अलवर जिले की 11 विधानसभा क्षेत्रों में 2023 का चुनाव बेहद रोचक है। खास बात ये कि इस बार कांग्रेस पार्टी ने दोनों कैबिनेट मंत्रियों को चुनाव में उतारा है। एक राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त नेता को टिकट दिया है।
पिछली बार बीजेपी सरकार में भी अलवर से दो कैबिनेट मंत्री थे। लेकिन पिछली बार बीजेपी ने अलवर के दोनों कैबिनेट मंत्रियों का टिकट काट दिया था। इसके बावजूद बीजेपी की जिले में केवल 2 सीट आई थी।
दूसरा रोचक पहलू यह है कि अलवर जिले में मंत्री बनने वाला नेता लगातार अगली बार चुनाव नहीं जीत सका है। ऐसा करीब 30 साल से जारी है। एक और खास बात यह है कि मौजूदा दोनों मंत्रियों पर कांग्रेस लगातार चार बार से भरोसा करती आ रही है। इनको कांग्रेस ने लगातार चौथी बार टिकट दिया है। दोनों तीन बार में से दो बार जीते हैं। अब यह चौथी बार टिकट मिला है।
2018 के चुनाव को हेम सिंह व जसवंत थे मंत्री
2018 में बीजेपी की सरकार थी। अलवर से हेम सिंह भड़ाणा और डॉ जसवंत सिंह यादव कैबिनेट मंत्री थे। विधानसभा चुनाव में दोनों का टिकट काट दिया था। बीजेपी ने बहरोड़ से डॉ जसवंत यादव के बेटे मोहित यादव को चुनाव लड़ाया था।
थानागाजी में हेम सिंह भड़ाना की जगह पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ रोहिताश्व शर्मा को टिकट दिया था। दोनों चुनाव हार गए थे। हेम सिंह भड़ाना बागी होकर चुनाव लड़े। वे भी हारे थे। उधर, बहरोड़ में डॉ जसवंत यादव को बेटा मोहित यादव बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में तीसरे नंबर पर रहे थे। इस तरह दोनों चुनाव हार गए थे।
अब टीकाराम जूली व शकुंतल रावत की साख दांव पर
अब कांग्रेस सरकार में टीकाराम जूली व शकुंतला रावत दोनेां कैबिनेट मंत्री हैं। दोनों काे पार्टी ने पहली व दूसरी सूची में ही प्रत्याशी बना दिया। दोनों ने प्रचार भी शुरू कर दिया है। इस बार पब्लिक में यह चर्चा का विषय है कि अलवर के करीब 30 साल के इतिहास में कोई भी मंत्री दुबारा चुनाव लड़ा तो जीता नहीं है। इस कारण दोनों नेताओं की साख दांव पर है।
दोनों नेताओं को लगातार चौथी बार टिकट मिला
शकुंतला रावत को बानसूर से और टीकाराम जूली को अलवर ग्रामीण से लगातार चौथी बार कांग्रेस ने टिकट दिया है। जिसमें शकुंतला रावत पहले चुनाव में हारी थी। उसके बाद लगातार दो चुनाव जीती है। दूसरी बार सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गई। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की कंट्रोवर्सी में शकुंतला रावत का नाम भी चर्चा में रहा। इस बार उनके लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। टीकाराम जूली अलवर के ऐसे नेता हैं जो पांच साल तक पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीक रहे हैं।
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