कांग्रेस में टिकटों को लेकर अब सक्रियता बढ़नी शुरू हुई है। जयपुर कांग्रेस वॉर रूम में आज प्रदेश चुनाव समिति की बैठक हुई। प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में जिलों से आए हुए पैनल को फाइनल करके स्क्रीनिंग कमेटी को देने का फैसला दिया गया है। अब टिकटों की पूरी एक्सरसाइज स्क्रीनिंग कमेटी करेगी। शनिवार को दिल्ली में गौरव गोगोई की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी।
आज की बैठक के बाद अब कांग्रेस में टिकटों के लिए सारी एक्सरसाइज दिल्ली शिफ्ट हो गई है। स्क्रीनिंग कमेटी की लगातार बैठकें चलेंगी। इसके बाद अगले सप्ताह कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक होनी है, जिसके बाद उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होगी। कांग्रेस में करीब आधी सीटों पर 'सिटिंग गेटिंग' (टिकट रिपीट करना) फॉर्मूले से मौजूदा विधायकों और पिछले उम्मीदवारों को ही टिकट दिए जाने पर विचार किया जा रहा है।
टिकटों पर लंबे समय से एक्सरसाइज
कांग्रेस में महीनेभर से टिकटों पर एक्सरसाइज चल रही है। जिलों से पहले ही पैनल मंगवा लिए गए थे। चार से पांच दौर के सर्वे रिपोर्ट और जिलों से मंगवाए गए पैनल पर अलग-अलग स्तर पर काम चल रहा था। बड़े नेताओं से भी नाम मांगे गए थे। जिलों से भी पैनल आया था। स्क्रीनिंग कमेटी अध्यक्ष और मेंबर्स ने सर्वे रिपोर्ट, नेताओं से मिले पैनल के आधार पर कई सीटों पर जमीनी हालात को क्रॉस चेक भी करवाया है। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक भले कल होगी, लेकिन उसका काम काफी दिनों से जारी है। प्रदेश चुनाव समिति के नेता पहले ही नामों पर चर्चा कर चुके हैं।
आधी सीटों पर 'सिटिंग गेटिंग' का फॉर्मूला, बाकी पर बाद में फैसला
कांग्रेस में आधी सीटों पर 'सिटिंग गेटिंग' का फॉर्मूला अपनाया जाना तय है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अब तक की एक्सरसाइज और सर्वे रिपोर्ट का निचोड़ यह आया है कि आधी सीटों पर मौजूदा चेहरों को ही टिकट दिया जाए। इनमें से कई सीटें ऐसी भी हैं, जहां सियासी परिवारों का दबदबा है। इन सीटों पर टिकट बदला भी जाता है तो उस परिवार के ही किसी दूसरे मेंबर को दिए जाते रहे हैं। बची हुई सीटों पर अब आगे की बैठकों में फैसला होना है। कांग्रेस लगातार हार रही सीटों और सर्वे में कमजोर सीटों पर अलग से रणनीति बना रही है। कुछ सीटों पर बहुत नजदीकी मुकाबला है। उन पर बीजेपी के उम्मीदवारों को देखकर फैसला होगा।
गठबंधन को लेकर भी स्थिति साफ नहीं
कांग्रेस ने पिछली बार 5 सीटें गठबंधन में छोड़ी थी। इस बार भी आरजेडी, सीपीएम और एनसीपी से गठबंधन की चर्चाएं चल रही हैं। गठबंधन पर फैसला राहुल गांधी के स्तर पर होगा। सचिन पायलट और नेताओं का एक वर्ग गठबंधन को कांग्रेस के लिए नुकसानदायक मानते हुए इसका विरोध कर रहा है। पायलट तो साफ कह चुके हैं कि राजस्थान में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव जीतने में सक्षम है, इसलिए गठबंधन की आवश्यकता नहीं है। पिछले चुनावों में गठबंधन में गहलोत समर्थक सुभाष गर्ग आरएलडी के टिकट पर भरतपुर से जीते थे। जो सरकार में मंत्री हैं। इस बार भी गहलोत गठबंधन के पक्ष में हैं।
गहलोत चाहते हैं सरकार का साथ देने वाले विधायकों को टिकट मिले
कांग्रेस में बड़े नेता भी अपने समर्थकों के लिए टिकटों की पैरवी कर रहे हैं। सीएम अशोक गहलोत चाहते हैं कि सरकार बचाने में उनका साथ देने वाले विधायकों को टिकट दिया जाए। उनके टिकट नहीं काटे जाएं। हालांकि सर्वे रिपोर्ट में कई ऐसे विधायकों की हालत अच्छी नहीं है। सरकार का साथ देने वाले 13 में से ज्यादातर निर्दलीय भी कांग्रेस का टिकट चाहते हैं। उनमें से 11 तो कांग्रेसी बैकग्राउंड के ही हैं। कांग्रेस और समर्थक निर्दलीय की गहलोत पैरवी कर रहे हैं।
कल से कांग्रेस टिकटों पर पूरी एक्सरसाइज दिल्ली शिफ्ट
कांग्रेस में टिकटों को लेकर अब सारी एक्सरसाइज दिल्ली शिफ्ट हो गई है। आज प्रदेश चुनाव समिति की बैठक के बाद अब कल से स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकों के दौर चलेंगे। टिकट के दावेदार नेता भी दिल्ली में डेरा डाल चुके हैं। मंत्री महेश जोशी कल से दिल्ली में हैं। जोशी ने सीनियर ऑब्जर्वर मधुसूदन मिस्त्री और कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है। जोशी की दिल्ली यात्रा को टिकटों से जोड़कर देखा जा रहा है।
राहुल गांधी का दखल
राजस्थान काे लेकर राहुल गांधी और उनकी टीम भी पूरी निगाह रखे हुए है। टिकट वितरण के मापदंडों से लेकर उदयपुर घोषणा पत्र के मुताबिक महिलाओं और युवाओं को मौका देने को लेकर राहुल गांधी ने नेताओं को गाइडलाइन दी है। राहुल गांधी की टीम ने राजस्थान को लेकर कई दौर के सर्वे करवाए हैं।
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