जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की...भगवान कृष्ण के जयकारे के साथ जयपुर में जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। हालांकि इस साल भी जन्माष्टमी को लेकर दो अलग-अलग तारीख का कंफ्यूजन है। कोई 6 तो कई 7 सितंबर को जन्माष्टमी का पर्व मना रहा है। जयपुर के बड़े मंदिरों में जन्माष्टमी महोत्सव 7 सितंबर को मनाया जाएगा। जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, लाड़ली जी का मंदिर, अक्षय पात्र कृष्ण बलराम मंदिर और इस्कॉन मंदिरों में खास व्यवस्था की गई है।
गोविंद देव जी मंदिर में दर्शन का समय
जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर में 7 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सुबह 4.30 बजे से 6.45 बजे तक मंगला आरती दर्शन होंगे। मंगला आरती के समय ठाकुर जी का अभिषेक किया जाएगा। उसके बाद भगवान को नए कपड़े (पोशाक) धारण कराए जाएंगे। भगवान का विशेष माला शृंगार और अलंकार शृंगार करने के बाद भक्तों के लिए दर्शन खोले जाएंगे। गोविंद देवजी के दर्शन भक्त पूरे दिन 7 झांकियों में कर सकेंगे। बीच में 10 मिनट के लिए भोग के समय दर्शन रोके जाएंगे। रात 12 बजे 31 तोपों की सलामी के बाद दर्शन खुलेंगे। इसके बाद शालीग्राम पूजन और उसके साथ ही ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक होगा। जन्माभिषेक 425 लीटर दूध, 365 लीटर दही, 11 किलो घी, 85 किलो बूरा, 11 किलो शहद से होगा। इस दौरान 6 पंडित वेद पाठ करेंगे।
ठाकुर जी राजस्थानी जड़ी वाली पोशाक पहनेंगे
जन्माष्टमी के दिन ठाकुरजी को विशेष जड़ी-पोशाक धारण कराया जाएगा। इसे राजस्थानी शैली में तैयार किया गया है। इस पोशाक को बनाने में एक महीने से ज्यादा का समय लगता है। भगवान का अलंकार शृंगार साल में मात्र एक बार होता है।
गोविंद देवजी मंदिर से निकलेगी शोभायात्रा
8 सितंबर को सुबह 9.15 से 10 बजे तक नंदोत्सव के तहत शृंगार झांकी निकाली जाएगी। शाम को गोविंद देवजी मंदिर शोभायात्रा निकाली जाएगी। गोविंद देवजी से पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथजी के मंदिर तक जाएगी। शहर के आराध्य देव नगर भ्रमण पर निकलेंगे। जन्माष्टमी पर ठाकुरजी के ऑनलाइन दर्शन करवाए गए थे। जयपुर के आराध्य गोविंद देवजी मंदिर में इस बार भक्त लड्डू गोपाल का अभिषेक, प्राकट्योत्सव जन्मोत्सव, नए वस्त्र धारण करवाने और पूजा अर्चना आरती के साक्षात दर्शन कर सकेंगे।
अक्षयपात्रा मंदिर में ये रहेगी व्यवस्था
जगतपुरा में हरे कृष्ण मार्ग स्थित श्री कृष्ण-बलराम मंदिर (अक्षयपात्रा) में 7 सितंबर को जन्माष्टमी और 8 सितंबर को नंदोत्सव मनाया जाएगा। मंदिर मंदिर प्रशासन ने जन्माष्टमी पर भक्तों की लाखों की संख्या में भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं। इसमें तीन थानों के 350 पुलिसकर्मी, 100 होमगार्ड के जवान, ढाई सौ सुरक्षाकर्मी और 1000 वॉलंटियर तैनात रहेंगे। साथ ही 200 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
मंदिर में गुरुवार सुबह 4.30 बजे मंगला आरती के दर्शन होंगे। वहीं, सुबह 7.30 बजे शृंगार दर्शन होगा। जो रात 12 बजे तक चलेगा। रात 10 बजे से 12 बजे तक महा अभिषेक और महा संकीर्तन होगा। इसके बाद रात 12 बजे महाआरती की जाएगी। भगवान को 108 तरीके के व्यंजनों का भोग लगेगा। वहीं, नंदोत्सव के दिन प्रभुपाद जी का 127 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए शहर के अलग-अलग घरों से प्रसाद तैयार करके लाया जाएगा।
551 किलो विदेशी फूलों से बनेगा फूल-बंगला
मंदिर प्रशासन के अनुसार भगवान कृष्ण-बलराम का 551 किलो विदेशी फूलों से बंगला सजाया जाएगा। वहीं, भगवान के लिए पोशाक वृंदावन से तैयार होकर आ रही है। इस पोशाक में जयपुर घराने के जौहरी बाजार में हीरे-मोती का काम किया गया है। इसमें एक महीने से अधिक का समय लगा है।
व्रत उपवास कैसे करें
पंडित विनोद शास्त्री के अनुसार- व्रत उपवास का मतलब होता है प्रभु के पास रहना। उन्हीं की भक्ति में लीन रहना। व्रत का मतलब होता है नियम। व्रत का नियम है। मन में बुरे विचार न आए। किसी के प्रति कोई द्वेष भावना न रहे। खान-पान पर नियंत्रण रखें। छल से दूर रहें। किसी भी प्रकार का कोई पाप न हो। किसी का अहित न हो। इसका ध्यान रखना व्रत कहलाता है। इस दिन किसी भी तरीके के खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचना चाहिए। व्रत के नाम पर कई सारे आहार लिए जाते हैं। इस दिन उससे भी परहेज करना चाहिए। मरीज, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को उपवास नहीं करना चाहिए।
पुराणों के अनुसार, जन्माष्टमी तिथि के दिन देवकी प्रसव पीड़ा से रहती है। इसकी वजह से व्रत या उपवास करने वाले लोग भी इस दिनभर उपवास रखकर मानते हैं। जब भगवान श्री कृष्ण अर्ध रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में प्रकट होते हैं। उसके बाद जल और फलाहार से व्रत को खोलना चाहिए।
दो दिन क्यों मनाई जा रही कृष्ण जन्माष्टमी
पंडित विनोद शास्त्री के अनुसार- इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर के दिन मनाई जाएगी। इसमें गृहस्थ लोग 6 सितंबर 2023 को कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। इस दिन व्रत रखेंगे। इसके बाद वैष्णव समुदाय के लोग 7 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। व्रत रखेंगे। शास्त्र में मान्यता है कि जिस दिन अर्ध रात्रि के समय अष्टमी होती है। साथ ही रोहिणी नक्षत्र हो। उसी दिन जन्माष्टमी होती है। वहीं, वैष्णव संप्रदाय के लोग सूर्योदय के समय वाली अष्टमी को ही जन्माष्टमी मानते हैं। शास्त्रीय दृष्टि से माने तो जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर दोनों दिन ही है।
हालांकि इस तिथि को लेकर लोगों के मन में संशय हो जाता है। कई बार कृष्ण जन्माष्टमी की दो तिथियां सामने आ जाती हैं। ऐसे में लोग भ्रमित हो जाते हैं कि आखिर कृष्ण जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
- कृष्ण पक्ष को जन्माष्टमी 6 सितंबर बुधवार को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 7 सितंबर शाम 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी।
- रोहिणी नक्षत्र में 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।
इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा शुभ संयोग
पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस साल भी कृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र में ही पड़ रही है। ऐसे में यह संयोग बेहद ही दुर्लभ और खास माना जा रहा है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। यही वजह है की जन्माष्टमी का पर्व रात में मनाया जाता है। इसलिए जन्माष्टमी 7 सितंबर गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी पर ऐसे करें पूजा
- इस दिन लड्डू गोपाल को केसर मिश्रित दूध से स्नान कराएं। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। धन्य धान बढ़ता है।
- आप राधा कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण और राधा रानी को पीले रंग के फूलों की माला चढ़ाएं। इससे जीवन में धन लाभ के योग बढ़ते है। आपके जीवन से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
- इसके अलावा आप चाहें तो इस दिन मंदिर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को पीले रंग के कपड़े, पीले फल, पीली मिठाई भी अर्पित कर सकते हैं।
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है। घर में मौजूद सभी को सफलता और तरक्की प्राप्त होती है।
जन्माष्टमी के दिन अष्ट धातु से बनी लड्डू गोपाल की मूर्ति लाना शुभ
जानकारों के अनुसार अगर आप श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अष्ट धातु से बनी लड्डू गोपाल की मूर्ति अपने घर लेकर आते हैं। इसे बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं लड्डू गोपाल की अष्ट धातु से बनी मूर्ति को घर में रखने से रोग और दोषों का नाश होता है। इसके अलावा कहा जाता है कि अष्टधातु की मूर्ति में स्वयं भगवान श्री कृष्ण वास करते हैं।
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