जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि पुलिस में हर लेवल पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कदम उठाएं जाएं। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में सामाजिक जागरूकता लाइ जाए। एससी-एसटी अत्याचार के मामलों में पुलिस बिना किसी दबाव के तेजी से जांच करके न्याय दिलाना सुनिश्चित करें। एससी-एसटी के मामलों में एफआर के बाद उनके रिव्यू का दायरा और बढ़ाया जाए। सीएम अशोक गहलोत एससी एसटी अत्याचार निवारण एक्ट के तहत बनी राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक में बोल रहे थे। बैठक में सीएम ने एससी-एसटी के पैंडिंग मामलों में जांच कम से कम समय में पूरी करने को कहा है। सीएम ने एससी एसटी के मामलों के निस्तारण को 60 दिन से कम समय में करने को कहा है।

बैठक में अहम फैसले, नए जिलों में एससी-एसटी एक्ट के मुकदमों की जांच के लिए बनेगी सेल

राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक में कई फैसले किए गए। नए जिलों में एससी-एसटी एक्ट की जांच के लिए डिप्टी एसपी की अध्यक्षता में सैल बनाने का फैसला किया है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों के लिए एडिशनल एसपी की अध्यक्षता में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट फॉर क्राइम एगेंस्ट वूमेन (सिकाउ) यूनिट बनेगी। एससी-एसटी एक्ट के मामलों के निस्तारण में 2017 में 197 दिन का समय लगता था, अब 64 दिन का वक्त लगता है। बैठक में यह तय हुआ है कि अब 60 दिन से कम समय में जांच से लेकर पूरे मामले का निस्तारण किया जाए।

ब्लॉक स्तर पर खुलेंगे सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के दफ्तर, सीएम करेंगे हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट से संवाद

ब्लॉक स्तर पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के दफ्तर खोलने का फैसला किया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के हॉस्टलों में रहकर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के साथ सीएम का संवाद कार्यक्रम किा जाएगा। इसकी तारीख जल्द तय होगी। छात्रावासों में अध्ययनरत बालिकाओं एवं बालकों से मुख्यमंत्री का संवाद कार्यक्रम किया जाएगा।

केंद्र से पैसा मिलने में देरी

एससी-एसटी एक्ट के मामलों में पीड़ित को मिलने वाले मुआवजे में केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड में देरी का मामला बैठक में उठा। इस मामले में केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर फंउ समय पर देने की मांग की जाएगी। एससी-एसटी एक्ट की एफआईआर के साथ ही पीड़ित को पीड़ित प्रतिकर योजना का लाभ देने के लिए जरूरी जानकारियां भी पुलिस को समय पर साझा करने के आदेश दिए गए हैं।

सरकारी हॉस्टलों में रहने वाले बच्चों की संख्या बढ़ाई जाएगी

सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के हॉस्टल्स में रहने वाले स्टूडेंट्स की संख्या को दोगुना करने का फैसला किया है। इन हॉस्टल में स्टूडेंट की संख्या को 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख किया जाएगा।