कोविड वैश्विक महामारी के बाद सार्स सीओवी 2 वायरस करोड़ों लोगों के शरीर पर अपने निशान छोड़ गया है। कितने ही लोग अब पहले जैसे फुर्तीले नहीं रह गए हैं। वायरल फ्लू जो साल में एक एक महीने के लिए दो बार आया करता था और एक सामान्य घटना माना जाता था जिसमें एक दो दिन की बीमारी होती थी जो घरेलू इलाज से ही ठीक हो जाया करती थी। अब 2020 के बाद से फ्लू बना हुआ ही है जिसमें रोगी को अत्यधिक शारीरिक पीड़ा, दुर्बलता, थकान आदि का दो से तीन सप्ताह तक सामना करना पड़ता है। रोगी को यदि खांसी हो जाती है तो उस पर किसी भी दवा का असर नहीं होता है और इस तकलीफ से कोई तीन चार सप्ताह में जा कर आराम मिलता है।
सार्स वायरस ने लोगों के अस्थि एवम् मांसपेशी तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया है।
वायरस द्वारा पैदा किए उच्च प्रज्वलन ( हाइपर इंफ्लेमेशन ) ने पीड़ित व्यक्ति की हड्डियों
की बनावट पर बड़ा असर डाला है। जर्नल ऑफ ऑर्थोएडिक रिसर्च में हाल ही में एक लेख प्रकाशित
हुआ है जिसके अनुसार रोगी की हड्डियों का द्रव्यमान ( बोन मास ) कम हो जाता है जिसके
फलस्वरूप दीर्घकालीन में अस्थि भंग ( फ्रैक्चर ) की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हड्डी
के अलावा जोड़ तथा मांसपेशियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ऑस्टियोक्लास्ट नामक
कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि हुई है जिसके फलस्वरूप अस्थि पट्टिकाएं ( बोन प्लेट्स
) पतली पड़ गई हैं। ऐसे में कोविड से प्रभावित रहा व्यक्ति भविष्य में और खासकर अपनी
वृद्घावस्था में यदि गिर जाता है तो टांग या रीढ़ के क्षैत्र में अस्थि भंग
( बोन फ्रैक्चर ) होने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं।
वायरस ने हमारी दीर्घकालीन जीवनशैली को बुरे रूप में प्रभावित किया है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक अनुसंधान के अनुसार रोगी रही व्यक्तियों में फीमर हड्डी की ग्रोथ प्लेट्स पतली पड़ गई हैं , हड्डी के रज्जू ( ट्रेबकुला ) की बनावट बिगड़ गई है, जोड़ों की साइनोवियल झिल्ली में अभी तक प्रज्वलन ( इंफ्लेमेशन ) बना हुआ है। इसका कारण साइटोकिनाइंस नामक पदार्थों का उच्च स्तर बने रहना हो सकता है। कोविड महामारी के दौरान जिन रोगियों में स्टेरॉइड नामक दवाओं का उच्च मात्रा में उपयोग हुआ था उनकी हड्डियों में नुकसान ज्यादा पाया गया है। महामारी के दौरान और उसके बाद भी जीवन में आई शारीरिक, मानसिक और सामाजिक निष्क्रियता भी भविष्य में तकलीफ देने वाली है।
याद रखा जाना चाहिए कि जितने लोगों के कोविड रोग का पता चला था उसके कितने ही गुना
ज्यादा लोग इस रोग से प्रभावित तो हुए थे परंतु उनके कोई लक्षण पैदा नहीं हुए थे। ऐसे
लोगों को अपने आप को सुरक्षित नहीं मान लेना चाहिए। पर्याप्त विटामिन डी, संतुलित आहार
और सक्रिय जीवनशैली आप को भविष्य के संभावित अस्थि भंग से बचा सकती है। कमर और टांगों
की मांशपेशियों को मजबूत करने के व्यायामों पर विशेष ध्यान रखना है। मानसिक विद्वेष,
ईर्ष्या, हिंसक विचारक्रम आदि शरीर में प्रज्वलन को प्रोत्साहित करते हैं जो किसी भी
समय किसी को भी बिस्तर पकड़ने को मजबूर कर सकते हैं। जीवन आनंदित रहने के लिए मिला
है तो फिर आनंदित ही रहिए।
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