राजधानी जयपुर के गणपति प्लॉजा में रोयेरा सिस्टम लॉकर्स में शुक्रवार को तीन जांच एजेंसियों ने कार्रवाई की। सबसे पहले जालुपुरा पुलिस, फिर आयकर विभाग और शाम को ईडी की टीम ने मोर्चा संभाला।
मामला तब शुरू हुआ जब राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने दावा किया कि गणपति प्लाजा के रोयेरा सिस्टम लॉकर्स में 500 करोड़ की ब्लैकमनी है। करोड़ों रुपए का सोना छिपा हुआ है। ये पैसा कई घोटालों से जुड़ा हुआ है। मीणा ने ही तीनों विभागों को सूचना दी बताई। किरोड़ी ने जिन पर आरोप लगाए, उनमें एक उदयपुर से कांग्रेस की टिकट मांग रहा है। वहीं, दूसरी 2018 में विधानसभा चुनाव हार गई थी। वहां जयपुर के एक बड़े मिठाई कारोबारी का भी लॉकर है। जिन्होंने कुछ दिन पहले ही 2 हजार के नोट निकालकर चेंज कराने के बाद 500 रुपए के नोट जमा किए थे।
शुक्रवार को अचानक गणपति प्लाजा पहुंचे राज्यसभा सांसद डाॅ. किरोड़ी लाल मीणा ने सनसनी फैलाते हुए कहा कि यहां रोयेरा सिस्टम लॉकर्स में कांग्रेस नेता दिनेश खोडनिया की ब्लैकमनी है। इसके साथ ही जल जीवन मिशन और डिपार्टमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी (DOIT) राजस्थान से जुड़ा पैसा भी रखा गया है। इनके अलावा कई कांग्रेसियों की ब्लैकमनी इन लॉकर्स में जमा है। मीणा का आरोप था कि डीओआईटी से जुड़े छत्रपाल सिंह उर्फ सीपी का भी लॉकर है। उनके लॉकर में भी करोड़ों रुपए है। उन्होंने हाल ही में नोएड़ा में प्रॉपर्टी खरीदी है। किरोड़ीलाल ने आरोप लगाया कि यहां मौजूद लॉकर्स में 100 संदिग्ध हैं। इन लॉकर्स में 50 किलो गोल्ड और करीब 500 करोड़ रुपए का काला धन है। इन लॉकर्स की जांच होनी चाहिए।
दरअसल, ईडी की टीम ने शुक्रवार सुबह जयपुर सहित प्रदेश में नौ जगह छापेमारी की थी। इनमें दिनेश खोडनिया, अशोक जैन के घर पर भी कार्रवाई की गई। इसके बाद सुबह करीब 11 बजे पहले किराेड़ीलाल मीणा ने प्रेस काॅन्फ्रेंस की। इसके बाद सीधे गणपति प्लाजा पहुंच गए और वहां 2 घंटे तक धरना दिया।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष रह चुके दिनेश खोड़निया मांग रहे उदयपुर से टिकटडॉ.किरोड़ीलाल मीणा ने पेपर लीक घोटाले से जुड़े तीन लोगों पर आरोप लगाए हैं। इनमें सबसे पहला नाम दिनेश खोड़निया का है। दिनेश डूंगरपुर से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी रह चुके है। कांग्रेस पार्टी में 30 साल से ज्यादा समय से सक्रिय हैं। वे उदयपुर में कांग्रेस से टिकट भी मांग रहे हैं। पहले मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष रह चुके हैं। इनका ज्वेलरी और मुंबई में प्रॉपर्टी व होटल का बिजनेस है।
खाेडनिया - अशोक जैन आपस में समधी
किरोड़ीलाल ने अशोक जैन पर भी आरोप लगाया है। वे दिनेश खोड़निया के समधी हैं। दिनेश की बेटी की शादी अशोक जैन के बेटे से हुई है। अशोक जैन पहले पंचायत समिति सांगवाडा में अकाउंटेंट थे। लेखा जोखा विभाग में उन पर गड़बड़ी होने के आरोप लगे थे। तब उन्होंने रिटायरमेंट से तीन महीने पहले ही वीआरएस ले लिया था।
स्पर्धा चौधरी 2018 में RLP से हार गई थी चुनावकिरोड़ी ने स्पर्धा चौधरी पर आरोप लगाया है, वे 2018 में महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। स्पर्धा चौधरी का नाम सुरेश ढाका से जोड़ा जा रहा है। सुरेश ढाका अभी पेपर लीक प्रकरण में फरार है। स्पर्धा चौधरी ने कांग्रेस से विधानसभा चुनावों में टिकट मांगा था। टिकट नहीं मिलने पर स्पर्धा ने RLP जॉइन कर ली थी। 2018 में स्पर्धा चौधरी ने फुलेरा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई थी। सूत्रों का कहना है कि स्पर्धा ने पूर्व RPSC सदस्य और पेपर लीक प्रकरण में फंसे बाबूलाल कटारा से भी कई बार मुलाकात की थी।
एक बड़े मिठाई शॉप मालिक का भी लॉकर
गणपति प्लाजा में रोयेरा सिस्टम लॉकर्स में कई बिल्डरों के साथ-साथ जयपुर शहर के एक बड़े मिठाई कारोबारी का भी लॉकर है। सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले वे लॉकर में रखे दो हजार रुपए के नोट निकालकर ले गए थे। हालांकि ये पता नहीं चला पाया कि 2 हजार रुपए के कितने नोट थे। हाल ही में पांच दिन पहले नोट चेंज कराने के बाद वापस से पांच-पांच सौ रुपए के नोट लॉकर में जमा कराए।
8 साल पहले गणपति लाकर्स से मिला था सोना, तब बदला था नाम
गणपति प्लॉजा में रोयेरा लॉकर्स का नाम पहले गणपति लॉकर्स था। करीब 8 साल पहले इसी कंपनी पर इनकम टैक्स की कार्रवाई हुई थी। यहां पर अजमेर के डेयरी चेयरमैन का भी लॉकर था। लॉकर खोलने पर करोड़ों रुपए का सोना बरामद हुआ था। इतनी मात्रा में सोना मिलने पर जयपुर में हड़कंप मच गया था। बाद में गणपति लॉकर्स से नाम बदल कर रोयेरा सिस्टम लॉकर्स रख दिया गया था। गणपति प्लॉजा के मालिक शैलेंद्र गर्ग हैं। गणपति प्लाजा के ही बेसमेंट में करीब 20 साल पहले गणपति लॉकर्स खोला गया था। हालांकि शैलेंद्र गर्ग यहां पर महीने में एक-दो बार ही आते हैं।
1100 लॉकर पर 150 ही एक्टिव
रोयेरा सिस्टम में अभी देवांश मैनेजर हैं। वे चार साल से इस पद पर हैं। देवांश बोले- यहां पर किसी तरह की कोई गलत एक्टिविटी नहीं होती है। कोई भी ग्राहक आकर लॉकर खुलवा सकता है। इसके लिए एक एग्रीमेंट कराना पड़ता है। उनकी आईडी के साथ अन्य दस्तावेज जमा कराए जाते हैं। उनकी डिटेल लेकर आगे भेज देते है। लॉकर की एक चाबी कस्टमर के पास रहती है और दूसरी मास्टर चाबी हमारे पास रहती है। दोनों चाबी लगाने के बाद ही लॉकर खुलता है। लॉकर में कस्टमर क्या रख रहे हैं, ये हमारी जानकारी में नहीं होता है। हम सारे नियमों को फॉलो करके ही लॉकर देते है। रोयेरा सिस्टम लॉकर्स में 1100 लाॅकर है, जिनमें फिलहाल 150 ही एक्टिव हैं। बाकी लॉकर खाली पड़े हैं।
A से लेकर L श्रेणी के 12 टाइप के लॉकर
रोयेरा सिस्टम लॉकर्स में A से लेकर L श्रेणी तक के 12 तरह के अलग-अलग लॉकर है। सबसे बड़ा L श्रेणी का लॉकर है, जिसकी सालाना फीस 25 हजार रुपए है। सबसे छोटा A श्रेणी का लॉकर है, जिसकी फीस मात्र 1780 रुपए है। एग्रीमेंट से पहले ही कस्टमर से लॉकर दिखा कर बात कर ली जाती है। उन्हें लॉकर के साइज के हिसाब से फीस बता दी जाती है। लॉकर्स को पूरी तरह से सेफ रखने के लिए सिक्योरिटी सिस्टम लगाया गया है, जो कोडिंग सिस्टम से ही खुलता है।कोई भी बिना स्टाफ की मर्जी से अंदर नहीं जा सकता है। पूरी पूछताछ के बाद ही कोई अंदर जा सकता है। अभी यहां पर मैनेजर देवांश और दो युवतियों के साथ कुल 4 लोगों की टीम काम करती है।
लॉकर मालिकों को भेजा जाएगा नोटिस
इनकम टैक्स और ईडी की टीम ने जिन भी लोगों के लॉकर हैं, उन सभी की डिटेल ले ली है। सूत्रों का कहना है इन लोगों की डिटेल लेकर उन्हें नोटिस भेजे जाएंगे। इनकम टैक्स और ईडी की टीमें उन लोगों से पूछताछ करेगी। उनके लॉकर खाेलकर जांच की जाएगी। लॉकर खुलने के बाद ही किरोड़ीलाल मीणा के दावों की का सच सामने आएगा।
योजना भवन के लॉकर से मिले थे 2.31 करोड़ व एक किलो सोना
पांच महीने पहले योजना भवन के बेसमेंट में एक अलमारी के लॉकर से भी 2.31 करोड़ रुपए मिले थे। इसके अलावा एक किलो साेना बरामद हुआ था। दरअसल, आलमारियों की चाबी नहीं मिल रही थी, तब उन आलमारियों को खोला गया था। जांच में पता लगा कि DOIT के जॉइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव का सूटकेस और गोल्ड है। इसके बाद उन्हें झोटवाड़ा में घर से पकड़ा गया था। एसीबी में भी मुकदमा दर्ज कराया गया था। विभाग के 7 कर्मचारियों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की गई थी। गणपति प्लाजा के लॉकर्स में इसी तरह के गोल्ड व कैश रखा होने का दावा किया जा रहा है।
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