कोटा ब्यूरो रिपोर्ट।
सीएम अशोक गहलोत ने गुरुवार को नाराज चल रहे कांग्रेस के विधायक (सांगोद) भरत सिंह से मिलने पहुंचे। उन्होंने भरत सिंह के गुमानपुरा स्थित निवास पर मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने शंभूपुरा में प्रस्तावित ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की जमीन का दौरा किया। उनके साथ यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, विधायक भरत सिंह, जिला कलेक्टर ओपी बुनकर समेत यूआईटी के अधिकारी मौजूद रहे।
सीएम से मिले भरत सिंह, 2 दिन पहले कराया था मुंडन
सुबह सर्किट हाउस में स्थानीय नेताओं कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद सीएम अशोक गहलोत विधायक भरत सिंह के गुमानपुरा स्थित आवास पर पहुंचे। यहां उन्होंने भरत सिंह के साथ चाय पी और चर्चा की। इससे पहले बुधवार रात को भरत सिंह ने भी सर्किट हाउस में सीएम से मुलाकात की थी। दोनों के बीच काफी देर तक चर्चा हुई थी।
भरत सिंह लंबे समय से भ्रष्टाचार के मामले को लेकर गृहमंत्री के तौर पर अशोक गहलोत का विरोध कर रहे थे। दो दिन पहले उन्होंने विरोध में मुंडन भी करवाया था। भरत सिंह ने कहा कि सीएम ने मिलने की इच्छा जाहिर की थी। यह जानते हुए कि मैं उनका विरोध कर रहा हूं और फिर भी वे मुझसे मिले यह उनका बड़प्पन है।
भरत सिंह ने कहा कि मैं उनके खिलाफ मुखर होकर बोल रहा हूं, किसी को भी बुरा लग सकता है उनको भी लगा होगा। बुधवार शाम को भी सीएम से मुलाकात हुई थी। मैंने मुद्दों पर कोई बात नहीं करने को लेकर मुंडन करा लिया था। मेरा यही रूप आगे भी मेरे विरोध को जारी रखेगा। हालांकि, सीएम हमारे मुखिया हैं, सरकार को उनसे बढ़िया कोई नही चला सकता यह भी मैं लगातार कहता रहा हूं।
लोकसभा स्पीकर के लिए छोटी सी बात- सीएम
अपने दौरे पर सीएम गहलोत ने शंभूपुरा एयरपोर्ट की जमीन को लेकर आ रही समस्याओं को लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को कहा कि जमीन टेकअप की हुई है, ओम बिरला आपके यहां के एमपी हैं। वे इतने बड़े पद पर बैठे हुए हैं उनके लिए मामूली बात है। समझ नहीं आ रहा चार साल क्यों निकाल दिए उन्होंने, मेरी बात भी हुई थी, मैं वापस बात करूंगा।
ये है जमीन का विवाद
दरअसल, एयरपोर्ट जमीन को लेकर राज्य और केन्द्र के बीच राशि जमा करवाने को लेकर पेंच फंसा हुआ है। कोटा में नया एयरपोर्ट शंभूपुरा में प्रस्तावित है। इसके लिए लंबी प्रक्रिया के बाद 3 साल पहले राज्य सरकार ने 500 हेक्टेयर जमीन आवंटन के लिए सहमति दे दी और आदेश भी हो गए थे। यूआईटी ने अपने खाते की जमीन एयरपोर्ट अथॉरिटी को हस्तांतरित भी कर दी थी।
शेष वन विभाग की जमीन के डायवर्जन के पेटे यूआईटी ने पहली किस्त 21 करोड़ 13 लाख रुपए वन विभाग को जमा करा दिए। अब 106.34 करोड़ रुपए की वजह से एयरपोर्ट का मामला अटका हुआ है। यह राशि वन विभाग को डायवर्जन शुल्क, प्रोजेक्ट कॉस्ट के दो प्रतिशत और पावर ग्रिड की लाइनों की शिफ्टिंग की एवज में अदा करनी है। राज्य का कहना है कि यह राशि केन्द्र वहन करे जबकि केन्द्र का कहना है कि राशि राज्य सरकार को वहन करनी होगी।
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