आईटीबीपी में तैनात चूरू के लाल हवलदार मनोहरसिंह राठौड़ की पार्थिव देह उनके घर पहुंची तो पत्नी, बच्चे और माता-पिता फफक पड़े। पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया। शहीद की पत्नी और बहन बार-बार बेहोश हो रही थीं। जब पांच साल के मासूम बेटे ने सैनिकों देखकर पूछा-' मेरे पापा नहीं आए क्या' तो वहां मौजूद लोगों की रुलाई फूट गई। चूरू जिले के रतन नगर थाना क्षेत्र के जसरासर गांव के रहने वाले राठौड़ रविवार को मदुरई में शहीद हो गए थे। जिनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया। जहां पांच साल के बेटे आदित्य ने पिता को मुखाग्नि दी।
मंगलवार सुबह करीब सुबह 7 बजे शहीद मनोहरसिंह राठौड़ की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी चूरू के पंखा सर्किल पहुंची। यहां से शौर्य तिरंगा यात्रा गांव जसरासर तक निकाली गई। यात्रा के दौरान ग्रामीणाें ने शहीद राठौड़ अमर रहे और भारत माता की जय के नारे लगाए। गांव की मोक्ष भूमि में आईटीबीपी की टुकड़ी के जवानों ने अंतिम सलामी दी।
तबीयत खराब होने से मदुरई में भर्ती थे
शहीद का पार्थिव शरीर मदुरई से लेकर गांव आए आईटीबीपी के एसआई राजकुमार ने बताया कि मनोहरसिंह की करीब 15 दिनों से तबीयत खराब थी। वे अस्पताल में भर्ती थे। रविवार को तबीयत बिगड़ने से इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि आईटीबीपी की ओर से ऑन ड्यूटी किसी जवान की मौत होने पर उसे शहीद का दर्जा दिया जाता है। इसलिए मनोहर सिंह को भी शहीद का दर्जा दिया गया है।
2009 में ज्वाइन की आईटीबीपी
जसरासर गांव के आशुसिंह राठौड़ के पुत्र मनोहरसिंह राठौड़ 2009 में आईटीबीपी में भर्ती हुए थे। फिलहाल वह हवलदार के पद पर तैनात थे। इनकी शादी 2010 में धीरासर की लक्ष्मी कंवर से हुई थी। इनके एक बेटा पांच वर्षीय आदित्य सिंह और एक बेटी तीन वर्षीय प्रिंसी है। पांच भाई बहनों में मनोहरसिंह चार बहनों का इकलौता भाई था।
सितंबर में अंतिम बार आए थे घर
आईटीबीपी के हवलदार मनोहरसिंह के खास दोस्त वीरेन्द्र सिंह और मानेन्द्र सिंह ने बताया कि वह अंतिम बार सितम्बर महीने में छुट्टी आए थे। राठौड़ गांव में आने पर यहां के युवाओं को गांव के मैदान में सेना की तैयारी करवाते थे। युवाओं को सेना में जाने के लिए भी प्रेरित करते थे। मनोहर सिंह को क्रिकेट और कबड्डी खेलने का बहुत शौक था। वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि मनोहर किसी काम को करने की एक बार सोचने के बाद पीछे नहीं हटता था।
इस बार छुट्टी आने पर नया घर बनाते
मनोहर सिंह के गांव के दोस्तों ने बताया कि वह अपने पिता से अक्सर कहा करता था कि पिताजी आपने अपना जीवन गरीबी में बिताया है। मगर अब आपको गरीबी नहीं देखनी पड़ेगी। मनोहर सिंह अपने पुश्तैनी मकान में रहता था। इस बार छुट्टी आने पर घर के पीछे प्लाट में नया मकान बनाने की बात कह रहा था।
मासूम बेटा बोला पापा नहीं आए क्या
मंगलवार सुबह से ही मनोहरसिंह के घर में लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। परिवार के लोगों की रूलाई फूट रही थी। वहीं भीड़ और सेना के जवानों को देखकर पांच साल के बेटे आदित्य ने पूछा कि मेरे पापा नहीं आए क्या। यहां सभी लोग दिख रहे हैं मेरे पापा क्यों नहीं दिखाई दे रहे। यह बात सुनकर मौजूद लोगों की आंखें भर आई।
सैल्यूट कर दी पिता को दी मुखाग्नि
शहीद मनोहर सिंह राठौड़ को उनके 5 साल के बेटे आदित्य सिंह ने सैल्यूट कर मुखाग्नि दी। वहीं घर में अंतिम दर्शन करने आई बहन ने भी अपने इकलौते भाई को सैल्यूट किया और बेहोश हो गई।
शहिद की अंतिम विदाई में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी दलीप सिंह, आईटीबीपी के रेवाड़ी जाटू सेना के इंस्पेक्टर पृथ्वीपाल, एसआई परमेश्वर सिह, हवलदार राकेश कुमार, जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम अनिल कुमार, तहसीलदार राजेश कुमार मीणा, डीएसपी जयप्रकाश अटल, भाजपा जिलाध्यक्ष हरलाल सहारण, पंचायत समिति प्रधान दीपचंद राहड़, पदम सिंह, गौसेवक संजय कुमावत, मनीष और सुमित सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।
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