सांगोद विधायक भरत सिंह ने कोचिंग को दुकान और मंडी बताया है। वहीं यहां से स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यह सब कोटा की इकोनॉमी खत्म करने की साजिश है। कोटा में बच्चों को सबसे अच्छा सुविधाएं मिलती हैं। सिंह ने कोटा में हो रहे कोचिंग सुसाइड मामले में सीएम को पत्र लिखकर कोचिंग संस्थानों को बंद करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि कोटा में कोचिंग संस्थान मंडी की तरह काम कर रहे हैं। जहां करोड़ों का कारोबार हो रहा है। भरत सिंह ने पत्र में लिखा कि- रक्षा बंधन की बधाई। कोटा वह शहर है जहां कुछ भाई कोचिंग लेने आते हैं लेकिन वापस घर नहीं जाते। वापस जाती है उनकी लाश। क्योंकि वह तनाव से मुक्ति पाने के लिए मौत को गले लगाते हैं।
सांगोद विधायक भरत सिंह ने सीएम अशोक गहलोत को लिखे लेटर में कोचिंग संचालकों और हॉस्टलों के खिलाफ शिकायत की है।
विधायक भरत सिंह ने आगे लिखा कि- प्रश्न उठता है कि क्या कोचिंग संस्थान को बंद किया जाए? आप क्या सोचते है? मुझे पता नहीं लेकिन मेरा स्पष्ट मत है कि बहुत हो गया यह दुकान बंद की जाए। देश में कोचिंग की सबसे बडी मंडी कोटा ही है। इस मंडी में करोड़ों का कारोबार हर साल हो रहा है। इस मंडी का फायदा सभी ले रहे हैं। असंख्य हॉस्टल मैस शहर में चालू है। नियम कायदों को ताक में रखकर इस धंधे में सभी शेयर होल्डर चांदी कूट रहे हैं। अधिकारी इस शहर में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनी पोस्टिंग कोटा में करवाते हैं। तनाव ग्रस्त छात्रों की आत्महत्या करना एक सामान्य घटना की तरह हो गई है। एक दिन खबर छपती है फिर सब कुछ शांत हो जाता है। प्रश्न उठता है कि क्या किया जाए।
उत्तर सीधा है कि कोटा में कोचिंग के विस्तार को रोका जाए। जिस कोचिंग संस्थान का बच्चा आत्महत्या करता है उस पर भारी जुर्माना लगाया जाए। यह राशि मृतक के परिवार को दी जाए। जो हॉस्टल नियमों की पालना करके नहीं बनाए गए उनको बंद किया जाए। भरत सिंह ने कहा कि धृतराष्ट्र की तरह प्रशासन, शिक्षा विभाग आंखे बंद करके बैठे हैं। डमी एडमिशन लेकर बच्चे कोचिंग कर रहे हैं लेकिन यहां क्यों नहीं जांच होती है। प्रशासन के अधिकारियों का झुकाव कोचिंग संस्थानों की तरफ है।
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