राजस्थान में बारिश नहीं होने और बिजली कटौती होने से 163 लाख हेक्टेयर खरीफ फसल पर संकट है। बिपरजॉय और मानसून की पहली अच्छी बारिश होने से 103 फीसदी तक बुआई हुई थी। खेतों में मूंगफली की 116 प्रतिशत और मिलेट्स की 128 फीसदी तक बुआई हुई। दूसरी ओर, डिमांड बढ़ने और कोयला संकट से गांवों में खेती के साथ-साथ घरेलू बिजली भी नहीं मिल रही है।
ऐसे में सिंचाई नहीं होने से खेतों में 40% फसलें सूख गई हैं। बिजली के लिए खेलमंत्री अशोक चांदना के बूंदी में धरने के बाद 100 ट्रांसफार्मर भेजे गए हैं। इधर, प्रदेश में 1 जून से 9 सितंबर की अवधि में 504.25 मिमी है। अब तक 453.97 बारिश रिकार्ड हुई है। जो 10% कम है।
रोज 40 करोड़ की महंगी बिजली खरीदने के बाद भी फसलों को पानी नहीं, असर...उत्पादन कम होगा
बिजली कटौती-कम बारिश का सबसे ज्यादा असर मूंगफली व धान पर पड़ेगा। पिछले साल मूंगफली की 19.23 लाख टन और धान की 5.77 लाख टन पैदावार थी। लेकिन सिंचाई नहीं होने से उत्पादन पर 40% तक असर पड़ेगा। बारिश-सिंचाई नहीं होने से बाजरा, मक्का, ज्वार, मिलेट्स, मूंग, मोठ, उदड़, चौला व कपास की फसल पर भी असर होगा।
5000 ट्रांसफार्मर खराब : तीनों डिस्कॉम में 5000 ट्रांसफार्मर खराब हंै। इन ट्रांसफार्मरों को 72 घंटे में बदला जाना चाहिए, लेकिन 5-7 दिन में भी नहीं बदले जा रहे पा रहे हैं। ट्रांसफार्मर निर्माताओं ने पेमेंट नहीं होने से सप्लाई बंद कर दी है।
राजस्थान में बिजली की स्थिति
- उत्पादन निगम के बिजलीघर 23
- पीक डिमांड 17500 मेगावाट
- एक्सचेंज से खरीद : 400
- लाख यूनिट (रेट 10 रु. यूनिट)
- जयपुर, जोधपुर व अजमेर डिस्कॉम से रोजाना 3715 लाख यूनिट सप्लाई
- खेती के लिए 400 लाख यूनिट जरूरत है। हर दिन 40 करोड़ की महंगी बिजली खरीद।
- 6.5 लाख कृषि कनेक्शन हैं, जबकि घरेलू उपभोक्ता 1.23 करोड़ हैं।
अगले 3 दिन 3 संभागों में मध्यम बारिश के आसार
शनिवार को जैसलमेर में अधिकतम तापमान 43.5 डिग्री दर्ज हुआ, 74 साल में सितंबर में सर्वाधिक रहा। यह सामान्य तापमान से 6.9 डिग्री अधिक था। 10 सितंबर 1949 में जैसलमेर में अधिकतम पारा 43.3 डिग्री था। उधर, मौसम विभाग का कहना है कि अगले तीन दिन हल्की बारिश की संभावना है। जयपुर का तापमान 32 डिग्री रहा।
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