फली एक ऐसा भोज्य पदार्थ है जो अति गुणकारी होने के बावजूद उचित सम्मान नहीं पा सका। इस कम सम्मान प्राप्ति के पीछे मानव मनोविज्ञान के लिए एक अच्छा अध्ययन का विषय है। सर्व प्रथम जो बात सामने आती है वह है कि फलियां जब लगती हैं तो गुच्छों में बहुतायत से लगती है। चूंकि वाचाल मानव मन आसानी से और बहुतायत में उपलब्ध वस्तु से विरक्त सा रहता है तो फलियां अधिकतर लोगों के लिए बहुत प्रिय भोजन नहीं रहा है। दूसरे, फलियां टमाटर, गोभी, ब्रोकोली, शिमला मिर्च आदि की तरह दिखने में आकर्षक नहीं होती और न ही पकाने में इतनी आसान तो ये बहुत से लोगों का प्राथमिक भोजन भी नहीं होती है। परंतु वैज्ञानिक अध्ययन कुछ और ही बातें बताते हैं जिनको जानना शायद काफी हितकारी हो सकता है। माना कि फलियां " सुपर फूड " नहीं गिनी जाती पर गुणकारी होने में कम भी नहीं है।फलियां अधिकतर हरे रंग की होती हैं परंतु पीली और बैंगनी रंग की फलियां भी पाई जाती हैं। फलियों में कैलोरी और फाइबर तो होते हैं पर ये चर्बीमुक्त होती हैं। इसके अलावा इनमें विटामिन के, सी, फोलेट ( बी 9 ) , लोह तत्व और पोटेशियम पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। चूंकि फलियों में फाइबर ( रेशा ) पर्याप्त मात्रा में होता है इसलिए ये आंतों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं और कब्ज नामक रोग से मुक्त रखती हैं। रेशे युक्त भोजन शरीर के वजन को भी नियंत्रित रखता है। यदि आपके भोजन में रेशा कम होगा तो ऐसा भोजन बहुत जल्द पच जायेगा जिसके फलस्वरूप आपका रक्त शर्करा स्तर ( ब्लड शुगर लेवल) तेजी से ऊपर जायेगा पर थोड़ी ही देर में वह वापस गिर जायेगा क्योंकि रक्त में घुलनशील रेशा नहीं होने से शक्कर तुरंत काम में आ जाएगी या लिवर उसे फैट में बदल देगा। तुरंत शुगर गिरने और पेट खाली होने पर आपको दुबारा शीघ्र ही भूख लगेगी। इस तरह अधिक भोजन से आपका वजन, डायबिटीज और रक्तचाप बढ़ जायेगा। फाइबर आपके भोजन से तत्वों को धीमे से अवशोषण करने देता है, पेट के भरे होने का लंबे समय तक अहसास बनाए रखता है, रक्त में शक्कर के स्तर को तेजी से नहीं बढ़ने देता है। इस तरह से रेशे से भरपूर फलियां आपके वजन, डायबिटीज, रक्तचाप और पेट के घेरे को नियंत्रित रखने में सहायक होती हैं बशर्ते आप इनका नियमित सेवन करते रहें।फाइबर की प्रचुरता होने के कारण फलियां आंतों के माइक्रोबायोम को संतुलित और हष्टपुष्ट रखती हैं जिसके फलस्वरूप व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है, बीमार होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं और बीमारी होने की स्थिति में पुनः स्वास्थ्य प्राप्ति आसान हो जाती हैं। हमें हमारी हड्डियों के लिए सिर्फ कैल्शियम ही नहीं चाहिए बल्कि विटामिन डी और विटामिन के बड़े महत्वपूर्ण होते हैं। यह एक व्यापक भ्रम है कि मजबूत हड्डियां प्रचुर मात्रा में कैल्शियम खाने से प्राप्त होती हैं। याद रखिए कि कैल्शियम विभिन्न मिनरल्स में से एक है जिनसे हड्डी बनती है और जरूरत से अधिक कैल्शियम जानलेवा भी हो सकता है। विटामिन के की कमी से हड्डियों की मजबूती कम हो जाती है। यहां पर फलियां आपकी बड़ी सहायक होती हैं।
फलियों का विटामिन सी आपके स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है। फोलेट और पोटेशियम
आपके हृदय के स्वास्थ्य में बड़े सहायक होते हैं, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कम रख
कर हार्ट अटैक से बचाव करते हैं। इस तरह से हम देखते हैं कि फलियों के गुण अनेक होते
हैं पर बहुत लोग फलियों में मनचाहा स्वाद नहीं होने से इनका सेवन कम या फिर नहीं करते
हैं जो किसी भी तरह से अच्छी बात नहीं हो सकती है। भोजन का उद्देश्य जीभ की संतुष्टि
मात्र नहीं है इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी पर दीर्घकाल तक स्वस्थ जीवन का आनंद लेना
होता है। फलियों का उपभोग कीजिए। ताजा फली मिले तो सबसे बेहतर पर फ्रोजन या कैन्ड फलियों
का भी उपयोग किया जा सकता है। फलियां चाहे बेल या पौधे जैसे ग्वार, फ्रेंच बीन्स, लोभिया,
मूंग, मोठ, सेम की हों या फिर पेड़ जैसे सांगरी, सहजन ( मोरिंगा ) या जंगल जलेबी की
हों सबके अपने अपने विशिष्ट फायदे होते हैं। मौसम और समयानुसार सेवन निश्चित तौर पर
आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं रखेगा।
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