राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी की ओर से श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ जिले के न्यायिक अधिकारियों की दूसरी त्रैमासिक कार्यशाला का आयोजन रविवार को जिला कलेक्ट्रेट सभागार में किया गया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यशाला शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए माननीय न्यायमूर्ति श्री मदन गोपाल व्यास द्वारा धारा के विशेष संदर्भ में कानून के विभिन्न प्रावधानों और उसके बाद की प्रक्रिया के तहत संपत्ति की जब्ती, सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के तहत मामलों का निर्णय करते समय मुख्य विचार क्या हैं, इन अधिनियमों के तहत संपत्ति की रिहाई या निपटान के लिए न्यायालय द्वारा विचार किए जाने वाले बिंदु, खान और खनिज (विनियमन और विकास), संशोधन अधिनियम 1958 (1958 का 15), राजस्थान वन अधिनियम 1953, शस्त्र अधिनियम, 1959, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955, सीआरपीसी की धारा 451 के तहत मजिस्ट्रेट का क्षेत्राधिकार किन प्रावधानों और परिस्थितियों में लागू होता है, राजस्थान उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1950 के तहत जब्त किए गए अवैध शराब ले जा रहे ट्रक को एस्कॉर्ट कर रहे वाहन को रिहा करने का न्यायालय का क्षेत्राधिकार और शक्ति, क्या कोई व्यक्ति जिसके पास मोटर वाहन रखने का वैध अधिकार है, उनका निपटान करते समय पंजीकृत मालिक पर प्राथमिकता दी जाती है, सीआरपीसी की धारा 451 के तहत दावा, सीआरपीसी की धारा 451 के तहत करेंसी नोटों का निपटान करते समय उचित दृष्टिकोण क्या होना चाहिए, क्या किसी कर विभाग को भी संपत्ति पर दावा करने और इस स्तर पर सुनवाई का अधिकार हो सकता है, सीआरपीसी की धारा 452 के तहत मामलों का निर्णय करते समय मुख्य विचार क्या हैं, जब किसी आपराधिक मामले में आरोपी को बरी कर दिया जाता है या बरी कर दिया जाता है, तो क्या संपत्ति उस व्यक्ति को वापस कर दी जानी चाहिए जिससे वह बरामद की गई थी या ली गई थी, क्या सीआरपीसी की धारा 452 के तहत संपत्ति का निपटान करते समय जमानत और बांड (सुपुर्दगीनामा) की मांग की जा सकती है, एसीआरपीसी की धारा 102 के तहत जब्त की गई संपत्ति से निपटने और जब्ती की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को करते समय किन प्रक्रियात्मक पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए, क्या सीआरपीसी की धारा 102 के तहत किसी अपराध में शामिल होने के संदेह वाले बैंक खाते को जब्त किया जा सकता है। सरकार या सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा या उनके विरुद्ध मुकदमा सहित अन्य मुद्दों पर विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
इससे पूर्व श्रीगंगानगर जिला एवं सेशन न्यायाधीश श्री सत्यनारायण व्यास ने अतिथियों और न्यायिक अधिकारियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला आयोजन की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। हनुमानगढ़ के जिला एवं सैशन न्यायाधीश के प्रतिनिधि के रूप में रूपचंद सुथार ने धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि श्रीमती रचना बिस्सा और रिदम अनेजा ने मंच संचालन किया।
इस अवसर पर न्यायाधीश दीपक कुमार, राजकुमार, राजेंद्र शर्मा, मदन गोपाल आर्य, अरुण कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार टाक, महेंद्र के. सोलंकी, श् सुरेश कुमार प्रथम, विनोद कुमार गुप्ता, गजेन्द्र सिंह तेनगुरिया, श्रीमती सरिता चौधरी, विजय कोचर, नवदीप, हनुमानगढ़ के न्यायिक अधिकारी राजेश शर्मा, श्याम कुमार व्यास, बलवंत सिंह भारी, राजेश चौधरी, केदारनाथ, श्रीमती सरिता स्वामी सहित अन्य मौजूद रहे।
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