प्रतापगढ़ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पुलिस ने 6 साल पहले एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई के दौरान तस्करों से 1.95 लाख रुपए जब्त किए थे। तब इस कैश को धमोत्तर थाना के मालखाने में नियमानुसार सीलबंद लिफाफे में रखवाया गया।
अब 16 दिन पहले यानी 30 सितंबर को एनडीपीएस कोर्ट ने इस लिफाफे में रखे रुपए बैंक में जमा कराने के आदेश दिए। इसी दिन जब इस लिफाफे को खोला गया तो सभी चौंक गए। थाने में ही किसी ने लिफाफे को बदलकर उसमें कागज की गड्डियां रबर लगाकर रख दी। इसके बाद थाने के एएसआई श्यामलाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई है।
6 साल पहले हुई थी कार्रवाई
एसपी अमित कुमार ने बताया- 2017 में एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई हुई थी। इसमें 2 हजार रुपए के 51 नोट, 500 के 46 और 100-100 के 700 नोट बरामद हुए थे। कुल राशि 1.95 लाख रुपए थी। इन नोटों को मालखाने में सीलबंद कर रखवा दिया गया था। मामला एडीपीएस कोर्ट में विचाराधीन है। 2 हजार रुपए के नोट बंद हो जा रहे थे। ऐसे में कोर्ट ने 30 सितंबर को आदेश दिया कि नोटों को बैंक में जमा करा दिया जाए।
30 सितंबर को एएसआई श्यामलाल ने नोट बैंक में जमा कराने की कार्रवाई शुरू की। इसके लिए डिप्टी एसपी आशीष कुमार और थानाधिकारी दीपक कुमार को जानकारी देकर आदेश लिए गए। बाद में मालखाना प्रभारी भंवर सिंह, जवान मोहन सिंह और महिला कॉन्स्टेबल मीरा कुमारी की मौजूदगी में वीडियोग्राफी की।
तीन जगह से सील था लिफाफा
सीलबंद पीले लिफाफे को खोला गया तो इसमें नोटों की जगह रबर लगी हुई कागज की 6 गड्डियां मिलीं। यह लिफाफा 3 जगह से सील था। इसके बाद थानाधिकारी और उच्चाधिकारियों के आदेश पर एएसआई श्यामलाल ने मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। हालांकि, नोट नहीं मिलने के कारण कोर्ट के आदेश पर बैंक में चालान भी जमा नहीं कराया जा सका। फिलहाल मामले की जांच जारी है। इन 6 साल के दौरान थाने में तबादला हुए सभी पुलिसकर्मियों से पूछताछ की जाएगी।
तस्करों से बरामद हुई थी रकम
तत्कालीन थाना अधिकारी दीपक कुमार बंजारा वर्तमान में छोटी सादड़ी के थानाधिकारी हैं। उन्होंने कहा- महुडी खेड़ा के पास एनडीपीएस एक्ट के तहत 2017 में कार्रवाई की गई थी। तस्करों का पीछा कर उनके पास से तीन गाड़ियां, साढ़े तीन किलो अफीम, चार पिस्टल और 1.95 लाख रुपए कैश के साथ चार तस्करों को गिरफ्तार किया गया था।
उस दौरान मालखाने में नकदी और अन्य सामान को गवाहों की मौजूदगी में सुरक्षित रखा गया था। अब इसमें कैसे गड़बड़ी हुई, यह जांच के बाद ही सामने आ पाएगा। फिलहाल उच्च अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं।
खंगाल रहे हैं रिकॉर्ड
एसपी अमित कुमार ने बताया- इस मामले में विभागीय जांच शुरू की गई है। इसमें 6 साल के दौरान मालखाना इंचार्ज रहे पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध लग रही है। रिकॉर्ड खंगाल जा रहा है। कौन-कौन मालखाना इंचार्ज रहे हैं। किस स्तर पर गड़बड़ी हुई है, वह जांच में स्पष्ट हो जाएगा। मामले की जांच एएसपी को दी गई है।
रुपए किसने और कब गायब किए, जांच कर रहे हैं
इस मामले में एएसपी भागचंद मीणा ने बताया- मालखाने का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। रुपए किसने गायब किए, कब गायब किए, इसकी जांच की जा रही है। लिफाफा सीलबंद था। जब उसे कोर्ट के आदेश पर खोला, तब पता चला कि उसमें नोट नहीं हैं। उन्होंने बताया कि नियमानुसार मालखाने में सीलबंद माल सिर्फ कोर्ट के आदेश पर ही खोला जा सकता है। ऐसे में कोई भी अधिकारी उसे बीच में खोल कर नहीं देख सकता।
लिफाफे की सील बदली
नाम न बताने की शर्त पर पुलिस महकमे से जुड़े एक पुलिसकर्मी ने बताया कि तत्कालीन थानाधिकारी दीपक कुमार बंजारा ने 2017 में जो लिफाफा रखा था, वह बिल्कुल अलग था। जांच में मिला लिफाफा अलग है। उन्होंने सील लगाकर इस पर ‘डी डॉट के डॉट’ लिखा था। लिफाफे में से रुपए गायब करने वाले से यहीं चूक हुई है और उसने लिफाफा बदलकर पेन से डीके लिखकर रख दिया।
अब तक 12 थानाधिकारी बदले
धमोत्तर थाने में इन 6 साल के दौरान 12 थानाधिकारी बदल चुके हैं। 2016-18 तक दीपक कुमार बंजारा रहे। इन्हीं की कार्रवाई में तस्कर पकड़ गए थे और लिफाफा सीलबंद कर रखा गया था।
इनके बाद 2018-19 तक शंभु सिंह, 2019 में 11 महीने दीपक कुमार, दिसंबर 2019 से 25 जून 2020 तक रतन जटिया, जून 2020 से मई 2021 तक ब्रजेश कुमार, जून 2021 से अगस्त 2021 तक हेमंत कुमार अहारी, अगस्त 2021 से अगस्त 2021 (16 दिन) राकेश कटारा रहे। रतन जटिया (25 अगस्त 2021- नवंबर 2021 तक) फिर से धमोत्तर थाने में पोस्टेड रहे।
इसके बाद 2021 में मुंशी मोहम्मद 1 दिन के लिए थाने में पोस्टेड रहे। इसके अगले दिन से भानु प्रताप सिंह 7 महीने के लिए थानाधिकारी रहे। जून 2022 से मार्च 2023 तक हनुवंत सिंह और वर्तमान में अब तक दीपक कुमार को पोस्टिंग दी गई।
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