इन दिनों समूचे राजस्थान में रामलीलाओं का मंचन किया जा रहा है। मगर सूरतगढ़ में इन सबसे हटकर ठेठ राजस्थानी भाषा में रामलीला का मंचन शुरू किया गया है। मायड़भाषा राजस्थानी लोककला रंगमंच, सूरतगढ़ की ओर से राजस्थान प्रदेशवासियों की मातृभाषा राजस्थानी की मान्यता के संघर्ष की कड़ी में लगातार 9वें साल राजस्थानी रामलीला का मंचन रविवार रात्रि से शुरू किया गया।
ब्राह्मण धर्मशाला के पास प्रथम रात्रि मंचित रामलीला में नारद मोह, श्रवण मरण आदि लीलाओं का मंचन किया गया। जिनमें कलाकारों की ठेठ राजस्थानी भाषा में संवाद अदायगी ने उपस्थित दर्शकों का मन मोहा। नारदजी द्वारा कामदेव को जीत लेने के बाद भगवान की माया के वशीभूत होना व प्रभु की कृपा से उनका मोहभंग होना। दशरथ द्वारा जंगली जानवर के धोखे में शब्द भेदी बाण द्वारा श्रवण का मरना। श्रवण के माता -पिता द्वारा दशरथ को श्राप। रावण- नंदी संवाद आदि का भव्य मंचन किया गया।
राजस्थानी रामलीला का सृजन राजस्थानी साहित्यकार मनोज स्वामी द्वारा किया गया है। उनके सानिध्य में कलाकारों का मायड़भाषा के प्रति समर्पण देखते ही बनता है। इससे पूर्व प्रथम रात्रि की लीला का शुभारम्भ करने पहुंचे मुख्य अतिथि के रूप में अंतराष्ट्रीय कोच महावीर सैनी, पूर्व पार्षद मुरलीधर उपाध्याय ने कहा कि राजस्थानी रामलीला भाषा आंदोलन के लिए ऐतिहासिक कदम है।
केंद्र सरकार को राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़कर राजस्थान की जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। अन्य सभी मेहमानों ने राजस्थानी भाषा की प्रबल हिमायत करते हुए कहा कि राजस्थानी रामलीला के माध्यम से जहां देश राजस्थानी की समृद्ध संस्कृति से रूबरू हो रहा हैं। वहीं, भाषा की मान्यता नहीं होने का आक्रोश राजस्थान के आमजन के चेहरे पर देखा जा सकता हैं। यदि सरकारों ने इस पर सकारात्मक फैसला शीघ्र नहीं लिया तो आने वाले समय मे इन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
राजस्थानी रामलीला के सृजनकार ने बताया इसे भाषा का आंदोलन
राजस्थानी रामलीला के सृजनकार और साहित्यकार मनोज कुमार स्वामी ने ठेठ राजस्थानी भाषा में बोलते हुए कहा कि, राजस्थानी रामलीला रो मंचन देख'र दर्शका री हूंस देखण जोग हैं। रामलीला रो आकर्षण इतो हैं कै सूरतगढ़ शहर रै उत्तरादै अर अगुणें पासै सूं लगेटगे लोग दूर-दूर ताईं रो पेंडो तय करगै लीला देखण पूगै। लीला रै बिचाळै-बिचाळै मैं दर्शक जै-जै राजस्थानी, जै-जै राजस्थान रा नारा लगावता रैवे। मायड़ भाषा सारू आंदोलन गै रूप मैं इण रामलीला गो मंचन कर'र सरकारां सूं अरज करां कै बै म्हारी मायड़ भाषा गो सम्मान करै अर इनै संविधान री आठवीं सूची मैं शामल करै। इण खातर लगोलग अबकाळे 9 वै साल इ'रो मंचन कियो जा रयो है।
प्रथम रात्रि इन लीलाओं का किया गया मंचन
नारद मोह, राजा दशरथ के हाथों धोखे से श्रवण का शिकार, श्रवण के माता-पिता द्वारा राजा दशरथ को श्राप देना और रावण नंदी संवाद प्रथम रात्रि के आकर्षण रहे। जिनमे नारद का अभिनय प्रदीप जसूजा, विष्णु जी का अनिकेत, दशरथ का राकेश शर्मा, श्रवण का रामकुमार पुरोहित, रावण का मनोजकुमार स्वामी, नंदी का प्रदीप, शिवजी का विशाल वर्मा, ब्रह्मा जी का संजय बिश्नोई, इन्द्रदेव का गौरव सैन, कामदेव का तपेश और विश्वमोहनी का अभिनय नितिन ने अदा किया।
देश और प्रदेश ही नहीं बल्कि विदेश में भी होता है प्रसारण
राजस्थान की इकलौती राजस्थानी रामलीला का प्रदेश ही नहीं बल्कि भारतवर्ष समेत विदेश में बैठे प्रवासी राजस्थानियों के लिए भी यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये इसका सीधा प्रसारण किया जाता है। मत यही है कि अपनों से दूर विदेश में बैठे राजस्थानी संस्कृति से जुड़े लोग भी अपनी मातृभाषा से जुड़े रहे।
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