प्रवीण दत्ता
दीपावली की राम राम सा। दीपावली के दीपों और मिठाइयों छोड़कर फिर से खबरों की छांव में पहुंच चुका हूँ। 25 साल की आदत है कि इसी कोलाहल में सुकून मिलता है।
आज सुबह जयपुर के विद्याधर नगर विधानसभा क्षेत्र का सघन दौरा कर यह जानने की कोशिश की कि अब तक कांग्रेस-भाजपा ने जो भी वार-पलटवार किए हैं और अपने-अपने जो उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं उनका फिलहाल क्या हाल है। साथ ही ये जानने का प्रयास किया कि स्थानीय स्तर पर दोनों प्रमुख पार्टियां परम्परिक प्रचार के अलावा चुनावी शतरंज में कौन कौन सी चाल चल रही हैं।
भाजपा ने जैसे ही राजसमंद सांसद और जयपुर के पूर्व राज घराने की 'चश्मों-चिराग' दिया कुमारी को इस इलाके से टिकट दिया तो जो पहली आवाज आई थी वो भाजपा के सिटिंग विधायक नरपत सिंह राजवी की थी। राजवी ने दिया कुमारी को महाराणा प्रताप के खिलाफ मुगलों का साथ वाले राज परिवार का बताया था। बाद में राजवी चित्तौड़गढ़ शिफ्ट करके चुप करा दिए गए पर अब भी कुछ राजपूत परिवार हैं जो इस बात की गाँठ बांधे बैठे हैं। व्यक्तिगत बातचीत में ऐसे ही पारम्परिक भाजपा के वोटर राजपूत मतदाता ने कहा कि वे और उनका परिवार नरपत सिंह राजवी को उनके भैरों सिंह शेखावत के दामाद होने के कारण वोट देते थे लेकिन अब कहानी दूसरी है। सेंट्रल स्पाइन में रहने वाले और नाहरगढ़ रोड पर प्लाईवुड का बिजनेस करने वाले XXXXX जैन ने कहा कि कांग्रेस के सीताराम अग्रवाल स्थानीय हैं और पकड़ में आने वाले व्यक्ति हैं। अब "दिया मैडम" को या तो उनके हमारे इलाके में आने पर मिल पाएंगे या सिटी पैलेस और सिविल लाइन्स के चक्कर काटने पड़ेंगे सो उनका वोट 'वोकल फॉर लोकल' को।इलाके में आरएससएस के कार्यकर्ता पूरी तल्लीनता से भाजपा का प्रचार करते मिले जिसका ख़ासा असर भी दिखा। संघ के कार्यकर्त्ता घर-घर जाने के अलावा सुबह सवेरे ही लोगों से पार्कों और मॉर्निंग वॉक तथा राम रामी के बहाने भी मतदाताओं से आत्मीयता दिखाते नजर आए। भाजपा के कार्यकर्त्ता इस इलाके में यह बात अंदर ही अंदर प्रचारित कर रहे हैं कि विद्याधर नगर के लोग सिर्फ MLA नहीं बल्कि राज्य का मुख्यमंत्री चुन रहे हैं और इस बात का थोड़ा असर भी दिखाई दिया।
वहीं वैश्य समाज का एक बड़ा तबका भाजपा के अशोक लाहौटी के टिकट काटने से साफ़ तौर पर नाराज है। ये लोग अपनी नाराजगी खुलकर तो नहीं बताते लेकिन मुरलीपुरा में सुनार की दुकान चलाने वाले एक सज्जन ने बताया कि वैश्य समाज के कुछ लोग घर-घर जाकर समाज के लोगों को हाथ में पानी देकर सौगंध खिला रहे हैं - 'वैश्य का वोट वैश्य को'। यह जानते हुए भी कि चुनावों में जात-बिरादरी का बोलबाला रहता है यह बात जानकार आश्चर्य हुआ कि राजस्थान की राजधानी में पढ़े लिखे और संपन्न वोटरों में भी जाति एक बड़ा मुद्दा है।
इस इलाके में कांग्रेस की एक गारंटी को छोड़कर किसी गारंटी का असर नहीं है। यहां चिरंजीवी योजना की तारीफ करने वाले कई लोग मिले हालांकि उनको 100 यूनिट फ्री बिजली और 500 के सिलेंडर जैसी योजना का कोई लाभ नहीं मिला बताया। CM गहलोत की बुराई करता कोई नहीं मिला अलबत्ता बांदीकुई के मूल निवासी एक मतदाता ने ,जो इसी इलाके में चाय की थड़ी चलाता है, गहलोत-पायलट प्रकरण को लेकर थोड़ी नाराजगी व्यक्त की।
4-5 लोग सनातनी मुद्रा में मिले और वे हिन्दू धर्म को बचाने के लिए अपना वोट देंगे। इन लोगों ने और किसी मुद्दे पर बात ही करने से मना कर दिया।
विद्याधर में लगभग सभी मध्यम वर्गीय मतदाताओं, जिनमें पुरुष और महिला दोनों शामिल है, महंगाई को लेकर मोदी सरकार को कोसा।
चूंकि असल प्रचार तो अब गति पकड़ेगा सो इस रिपोर्ट को राजकाज के पाठक अंतिम ना माने।
शेष फिर।
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