क्या आप जानते हैं कि आपका हृदय आपके जन्म के पहले से ही धड़कना प्रारंभ कर देता है और आखिरी सांस तक साथ देता है। कई बार तो व्यक्ति गहन मूर्छा में होता है पर हृदय इस उम्मीद में धड़कता रहता है कि कभी तो आंखें खुलेंगी, कभी तो तृंद्रा भंग होगी। हृदय की उम्मीद की डोर बहुत लंबी होती है। सामान्यतया यह एक दिन में 100,000 बार धड़कता है और औसत जीवनकाल में 260 करोड़ बार से अधिक धड़कने की क्षमता रखता है। इसकी हर धड़कन के साथ इसके वाल्व खुलते बंद होते हैं जिसके फलस्वरूप लब डप लब डप की ध्वनि पैदा होती है जिसे स्टेथेस्कोप द्वारा आसानी से सुना जा सकता है। मानव हृदय हर मिनिट 5.7 लीटर रक्त को पंप करता है। इस हिसाब से एक वर्ष से कुछ कम समय में हृदय इतना रक्त प्रवाह करता है जितना एक ओलंपिक स्विमिंग पूल में पानी होता है। हृदय जिसका आकार दोनों बंधे हाथों जितना होता है और जिसके वाल्व 1-1.4 इंच के बीच होते हैं वह प्रतिपल कार्यरत रह कर यह चमत्कार अंजाम देता है।
प्रकृति ने हृदय और फेफड़ों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के वास्ते लचीली पसलियों का निर्माण किया है ताकि रोजाना की गतिविधियों से इन दोनों अतिविशिष्ट अंगों को कोई हानि नहीं पहुंचे। चूंकि हृदय कुछ अपवादों को छोड़ कर छाती के बाएं हिस्से में होता है तो बायां फेफड़ा दाएं से कुछ छोटा होता है। हृदय का वजन व्यक्ति की लंबाई, छाती की चौड़ाई और अनुवांशिकता के हिसाब से 200 ग्राम से 425 ग्राम के बीच होता है। पुरुष हृदय नारी हृदय से 50-60 ग्राम ज्यादा वजनी होता है। नीली व्हेल मछली का हृदय 450 किलो के आसपास होता है और इसकी मुख्य धमनी में एक सामान्य पतला आदमी आराम से रेंग कर चल सकता है। इसके विपरीत फेयरी मक्खी का हृदय इतना सूक्ष्म होता है कि उसकी धड़कन मात्र को देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी ( माइक्रोस्कोप ) की आवश्यकता पड़ती है।
हृदय का अपना स्वतंत्र विद्युत प्रवाह तंत्र होता है इसलिए इसे यदि शरीर से बाहर निकाल कर रख दिया जाए तो भी यह लगातार धड़क सकता है बशर्ते इसको रक्त मिलता रहे। हृदय एक बड़े सामंजस्य से चलनेवाली मशीन को तरह होता है जिसमें दायां वेंट्रिकल अशुद्ध रक्त को फेफड़े में भेजता है जहां यह रक्त ऑक्सीजन से मालामाल हो बाएं वेंट्रीकल में आता जो इसे शरीर की हर एक कोशिका में भेजता है सिवाय आंखों की कॉर्निया या कुछ विशिष्ट टिश्यू जिसके कारण ये सफेद रंग के होते हैं। हृदय कोई 96,000 किलोमीटर के रक्त संचार तंत्र में रक्त प्रवाह करता है जो धरती की गोलाई का दुगना होता है। हृदय की हर धड़कन के साथ चार बड़ी चम्मच ( टेबलस्पून) जितना रक्त धमनियों में प्रवाहित होता है
यह एक कष्ट की बात है कि इतने विशिष्ट अंग की हम सही से देखभाल नहीं करते है जिसके
फलस्वरूप हृदय रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हो गए हैं। बेहतरीन जीवनशैली
से हृदय रोगों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है बस इच्छा शक्ति की जरूरत है।
देखा गया है कि रविवार की शाम और रात्रि की अनियंत्रित जीवनशैली से सोमवार को सर्वाधिक
हार्ट अटैक होते हैं। छुट्टियों के दिनों में भी इसकी प्रतिशत अधिक होती है। उन्मुक्त
और निश्चल हंसी हार्ट अटैक रोकने में सहायक होती है। एक अन्य बात भी याद रखनी चाहिए
कि दिल से पुरुष एवम् नारी का प्यार नहीं होता है यह सब मस्तिष्क का खेल है। दिल तो
बस अपनी धड़कन बढ़ा लेता है परंतु प्रेम तो शत प्रतिशत मस्तिष्क का ही खेल है। लेकिन
प्रेम की असफलता हृदय को बड़ा नुकसान पहुंचाती है जिसके फलस्वरूप हृदय कमजोर पड़ सकता
है। चूंकि हृदय की कोशिकाओं का विभाजन युवावस्था के आते ही बंद हो जाता इसलिए हृदय
का कैंसर एक अति असामान्य घटना होती है।
ऐसे हृदय को हम अपनी जीवनशैली से इतना बिगाड़ लेते हैं की आज के समयकाल में कितने ही
युवा लोग हृदयाघात के शिकार हो जाते हैं। हृदय को स्वस्थ रखना हमारा सर्वप्रथम कार्य
होना चाहिए। इसके लिए हमें हमारे रक्तचाप एवम् कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना होता
है। ये दोनों उद्देश्य नियमित तथा क्रियाशील जीवन तथा जहां आवश्यकता हो वहां दवा का
उपयोग करने से प्राप्त किए जा सकते हैं।
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