जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (एसएमएस) में आज से दो नई स्पेशलिटी विंग की शुरूआत हुई। इन विंग के शुरू होने से छोटे और जन्मजात बच्चे जिनके न्यूरो संबंधी बीमारी है, उनको इलाज के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। न्यूरो सर्जरी विभाग में पीडियाट्रिक न्यूरो सर्जरी व एपिलेप्सी सर्जरी और सेरिब्रोवास्कुलर एंड एण्डोवास्कुलर न्यूरो सर्जरी के नाम से शुरू हुए इस क्लिनिक में दो दिन बुधवार और शनिवार को ओपीडी लगेगी, जिसमें बच्चों के मस्तिष्क और रीड की हड्डी समेत तमाम नसों, मस्तिष्क और न्यूरो संबंधी बीमारियों का इलाज हो सकेगा।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्टा, न्यूरो सर्जरी, हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा, न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. अशोक गुप्ता, न्यूरोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. भावना शर्मा समेत अन्य डॉक्टरों ने इस विंग का शुभारंभ किया। डॉ. अचल शर्मा ने बताया कि पीडियाट्रिक न्यूरो सर्जरी व एपिलेप्सी सर्जरी के लिए बुधवार को और सेरिब्रोवास्कुलर एण्ड एण्डोवास्कुलर न्यूरो सर्जरी से संबंधी मरीजों के लिए शनिवार को ओपीडी संचालित होगी। डॉक्टर शर्मा ने बताया कि हर हॉस्पिटल में हर बीमारी का सुपर स्पेशलिटी विंग या स्पेशल क्लिनिक होना जरूरी है, ताकि मरीज को सही इलाज मिल सके। ये एक इंस्टीटयूशन के लिए भी बेहतर है, ताकि बीमारी का न केवल इलाज होगा बल्कि रिसर्च भी होती है।
नहीं जाना पड़ेगा जेके लोन हॉस्पिटल
न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. अशोक गुप्ता ने बताया कि नई स्पेशलिटी एण्डोवास्कुलर न्यूरो सर्जरी के शुरू होने से ऐसे बच्चे जो जन्मजात या थोड़े बड़े होने के बाद दिमाग संबंधी बीमारी, रीढ़ की हड्डी की खून की नसों में होने वाले समस्या जैसे खून की नसों का गुच्छा होना, खून की नसों में असामान्य फुलाव समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित है। उनको जेके लोन हॉस्पिटल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उनके परिजन उन्हें सीधे एसएमएस लाकर इलाज करवा सकते हैं। ब्रेन हेमरेज वाले मरीजों का भी यहीं इलाज किया जा सकेगा। अभी तक ऐसे बच्चों को पहले जेके लोन जाना पड़ता था और वहां से बाद में रेफर होकर बच्चे यहां आते थे।
दिल्ली या दूसरे बड़े शहरों में जाते हैं इलाज के लिए
सीनियर प्रोफेसर न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की हैड डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि इन स्पेशलिटी क्लिनिक का शुरू करना एक महत्वपूर्ण कदम है। कई बच्चों में जन्म के दौरान हाइपोक्सिया हो जाता है, जिससे उन बच्चों में दौरे की समस्या आनी शुरू हो जाती है। इसके अलावा जेनेटिक बीमारी के कारण बच्चों के शरीर के अंगों का विकास नहीं होता। ऐसे बच्चों को सुपर स्पेशलिटी क्लिनिक में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की देखरेख में इलाज करवाना पड़ता है। वर्तमान में देश के गिने चुने हॉस्पिटल में ही ऐसी सुविधा होती है। अब एसएमएस में भी इसकी शुरुआत हो रही है।
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