बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट।
बीकानेर के सभी सरकारी फार्मासिस्ट शुक्रवार हड़ताल पर चले गए। एक दिन की हड़ताल के चलते पीबीएम अस्पताल के दवा वितरण केंद्रों की व्यवस्था लड़खड़ा गई। यहां तक कि गांवों में भी दवाओं की आपूर्ति नहीं हो पाई है।
राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ के आह्वान पर पिछले 23 दिन से आंदोलन चल रहा है। जिसके तहत शुक्रवार को फार्मासिस्ट ने सामूहिक अवकाश लेकर विरोध प्रदर्शन किया। सात सूत्री मांगों के तहत जिले के सभी सेवारत फार्मासिस्टों ने कार्य बहिष्कार किया। इस दौरान स्वास्थ्य भवन में धरना जारी रहा। जिले के सभी अस्पतालों में दवा वितरण बंद रहा और दवा वितरण केंद्रों पर लंबी कतार लगी रही। साथ ही जिले में नव संचालित टेस्टिंग लैब में भी कार्य ठप रहा।
संघ के बीकानेर जिलाध्यक्ष अमित व्यास ने बताया कि संगठन लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है। इस क्रम में पहले काली पट्टी बांधकर 2 घंटे का कार्य बहिष्कार किया गया लेकिन सरकार के सिर पर जूं तक नहीं रेंगी। इसी कारण फार्मासिस्टों को कार्य बहिष्कार का फैसला लेना पड़ा। शुक्रवार को कार्य बहिष्कार में जिले के समस्त पीएचसी, सीएचसी जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज में दवा वितरण पूर्णतः बंद रहा। शनिवार सुबह 8 से 10 दो घंटे का कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। जरूरत पड़ी तो फार्मासिस्ट अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकते हैं। गौरलतब है कि बीकानेर में रोजाना लगभग 20 हजार मरीज ओपीडी तथा दो हजार मरीज आईपीडी में राजकीय चिकित्सालयों से दवा प्राप्त करते हैं।
ये है 7 सूत्री मांगे
- वेतन भत्ते यथा जोखिम भत्ता , हार्ड ड्यूटी एलाउंस, वर्दी भत्ता
- प्रक्रिया डीपीसी समयबद्ध पूर्ण
- प्रकियाधीन फार्मासिस्ट भर्ती जल्दी पूरी करे
- ग्रेड पे 4200
- पदनाम परिवर्तन
- उच्च पदों को राजपत्रित करने
- केडर स्ट्रेंथ बढ़ाने बाबत
नर्सिंग यूनियन ने दिया समर्थन
साथ ही राजस्थान राज्य नर्सेज एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष श्रवण कुमार वर्मा ने भी धरना स्थल पर आकर आंदोलन का समर्थन किया और संबोधित किया। धरना स्थल पर सीनियर फार्मासिस्ट मनोज हर्ष ने कहा कि सरकार समय रहते मांग नहीं मानेगी तो परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इसके अलावा मोहित नागल , लीलाधर सुथार, अंजलि गहलोत आदि ने संबोधित किया।
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