अलवर पहुंची भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा के तीसरे दिन उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि 2003 में वसुंधरा राजे का ग्लैमर था, ऐसा लीडर लीड करता है तो उसका आकर्षण होता है। पूनिया ने यह भी कहा कि कांग्रेस के तरह भाजपा में सीएम फेस को लेकर कोई झगड़ा नहीं है। यहां आलाकमान मजबूत है। जिसके माथे पर तिलक लग जाएगा वही सीएम बनेगा और पार्टी में कोई चूं भी नहीं करेगा।
परिवर्तन यात्रा को लेकर अलवर सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी, बीजेपी जिला अध्यक्ष अशोक गुप्ता, हाउसिंग बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अजयपाल और प्रदेश उपाध्यक्ष श्रवण बगड़ी भी मौजूद थे।
लाल डायरी को लेकर बोले- धुआं था तो आग भी होगी
लाल डायरी पर पूनिया ने कहा- उसमें धुआं था तो आग भी निश्चित रूप से होगी। पार्टी का इसमें कोई सरोकार नहीं है।कांग्रेस ने अपने पाप पर पर्दा डालने के लिए मैनेज किया होगा। जब राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस से बाहर हो गए तो हर आदमी कहीं न कहीं जाता है इसलिए शिव सेना में चले गए। लाल डायरी में आगे के पन्नों पर भाजपा नेताओं के नाम के सवाल पर कहा कि यह सिर्फ पॉलिटिकल गॉसिप है और कुछ नहीं।
वसुंधरा राजे का क्रेज खत्म नहीं
परिवर्तन यात्रा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के शामिल न होने के सवाल पर पूनिया ने कहा- वसुंधरा राजे का क्रेज खत्म नहीं हुआ है। किसी नेता का क्रेज खत्म नहीं होता, न अहमियत या सम्मान खत्म होता है। चारों परिवर्तन यात्राओं के शुभारंभ में वसुंधरा राजे उपस्थित रही हैं।
चाहे वसुंधरा राजे हों या नरेंद्र मोदी हों, पार्टी ने कई नेता विकसित किए हैं। हर नेता की अपनी विरासत, स्किल, दक्षता, योग्यता होती है, जिसे पार्टी उपयोग करती है। वसुंधरा राजे पार्टी के कार्यक्रमों में उपस्थित रही हैं। हम चाहते हैं कि 25 सितंबर को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में भी वे मौजूद रहें।
वसुंधरा राजे से मनमुटाव के सवाल पर पूनिया ने कहा- पार्टी हित के लिए सभी को साथ चलना होता है। व्यक्तिगत संबंधों में मनमुटाव जैसी कोई चीज नहीं है। व्यक्तिगत तौर पर उनके लिए सम्मान है। हम एकमुखी होकर अपना अभिमान छोड़कर साथ होकर चलें, यही समय की मांग है।
वसुंधरा राजे के दिल्ली होने के सवाल पर पूनिया बोले- इन दिनों उनसे बात नहीं हो पाई, वे कार्यक्रमों में आती हैं तभी मिलना होता है।
राजे पर गहलोत की सरकार बचाने के आरोप के सवाल पर पूनिया ने कहा- गहलोत जी इतने जादूगर तो हैं कि दूसरी पार्टी में जो नहीं हो रहा उसे भी प्रचारित करते हैं। अगर वसुंधरा राजे गहलोत की सरकार बचातीं तो वे इसे सार्वजनिक जरूर करते। उनके पास ऐसा कोई प्रमाण होता तो वे ऐसा करते। गहलोत सरकार को कोरोना और भगवान ने बचाया है। साथ ही कुबेर ने बचाया है, उन्होंने धन बांटकर कई लोगों को उपकृत किया है।
फेस को लेकर पार्टी में झगड़ा नहीं
मुख्यमंत्री के चेहरे के सवाल पर पूनिया बोले- फेस को लेकर जो झगड़ा कांग्रेस में होता है, वैसा भाजपा में नहीं है। सीएम चेहरे को लेकर भाजपा को कांग्रेस से कंपेयर किया जाता है। उनके यहां जब सीएम बने तो दो-दो मुख्यमंत्री के नारे लगे। कभी कमरों में झगड़ा हुआ तो कभी मंत्रिमंडल में झगड़ा हुआ। बाड़ाबंदी हुई और इस्तीफे दिए गए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि भाजपा में सीएम के 12 दावेदार हैं तो पूनिया बोले- अगर ऐसा है तो यह अच्छी बात है। पहले कहा जाता था कि चेहरों का टोटा है। हमारे यहां झगड़े की गुंजाइश नहीं है। यहां आलाकमान इतना मजबूत है कि झगड़े की गुंजाइश ही नहीं है। आलाकमान जिसके माथे पर तिलक लगा देगा वही सीएम होगा। इसके बाद कोई चूं भी नहीं करेगा।
परिवर्तन संकल्प यात्रा में भीड़ को लेकर बोले
परिवर्तन संकल्प यात्रा में भीड़ कम होने के सवाल पर सतीश पूनिया ने कहा कि भीड़ कभी भी किसी कार्यक्रम की सफलता का पैमाना नहीं होती। यह टिकट के उम्मीदवारों की भीड़ नहीं है। राजस्थान में जगह-जगह सड़कों पर जो लोग आकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे सरकार के खिलाफ आक्रोश के कारण आते हैं।
हमारे कार्यक्रमों में नरेगा श्रमिकों, आंगनबाड़ी वर्करों, दबाव डालकर लाए गए सरकारी कर्मचारियों और ठेकेदारों द्वारा जुटाई भीड़ नहीं आती। यह ऑर्गेनिक भीड़ है जो सरकार के खिलाफ आती है। परिवर्तन यात्रा सभा एक समापन सभा होती है, जिसमें दो-तीन घंटे बैठकर लोग चले जाते हैं, इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि हर समय में परिवर्तन यात्रा को लेकर अलग क्रेज रहा है। सरकार के खिलाफ माहौल में अंतर नहीं आया है। राज्य सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी है।
राजे की यात्रा में भीड़ के सवाल पर बोले
पूनिया से जब कहा गया कि 2003 में वसुंधरा की परिवर्तन यात्रा में भीड़ ज्यादा होती थी और अब भीड़ कम है, क्या भीड़ को खींचने लायक फेस नहीं हैं। इस पर पूनिया ने कहा कि हर लीडर का एक आकर्षण होता है। उस वक्त वसुंधरा राजे प्रोजेक्ट होकर आईं थीं, पार्टी प्रेसिडेंट भी थीं और उनका स्वाभाविक ग्लैमर था। जो लीडर लीड करता है उसका असर होता ही है।
लेकिन इसका कोई सेट फिनोमिना नहीं है। नेताओं को पार्टी और पार्लयामैंट्री बोर्ड डिजाइन करता है। इस बार की परिवर्तन यात्रा के लिए हमारे पास समय कम था। 20 दिन में हमें 10 हजार किलोमीटर का सफर कवर करना था, फिर आचार संहिता भी लगने वाली है।
यात्रा के क्रेज या समर्थन को लेकर कोई बदलाव नहीं है, तब (2003) भी था और आज भी है। उस समय वसुंधरा राजे का अट्रैक्शन था, समय के साथ चीजें बदलती हैं। किसी समय तो कांग्रेस का गाय बछड़ा भी अच्छा लगता था, अब कमल का फूल अच्छा लगता है।
सरकार की फ्री मोबाइल स्कीम पर तंज
गहलोत सरकार की फ्री मोबाइल स्कीम पर तंज कसते हुए सतीश पूनिया ने कहा- वोटर्स को लुभाने के लिए यह स्कीम है, लेकिन जब एक महिला से पूछा कि आपको यह मोबाइल किसने दिया है तो बोली सरकार ने दिया है। आपको कैसा लगा तो बोली अच्छा लगा। जब महिला से पूछा गया कि माई (माताजी) वोट किसे दोगी, तब उसने कहा कि वोट तो मोदी को ही दूंगी। जब उनके कहा कि मोबाइल तो आपको गहलोत ने दिया तो उसने कहा- इस मोबाइल को वापस ले जाओ।
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