राजस्थान में नर्सिंग कर्मचारी का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कई दिनों से आंदोलन की राह पर आगे बढ़ रहे कर्मचारियों ने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नर्सिंग संगठन के पदाधिकारी ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल से मुलाकात कर अपना मांग पत्र सौंपा।
इसमें उन्होंने बताया कि 4 साल से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी सरकार उनकी लंबित मांगों को पूरा नहीं कर रही। ऐसे में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के जनप्रतिनिधि सरकार से नर्सिंग कर्मचारी की जायज मांगे पूरी करने की मांग रखें।
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री प्रदीप चौधरी उन्होंने बताया- साल 2018 में जब विधानसभा चुनाव होने थे तब कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के बिंदु संख्या 25 में राज्य कर्मचारियों से चार वादे किए थे। ये चारो ही वादे पूरे नहीं किए यानी कर्मचारी कल्याण की शत प्रतिशत घोषणाओं पर अब तक कोई करवाई नहीं होने से कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि अब तक पिछले घोषणा पत्र पर कोई करवाई हुई नही और दोबारा नया घोषणा पत्र बनाने का समय आ गया, जिससे राज्य कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश है।
राजस्थान निविदा नर्सेज एसोसिएशन के पदाधिकारी ने कहा कि सरकार नर्सेज कर्मचारियों को 290 प्रतिदिन भुगतान करती है। जो नरेगा में लगे मजदूरों से भी काम है। ऐसे में सरकार को नर्सिंग कर्मचारी की मानदेय पर पुनर्विचार करना चाहिए। ताकि पढ़ लिखकर यहां तक पहुंचे कर्मचारियों को सम्मान मिल सके। अगर ऐसा नहीं होगा। तो युवा पढ़ लिख कर यहां तक आने की जगह गलत रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। जो ना सिर्फ युवाओं के बल्कि प्रदेश की भविष्य के लिए भी सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि तुम मांगते मांगते थक जाओगे। मैं देता देता नहीं थकूंगा। वहीं नर्सिंग कर्मचारी पिछले साढ़े चार साल से सरकार से अपनी लंबित मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री देने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। जिसका नुकसान सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा। इस दौरान राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री प्रदीप चौधरी, निविदा नर्सेज एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज यादव, कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष नूर परवीन, रोशन चौधरी, नैनीवाल, अनिमेष ,ऋतुराज, प्रतिक, कुलदीप मौजूद रहे।
इन चार मांगों को लेकर कर रहे प्रदर्शन
- कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करना।
- टाईम स्केल पदोन्नति देना।
- संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करना।
- राज्य कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए मंत्री मंडलीय उप समिति का गठन करना।
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