परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला के काफिले में चलती कैंपर कार जैसे ही मोड़ पर घूमी उसमें सवार 5 स्कूली बच्चे सड़क पर गिर पड़े। हालांकि गिरते ही सभी बच्चे खड़े हो गए। बाकी लोगों ने उन्हें संभाला। लेकिन जिस तरह बच्चों को खुली कैंपर कार में ले जाया जा रहा था, ऐसे में उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए।
यह है कि यह काफिला सड़क सुरक्षा एवं परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला का बताया जा रहा है। हादसा बुधवार सुबह 11 बजे झुंझुनू के निकटवर्ती गांव वारिसपुरा से देरवाला में लोकार्पण और सम्मान समारोह में जाते वक्त हुआ।
साथ में परिवहन विभाग अधिकारी भी थे। अधिकारियों की 3 जीप और कारें सबसे आगे चल रही थीं। इसके बावजूद लापरवाही बरती गई। युवाओं और बच्चों को खुली कैंपर में सवार कर बिना सुरक्षा के काफिले में शामिल कर लिया गया।
बच्चे बाल-बाल बचे
गनीमत यह रही कि किसी भी बच्चे को ज्यादा चोट नहीं आई। लेकिन पीछे से अगर तेज गति से कोई वाहन आ रहा होता तो बच्चों के साथ बड़ा हादसा हो सकता था। कैंपर से गिरे दो बच्चों को चोट लगी है। इस घटना का वीडियो सामने आया है।
वीडियो में नजर आ रहा है कि चलती हुई कैंपर कच्चे रास्ते से पक्की सड़क पर तेजी से चढ़ी। कई वाहन कतार से आ रहे थे। सबसे कैंपर के पीछे डाले (लोडिंग एरिया) में बच्चे किनारे पर बैठे हुए थे। वे एक दूसरे के कंधे पर हाथ डाले बैठे थे। कुछ बच्चों ने हाथ में बैनर और झंडे ले रखे थे।
कैंपर मोड़ पर तेजी से घूमी तो बच्चे धड़ाधड़ गिरते चले गए। कैंपर के ड्राइवर को तब पता चला जब पीछे से लोग चिल्लाते हुए गाड़ियों को रोकने की बात कहने लगे। बड़ी बात यह है कि काफिले में आगे की तीन गाड़ियों में पुलिस थी। इसके बाद कैंपर में बच्चों को बैठा रखा था। सड़क पर गिरने से बच्चों को अंदरूनी चोट लगी। एक बच्चे का मोबाइल छिटककर दूर जाकर गिरा।
मंत्री-अधिकारी सबने की अनदेखी
वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्चे कैंपर गाड़ी में ठूंस-ठूंस कर भरे हुए थे। सवाल ये है कि परिवहन मंत्री के काफिले में नियमों की अनदेखी क्यों की गई। काफिले में सबसे आगे परिवहन अधिकारियों की कारें थीं, ऐसे में उनकी भी जिम्मेदारी थी कि वे बच्चों की जान जोखिम में डालने वालों को रोकते।
0 टिप्पणियाँ