फोन पर झूठी पहचान बता ठगी करने वाले गिरोह का जोधपुर पुलिस ने बुधवार को खुलासा किया है। इस गिरोह को पुलिस अलवर के मेवात से पकड़ कर लाई है। जब पुलिस ने इनके रिकॉर्ड खंगाले तो पता चला कि इनके खिलाफ देशभर के अलग-अलग थानों में 1 हजार से ज्यादा शिकायत दर्ज है और इनमें से 70 FIR हो चुकी है।
आरोपियों ने 8 महीने में अलग-अलग 310 सिम का यूज कर लोगों को ठगा है। इनमें एक पीड़ित जोधपुर का भी था। पीड़ित ने 14 अगस्त को एयरपोर्ट थाने में शिकायत दी थी। इसके बाद पुलिस ने जब जांच शुरू की तो मेवात गैंग का कनेक्शन सामने आया।
परिचित बनकर की थी 94 हजार की ठगी
डीएसपी अमृता दुहन ने बताया कि 14 अगस्त को एयरपोर्ट थाना निवासी सुरेश मीणाा ने रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया कि एक नंबर से मैसेज आया था, जो किसी परिचित का था। उस पर किसी जरूरी काम का हवाला देकर रुपए मांगे थे। इसके जब रुपए देने के लिए हां बोला तो लिंक शेयर किया। जैसे ही लिंक पर जाकर रुपए ट्रांसफर किए तो पता चला कि एक ही बार में 94 हजार रुपए चले गए। बात में पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है।
डीएसपी ने बताया कि इस पर एडीसीप नाजिम अली, एयपोर्ट थानाधिकारी शैफाली सांखाला के नेतृत्व में टीम का गठन किया। सामने आया कि ये सभी गैंग मेवात से ऑपरेट हो रही थी। इस मामले में अजरुद्दीन (24) पुत्र फजरु खान मेव व मनीष कुमार (20) पुत्र रामस्वरुप ओड को मेवात अलवर से गिरफ्तार किया है।
इस तरह से करते थे फ्रॉड, एक लिंक से अकाउंट से रुपए गायब
डीसीपी ने बताया कि जब आरोपियों से ठगी के तरीके के बारे में पूछा तो बताया कि किसी भी फोन नंबर को सीरीज से उठाकर उसे फोन पे पर जाकर चेक करते थे। नाम पता चलने के बाद कॉल करते और कॉलर को सीधे नाम से पुकारते थे।
इसके बाद परिचित बताते और कहते कि उनके खाते से किसी को पैसे ट्रांसफर करने हैं और वे ट्रांसफर नहीं हो रहे हैं। इसलिए हम रुपए आपको फोन पे कर देते हैं आप ये रुपए आगे ट्रांसफर कर देना। पैसा मांगने की बजाय देने की बात करने पर हर कोई विश्वास कर लेता।
लेकिन, इसके लिए वह एक मैसेज शेयर करते और इसी लिंक के जरिए ठगी करते थे। जैसे ही वह इस लिंक पर क्लिक करते अकाउंट से रुपए खाली हो जाते।
ओडिशा और असम से लेकर आते फर्जी सिम, 20 से 25 प्रतिशत कमीशन देते
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ठगी करने के लिए ये ओडिशा, असम और नॉर्थ ईस्ट से फर्जी सिम लेकर आते थे। इनकी रेट करीब 1500 रुपए होती थी। इसके अलावा ऐसी सिम को भी देखते थे, जिन पर पहले से फोन-पे या पेटीएम की केवाईसी हो रखी हो। ये सिम करीब 3 से 5 हजार रुपए में आती थी। इन्हीं सिम के जरिए वे लोगों को अपना निशाना बनाते थे।
इतना ही नहीं अकाउंट में रुपए आने के बाद एटीएम की बजाय ये पेट्रोल पंप से कैश लेते थे। इसके लिए 20 से 25 प्रतिशत कमीशन देते थे। अकाउंट से ठगी के रुपए को कैश करवाने के लिए गांव के लड़कों को काम दे रखा था, उन्हें भी 20 से 30 प्रतिशत अलग से कमीशन दिया करते थे।
डीएसपी ने बताया कि कार्रवाई के दौरान जब टीम मेवात गई तो सामने आया कि ये एसयूवी कार मेंटेन करते हैं और इनके घर भी काफी आलीशान बने हुए हैं।
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