जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सीएम अशोक गहलोत की ओर से ज्युडिशियरी में करप्शन व वकील समुदाय के संबंध में की गई बयानबाजी से जुड़े मामले में दायर आपराधिक अवमानना याचिका बुधवार को निस्तारित कर दी।
अदालत ने कहा कि इस मामले में पहले से ही एक पीआईएल पेंडिंग है और उसमें नोटिस जारी हो रखे हैं। यदि पीआईएल में कोई आदेश नहीं होता है तो प्रार्थी उसमें आपराधिक अवमानना के लिए प्रार्थना पत्र दायर कर सकता है। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव व प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह निर्देश अधिवक्ता मनु भार्गव की आपराधिक अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। आपराधिक अवमानना याचिका में कहा था कि सीएम एक संवैधानिक पद पर हैं, लेकिन उन्होंने न्यायपालिका के लिए निंदनीय व अनुचित बयान दिया है।
यह बयान बिना किसी तथ्यात्मक आधार पर न्यायपालिका व वकीलों के खिलाफ है। सीएम का यह बयान कई अखबारों में छपा व कई न्यूज चैनल पर चला और ऑनलाइन यू-ट्यूब पर भी उपलब्ध है। सीएम के इस बयान को प्रार्थियों ने पढ़ा और देखा है और इससे न्यायपालिका व वकीलों की छवि को नुकसान पहुंचा है। बाद में सीएम ने सोशल मीडिया पर भी ट्विट संदेश के जरिए अपने बयान को स्पष्ट भी किया था। इसलिए सीएम के खिलाफ न्यायपालिका की छवि व गरिमा को चोट पहुंचाने के लिए आपराधिक अवमानना की कार्रवाई अमल में लाई जाए।
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