जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान हाई कोर्ट ने न्यायिक अधिकारी पिंकी मीणा की बर्खास्तगी को सही ठहराया हैं। जस्टिस अशोक कुमार गौड़ की खंडपीठ ने आरजेएस पिंकी मीणा की याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही कहा- उनकी बर्खास्तगी आदेश को अवैध नहीं माना जा सकता है। क्योंकि उन्होंने जानबूझकर आरजेएस परीक्षा के हर स्तर पर इस तथ्य को छिपाया कि वह शिक्षिका रह चुकी है। उसने आरजेएस परीक्षा में शामिल होने के पूर्व शिक्षा विभाग से एनओसी भी नहीं ली।
हाई कोर्ट ने कहा- आरजेएस पिंकी मीणा ने बीएड व एलएलबी एक साथ की। यह संभव नहीं है। एक ही समय में दो डिग्रियां करना नियमों में नहीं हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय की हैंडबुक के ऑर्डिनेंस-168-ए और 168-बी के तहत एलएलबी और बीएड एक साथ करना असंभव है।
वहीं, उन्होंने सरकारी शिक्षक रहते हुए नियमित एलएलएम की डिग्री भी ले ली। ऐसे में भर्ती विज्ञापन की शर्त संख्या-14 के तहत एनओसी के अभाव में अभ्यर्थी की उम्मीदवारी किसी भी स्तर पर रद्द की जा सकती है।
एलएलएम की कक्षाएं नियमित नहीं होती हैं
याचिका में पिंकी मीणा की ओर से कहा गया- वह आरजेएस परीक्षा-2017 में चयनित होकर मार्च 2019 में ट्रेनी आरजेएस लगी थी। उसे फरवरी 2020 को नोटिस देकर मई 2020 को फुल कोर्ट ने सेवा से हटा दिया। जबकि एलएलबी प्रथम वर्ष की परीक्षा डिग्री लेने की मुख्य परीक्षा नहीं है। वहीं एलएलएम की कक्षाएं भी नियमित नहीं होती हैं।
आरजेएस के साक्षात्कार के समय चेक लिस्ट में पूर्व सेवा को लेकर कोई कॉलम नहीं था। आरजेएस नियमों में प्रावधान नहीं है कि परीक्षा से पहले विभाग से अनुमति ली जाए। आरजेएस में चयन की तिथि को वह शिक्षक सेवा में नहीं थी। हटाने के दौरान प्राकृतिक न्याय की अनदेखी हुई है।
सवाईमाधोपुर में शिक्षक, आरयू से एलएलएम
वहीं, सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट प्रशासन की ओर से कहा गया कि जिस समय याचिकाकर्ता ने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलएम किया। उस दौरान वो सवाईमाधोपुर में सरकारी शिक्षक के तौर पर पोस्टेड थी। ऐसे में वो कैसे एलएलएम कर सकती हैं।
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