राजधानी में मच्छर जनित बीमारियां मलेरिया व डेंगू को रोकने में निगम प्रशासन पूरी तरह फेल साबित हो रहा है। तीन साल पहले निगम ने मलेरिया व डेंगू के बढ़ते ग्राफ को देखते घरों के बाहर पानी जमा होने व मच्छर का लार्वा मिलने पर जुर्माना राशि ले रहा था, लेकिन अब नहीं लेने पर लापरवाही से मलेरिया व डेंगू कम होने का नाम नहीं ले रहा। यहां तक की अधिकारियों ने 220 लोगों को नोटिस जारी कर कार्रवाई भी की थी, लेकिन दो माह तक ही चली। दावा किया था कि जोन स्तर पर सीएसआई के निर्देशन में टीमें बना कार्रवाई के साथ समझाइश करेंगे। प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए रिपोर्ट तैयार करके कमिश्नर को सौंपनी थी, लेकिन बदलते ही निगम प्रशासन भूल गया।
प्रदेश में मिल चुके मलेरिया के 1243 पॉजिटिव
- 6 लोग मौत के मुंह में जा चुके है। जयपुर में 2, दौसा, झुन्झुनूं, कोटा व टोंक में 1-1 की मौत हो चुकी है।
- मादा एनाफिलिज मच्छर से फैल रहे मलेरिया के 1243 पॉजिटिव मिल चुके। सबसे ज्यादा डेंगू के मामले जयपुर में मिले हैं।
एसीएस ने कलेक्टर को सौंपी जिम्मेदारी, यहां भी लगे जुर्माना
चिकित्सा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने पानी जमा होने व मच्छर का लार्वा मिलने पर नोटिस देने के साथ ही जुर्माना लगाने के निर्देश दे चुकी हैं। फिर भी अधिकारी पालना नहीं कर रहे। ऐसे में हर जिले के कलेक्टर को जिम्मेदारी सौंपी है। एमसीडी के मच्छर जनित बीमारियों के उपनियम 1975 की धारा 4 के भाग दो में यह प्रावधान है कि निगम जुर्माना लगा सकता है। अगर, फिर स्थिति को ठीक करने में संपत्ति धारक, उपयोगकर्ता या निर्माणकर्ता विफल रहता है तो यह जुर्माना लगाया जाएगा। पांच हजार तक की राशि इसमें नकद ली जा सकेगी। इससे अधिक की राशि को चेक, डिमांड ड्राफ्ट या नेट बैंकिंग के माध्यम से लिया जा सकेगा।
डेंगू -2 स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक : एसएमएस अस्पताल के मेडिसन के डॉ.पुनीत सक्सेना व आरयूएचएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ.अजीत सिंह के अनुसार डेंगू के डी-2 स्ट्रेन की वजह से मृत्युदर अन्य स्ट्रेन से ज्यादा है। इसकी चपेट में आने से डेंगू शॉक सिंड्रोम व डेंगू हेमेंरेजिक सिंड्रोम हो जाते हैं।
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