मैदान में आ जाने के बाद बदल गया है। कांग्रेस प्रत्याशी चेतन डूडी यहां से मौजूदा विधायक है लेकिन ऐसे में सवाल है क्या डूडी ये करिश्मा कर पाएंगे और पिछले 56 साल से चला आ रहा सिलसिला तोड़ पाएंगे।
राजस्थान के पांचवें सबसे बड़े जिले यानी नागौर से अलग होकर सूबे के भूगोल पर नए जिले के रूप में उभरने वाले डीडवाना की विधानसभा सीट इस बार हॉट सीट मानी जा रही है और इस सीट पर परिणाम क्या होगा इस पर सबकी नजर टिक गई है। डीडवाना विधानसभा से जुड़ा सबसे रोचक तथ्य ये है की यहां साल 1967 के चुनाव के बाद कोई प्रत्याशी लगातार दूसरी बार चुनाव नही जीत पाया है। जहां कांग्रेस ने एक बार फिर चेतन डूडी पर भरोसा जताया है तो भाजपा ने भी पूर्व में प्रत्याशी रहे जीतेंद्र सिंह जोधा को उम्मीदवार बनाया है।टिकट नहीं मिलने पर पूर्व मंत्री यूनुस खान ने भाजपा से बागी होकर निर्दलीय ताल ठोक दी है। ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबले में वर्तमान विधायक चेतन डूडी के लिए विधायकी रिपीट करना सबसे बड़ी चुनौती है।जहां यूनुस खान इस चुनाव को डीडवाना के स्वाभिमान का प्रश्न बताते हुए कहते हैं कि चूँकि वे दस वर्षों तक इस इलाके का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं सो उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे कांग्रेस के कुशासन से डीडवाना को मुक्ति दिलाकर विकास की नई गाथा रचें। वे अपने मंत्रित्व काल की विकास यात्रा का उदाहरण भी देने से नहीं चूकते। वहीं भाजपा प्रत्याशी खुद की जीत का दावा करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के द्वारा क्षेत्र में विकास का बड़ा गर्क करने का आरोप लगाते हैं। जीतेन्द्र सिंह जोधा ने कहा कि उन्हें पक्का यकीन हैं कि क्षेत्र की जनता उन्हें प्रचंड वोटों से जिताएगी।डीडवाना विधानसभा सीट के इतिहास की बात करे तो इस सीट पर अब तक हुए 15 विधानसभा चुनाव में 9 अलग-अलग व्यक्ति चुनकर विधानसभा पहुंचे। इनमें मथुरादास माथुर, उम्मेद सिंह राठौड़ और यूनुस खान अलग-अलग सरकारों में मंत्री भी रहे।। इनमें सबसे पहले नाम मथुरादास माथुर का आता है जो डीडवाना के पहले विधायक भी बने और राज्य स्तर के नेता बने। वहीं इसके बाद मोती लाल चौधरी, भोमाराम, उम्मेद सिंह राठौड़, चेनाराम, भंवर राम, रूपाराम डूडी, यूनुस खान और चेतन डूडी यहां से विधायक के रूप में विधानसभा पहुंचे । सबसे खास बात यह भी रही कि 1962 में मोतीलाल के बाद कोई भी नेता अपनी विधायकी लगातार रिपीट करने में कामयाब नहीं हो सका।
भले ही भाजपा के जीतेंद्र सिंह और निर्दलीय यूनुस खान ,चेतन डूडी के कार्यकाल के बारे में कुछ भी कहे लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी चेतन डूडी अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को खारिज करते हुए डीडवाना में कांग्रेस की जीत और सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे है। इसके लिए डूडी अपनी उपलब्धियों में लम्बे समय से मांग के अनुररोप डीडवाना-कुचामन का जिला बनना व डीडवाना का जिला मुख्यालय बनना, जिला अस्पताल बनना तथा बिजली के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम होना गिनाते हैं।नया जिला बनने से डीडवाना क्षेत्र के सियासी समीकरण भी बदल गए हैं। जिसका असर 2023 के विधानसभा चुनाव में देखने को निश्चित तौर पर मिलेगा। देखने वाली बात ये होगी की क्या जिला बनाने के श्रेय के साथ पांच साल में कराए गए विकास कार्यों के दम पर चेतन डूडी ,डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में पिछले 56 साल में विधायकी रिपीट ना होने के सिलसिले को तोड़ कर लगातार दूसरी बार विधायक बन पाएंगे या फिर विधायकी रिपीट नही होने की ये परंपरा कायम रहेगी।
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