हम सब कार्यकर्ता हैं। मैं अभी प्रतिपक्ष का नेता हूं। कल को मुझे भी पार्टी कह दे कि आपको टिकट नहीं देंगे। मुझे टिकट नहीं मिले। कट भी जाए टिकट, तो मैं कोई पार्टी से विद्रोह नहीं करूंगा। हमारे लिए टिकट मिलना या कटना महत्वपूर्ण नहीं है। हम एक कार्यकर्ता हैं। राजवी, शेखावत व गुर्जर वे लोग हैं, जिन्होंने पार्टी को गांव-गांव तक पहुंचाने में मदद की है। क्षणिक नाराजगी भले हो सकती है। - राजेंद्र राठौड़
मेरे दल यानी कांग्रेस के प्रति मेरी निष्ठा सुप्रीम है। ये हमारे लिए कभी भी संभव नहीं है। जैसे मेरे दादा ने 1998 के बाद अंतिम इंटरव्यू में कहा था पथ पर पांव नहीं, विश्वास चलता है। मैं इस बयान पर दृढ़ हूं। मेरे पिता 2011 में जेल गए, पर 2013 के चुनाव में मेरी मां ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। इससे पहले 1998 चुनाव में जीत के बाद मेरे दादा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, फिर भी परिवार ने दल नहीं बदला, 2003 चुनाव मेरे पिता ने कांग्रेस से लड़ा। परिवार ने विपरीत हालात में पार्टी नहीं छोड़ी तो मैं क्यों बदलूंगी? मेरे परिवार से मैं एक ही चिह्न पर 16वां विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही हूं। उत्तर भारत में ऐसा कोई परिवार नहीं। ये अपने आप में निष्ठा है। - दिव्या मदेरणा
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