वैसे तो टिकट के लालच में चुनाव के समय नेताओं का एक पार्टी से दूसरी में जाना आम बात है लेकिन पिछले कुछ सैलून में दूसरी पार्टियों के नेताओं को चुनाव के समय अपनी पार्टी में ले आना भेजा की खास रणनीति रही। हालानी इसका चुनावों में उसे हमेशा फायदा नहीं मिला है। पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के पिछले विधानसभा चुनाव में यह साफ़ दिखा था। लेकिन फिर भी सवर्ण समाज के लिए आरक्षण की लड़ाई लड़ने का दावा करने वाले ब्राह्मण नेता पंडित सुरेश मिश्रा का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आना चर्चा में है। कयास लगाए जा रहे है कि भाजपा उन्हें चुनाव लड़वा सकती है। हकीकत में भाजपा मिश्रा को इसलिए लेकर आई है ताकि जयपुर में सांगानेर, हवामहल, सिविल लाइन और आमेर विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण समाज के वोटों का धुव्रीकरण कर सके।
भाजपा द्वारा अन्य ब्राह्मण संगठनों के नेताओं से भी संपर्क किया जा रहा है, ताकि राजपूत समाज के बाद ब्राह्मण समाज के नेताओं की भी एक राष्ट्रीय लेवल पर टीम बनाई जा सके। बोलने को सुरेश मिश्रा कांग्रेस में लगातार सनातन धर्म का जो अपमान हो रहा था, उससे खिन्न थे। मिश्रा का का कहना है कि सबसे बड़ा झटका उन्हें हाल की सनातन विरोधी घटना से लगा, इसके बाद ही मिश्रा ने भाजपा जॉइन करना तय कर लिया था। परकोटे में बाजारों में हुई लूट की घटनाओं ने भी काफी आहत किया था। इससे पहले भी रामप्रकाश मीणा की मौत ने उन्हें झकझोर दिया था। उस दौरान भी कोई भी कांग्रेसी नेता उनके परिवार से मिलने नहीं पहुंचा। कुल मिलाकर पार्टी बदलते ही अब तक सर्व धर्म समभाव का राग अलापने वाले सुरेश मिश्रा हिंदुत्व की ट्रेन पर चढ़े दिखाई दिए।
यह बात दीगर है कि मिश्रा ब्राह्मण समाज के महाकुंभ में दिखा चुके हैं ताकत मिश्रा पिछले दिनों ही ब्राह्मण समाज का बड़ा महाकुंभ कर समाज को एक मंच पर इकट्ठा कर सभी दलों के सामने ताकत दिखा चुके हैं। राम मंदिर आंदोलन में कारसेवकों के पहले जत्थे का नेतृत्व भी किया और उन्हीं दिनों मिश्रा ने हिंदू छात्र संघ का गठन भी किया था। सर्व ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष भी है। सांगानेर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार चुके हैं। बहरहाल भाजपा चुनाव की पूर्व सांधता पर आयातित ब्राह्मण पोस्टर बॉय को कहीं से चुनाव लड़वाएगी या सिर्फ अपने हिन्दू-मुस्लिम अजेंडे में एक तीर की तरह इस्तमाल करेगी यह देखने वाला होगा।
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