जयपुर के मंदिरों में रात 12 बजे धूमधाम के साथ कृष्ण जन्म हुआ। गोविंददेवजी मंदिर में 31 तोपों की सलामी के साथ जन्मोत्सव मनाया गया। यहां कृष्ण जन्मोत्सव में पूर्व राज परिवार के सदस्य भी शामिल हुए। शहर के अलग-अलग मंदिरों में झांकियां सजाई गईं। चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर मंदिर में दिन में 12 बजे ही जन्मोत्सव मनाया गया। अक्षरधाम मंदिर को श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से सजाया गया है।
इससे पहले गोविंददेवजी में सुबह 4.30 बजे भगवान का विशेष माला शृंगार और अलंकार शृंगार किया गया। भक्तों के लिए दर्शन खोले गए। इसके बाद दिन में ठाकुर जी को पीले कपड़े धारण कराए गए। विशेष फूलों से शृंगार झांकी सजाई गई। धूप झांकी में गुलाब की माला धारण करवाई गई। शाम को संध्या आरती में बड़ी संख्या लोग गोविंददेवजी मंदिर पहुंचे।
वहीं, अब रोज सुबह होने वाली मंगला आरती झांकी 8 सितंबर को नहीं होगी। यह आरती झांकी 7 सितंबर की रात 11 बजे की गई। इसके बाद 12 बजे 31 तोपों की सलामी के बाद दर्शन पट्ट खुले। शालीग्राम पूजन और उसके साथ ही ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक किया गया। भगवान का 425 लीटर दूध, 365 लीटर दही, 11 किलो घी, 85 किलो बूरा, 11 किलो शहद से जन्माभिषेक किया गया। इस दौरान 6 पंडित वेद पाठ किया।
108 कलशों के नारियल पानी और पंचामृत से किया महा अभिषेक
जगतपुरा के हरे कृष्ण मार्ग स्थित श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण उत्सव धूमधाम से मनाया गया। सुबह मंगला आरती से उत्सव शुरू हुआ। रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के साथ होने वाली महाआरती के साथ संपन्न हुआ। इससे पहले 108 कलशों के नारियल पानी और पंचामृत से महा अभिषेक किया गया। हरे कृष्ण महामंत्र संकीर्तन के साथ नृत्य करते झूमते लाखों भक्त के सामने 'नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' गगनभेदी जयघोष के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया।
हीरे मोती जड़े पोशाक पहनकर प्रकट हुए भगवान
मंदिर के अध्यक्ष अमितासन दास ने बताया- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की महीनों से तैयारियां की जा रही थी। उन्होंने बताया- सुबह 4.30 बजे भगवान का विशेष शृंगार किया गया। नवीन पोशाक धारण कराई गई है, जो वृंदावन से मंगाए गए विशेष प्रकार के नवरत्न और हीरो की जड़ाई से सजी थी। जयपुर के विशेष जौहरियों ने विदेश से मंगवाए गए नवरत्न और हीरे से इस पोशाकों को तैयार किया।
प्रसिद्ध तिरूपति बालाजी के प्रसिद्ध मंदिर में भगवान बालाजी को बड़ी और विशाल माला 'महा हार' पहनाया गया। तिरूपति की तर्ज पर जयपुर के श्री कृष्ण बलराम मंदिर में भी इसी महा हार को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर पहनाई गई।
भगवान के भोग के लिए तैयार किए 1008 तरीके के व्यंजन
मानसरोवर स्थित श्री गिरधारी दाऊजी जी इस्कॉन मंदिर में सुबह 4.30 बजे भक्त मंगला झांकी के दर्शन करने पहुंचे। मंदिर में सुबह 10:30 से शाम 4:00 बजे तक कीर्तन और अभिषेक हुआ। इसके बाद भगवान की लीलाओं पर आधारित अन्य कार्यक्रमों में अलग-अलग प्रकार के नृत्य संगीत और ड्रामा किए गए। केशव धाम मायापुर और वृंदावन से आई स्पेशल टीम की ओर से पूरे दिन कीर्तन किया।
मंदिर प्रशासन के अनुसार भगवान को 4 लाख की वृदांवन से लाई पोशाक धारण कराई गई। मंदिर में भगवान के भोग लिए 1008 तरीके के व्यंजनों को तैयार किया गया। वहीं 700 किलो देसी-विदेशी फूलों से मंदिर की विशेष सजावट की गई।
अक्षरधाम मंदिर में सजाई मोरपंख की विशेष शृंगार झांकी
वैशाली नगर स्थित अक्षरधाम मंदिर में भगवान स्वामी नारायण का पंचामृत अभिषेक कर मंगला आरती की गई। भगवान के मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष साज-सज्जा की गई। इसमें मंदिर में मोरपंख की विशेष शृंगार झांकी सजाई गई। ठाकुर जी का पूरे दिन पंचामृत अभिषेक किया गया। भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न लीलाओं पर आधारित 3D झांकियों के दर्शन सुबह से ही भक्तों के लिए खोला गया।
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