राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के उद्देश्य से शुरू हुई बीजेपी की परिवर्तन यात्रा क्या पूर्वी राजस्थान में सफल हो सकेगी। इस पर संशय बना हुआ है। वजह है पूर्वी राजस्थान में ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) का मुद्दा। पूर्वी राजस्थान सहित प्रदेश के 13 जिलों के लोगों के पीने व सिंचाई के पानी के लिए यह योजना है। कांग्रेस लगातार केन्द्र सरकार से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग कर रही है। वहीं, बीजेपी इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बचती हुई नजर आ रही थी।
वसुंधरा राजे ने छेड़ा ईआरसीपी का मुद्दा
अभी तक बीजेपी ईआरसीपी के मुद्दे पर सार्वजनिक मंच से कुछ भी बोलने से बच रही थी। पहली परिवर्तन यात्रा के शुभारंभ के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खुलकर ईआरसीपी के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को जमीन पर लाने के लिये उनकी सरकार ने 25 अगस्त 2005 को मध्यप्रदेश के साथ नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर समझौता किया। दुर्भाग्य से गहलोत सरकार आ गई। ईआरसीपी ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
दुबारा हमारी सरकार आई तो हमने डीपीआर बना कर इसका काम आगे बढ़ाया। साल 2017-18 और 2018-19 में बजट घोषणा कर नवनेरा बैराज व ईसरदा बांध का काम शुरू किया। कांग्रेस सरकार ने ईआरसीपी को पूरा करने के लिये साढ़े 4 साल में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया, इसलिए 13 जिलों की जनता प्यासी रही। हालांकि वसुंधरा राजे के अलावा जेपी नड्डा व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने भाषण में ईआरसीपी का जिक्र तक भी नहीं किया।
दो दिन बाद ही गहलोत ने फिर दी ईआरसीपी के मुद्दे को हवा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- केंद्र सरकार ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को बंद करना चाहती है, लेकिन हम इसे किसी भी हाल में बंद नहीं होने देंगे। हमारी जिद है की यह परियोजना धरातल पर अवश्य उतरेगी। गहलोत सोमवार को गंगापुर सिटी में राजीव गांधी ग्रामीण और शहरी ओलिंपिक खेलों के जिला स्तरीय कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
यहां के केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह योजना में सहयोग करने के बजाय अड़ंगा लगा रहे हैं, जबकि 2005 मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने समझौता किया था। मध्यप्रदेश को राजस्थान से लड़ा रहे हैं।
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह को दिखाए जा चुके है काले झंडे
ईआरसीपी के मुद्दे को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को भी विरोध का सामना करना पड़ा था। पिछले महीने गंगापुर सिटी में विधायक रामकेश मीणा के नेतृत्व में युवाओं ने इस मुद्दे को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की गाड़ी को रोक लिया था। वहीं उन्हें काले झंडे दिखाए थे। इस पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत नाराज़ हो गए थे। उन्होंने मौके पर ही कलेक्टर व एसपी को खरी खोटी सुना दी थी।
पूर्वी राजस्थान में सबसे कमजोर स्थिति में है बीजेपी
विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो बीजेपी पूर्वी राजस्थान में सबसे कमजोर स्थिति में है। पूर्वी राजस्थान के 5 में से 4 जिले तो ऐसे हैं, जहां पिछले चुनावों में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था। वहीं, पूर्वी राजस्थान के 5 जिलों में से धौलपुर जिले में बीजेपी ने एक सीट जीती थी। यहां बीजेपी की टिकट पर शोभारानी कुशवाह जीतकर विधानसभा पहुंची थी। राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी को वोट देने पर बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
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