कांग्रेस मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने पीएम मोदी और बीजेपी पर हमला करते हुए उन्हें दानव मानसिकता वाला तक कह दिया है। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के बीजेपी के कार्यकर्ताओं को दानव बताने के बयान का समर्थन करते हुए कहा खेड़ा ने कहा- मैं इस बात से बिल्कुल सहमत हूं कि आज जो लड़ाई चल रही है, जो संघर्ष चल रहा है वह मानव और दानव के बीच में चल रहा है, इसमें कोई शक नहीं है।
खेड़ा ने कहा- संसद की कार्यवाही देखी होगी। 2 घंटे 13 मिनट तक प्रधानमंत्री का भाषण सुना, वे हंसी ठिठोली कर रहे हैं। फूहड़ मजाक चल रहा है। नारेबाजी चल रही है। एक तरफ मणिपुर में महिलाओं के साथ रेप हो रहा है, ऐसे हालात में इस तरह का आचरण दानव मानसिकता नहीं है तो क्या है? पवन खेड़ा प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
ऐसा प्रधानमंत्री कभी नहीं देखा
खेड़ा ने कहा- अपने देश की महिलाओं के साथ इतनी बदसलूकी हो रही है, रेप हो रहे हैं और सदन में प्रधानमंत्री फूहड़ मजाक, नारेबाजी का नेतृत्व कर रहे हैं। देश के इतिहास में कई प्रधानमंत्री देखे हैं, अलग-अलग पार्टी के प्रधानमंत्री देखें ,लेकिन ऐसा प्रधानमंत्री कभी नहीं देखा जो इस तरह से एक तरफ देश का एक हिस्सा पूरा जल रहा है और संसद में खड़े होकर फूहड़ और हल्के स्तर का मजाक कर रहे हैं।
देश को जिम्मेदार प्रधानमंत्री चाहिए, प्रचार मंत्री नहीं
खेड़ा ने कहा- प्रधानमंत्री मणिपुर का दौरा कब करेंगे? क्या मणिपुर में चुनाव होंगे तब दौरा करेंगे? जहां देखो प्रधानमंत्री वोट मांगने ही जाते हैं। जब चुनाव होते हैं उस वक्त वोट लेने के लिए जाते हैं। जहां देश में कोई मुसीबत आई तो प्रधानमंत्री का मुंह बंद, फोन बंद, आंखें बंद। इस देश को एक जिम्मेदार प्रधानमंत्री चाहिए, एक प्रचार मंत्री नहीं चाहिए।
गहलोत लोकप्रिय नेता इसलिए चौथी बार सीएम के नारे
कांग्रेस में सीएम फेस के सवाल पर पवन खेड़ा ने कहा- जहां मुख्यमंत्री बैठे हुए होते हैं, वहां चेहरे पर इस तरह सवाल नहीं होते हैं। चेहरे के सवाल तब उठते हैं जब हम विपक्ष में बैठे होते हैं। जब हम यहां सत्ता में बैठे हैं, सरकार है, पीसीसी प्रेसिडेंट आपके सामने है, गहलोत जी का चेहरा आपके सामने है और जो हमारी प्रक्रिया है नेता चुनने की तो ऐसे में वह सवाल नहीं उठता। गहलोत हमारे लोकप्रिय नेता हैं तो चौथी बार सीएम का नारा तो लगेगा ही। गहलोत हमारे लोकप्रिय नेता हैं, इतने पॉपुलर नेता हैं, उनके विषय में तो कोई सवाल नहीं होना चाहिए।
बीजेपी में 10 गुट, बीजेपी की आपसी लड़ाई में राजस्थान का फायदा
खेड़ा ने कहा- बीजेपी में अगर 10 नेता हैं तो 11 ग्रुप है। जिस पार्टी में इतने ग्रुप हैं, वह कैसे चुनाव लड़ेगी, किसका चेहरा सामने रखेगी? सुना है कोई रथ यात्रा निकल रही है। उसमें भी रथ में बैठने को लेकर की लड़ाई चल रही है। इनके पास में चेहरा ही नहीं है, इसलिए ये बाहर से चेहरे लाते हैं। मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के चेहरे आगे करते हैं। नड्डा पर तो वैसे भी दया आती है उन्हें तो यूं ही अध्यक्ष बना रखा है, पीछे रख दिया जाता है। अशोक गहलोत बिल्कुल ठीक कह रहे हैं क्योंकि स्थानीय बीजेपी में चेहरा ही नहीं है और चेहरा बनने नहीं दिया। आपसी लड़ाई में बीजेपी को नुकसान सबको दिख रहा है, उसमें राजस्थान का जरूर फायदा होगा।
इस बार राजस्थान में रिवाज टूटेगा
सरकार रिपीट के दावों के सवाल पर खेड़ा ने कहा कि जब गहलोत सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों की आंखों में संतुष्टि के भाव दिखते हैं। अशोक गहलोत की योजनाओं को देखकर हमें मन में भरोसा बनता है कि बिल्कुल सरकार रिपीट होगी। इस बार रिवाज टूटेगा और कांग्रेस की सरकार फिर से आएगी।
उदयपुर से चुनाव लड़ने से खेड़ा का इनकार, कहा- टिकट का मेरा हक नहीं बनता
उदयपुर से चुनाव लड़ने के सवाल पर पवन खेड़ा ने कहा कि मेरा चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है। पार्टी ने जो काम दे रखा है उससे बहुत संतुष्ट हूं और मेरा फोकस रहेगा उस काम पर खरा उतरें। उदयपुर में जो 20-25 साल से हमारे कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं टिकट पर उनका हक बनता है। मैं उदयपुर का हूं, लेकिन मैं वहां सक्रिय राजनीति में नहीं रहा, वहां टिकट का मेरा हक नहीं बनता।
छात्र संघ चुनावों से चरमरा रही थी कानून
छात्र संघ चुनाव को टालने के सवाल पर पवन खेड़ा ने कहा कि जिस तरह से कानूनी व्यवस्था चरमराते हुए दिख रही थी, उसमें यह कदम परिपक्व कदम है। जहां एबीवीपी के लोग रेप तक में शामिल हो उनको कुछ कहने का हक नहीं है।
मायावती राजस्थान का दौरा करें
मायावती के बयान पर पलटवार करते हुए खेड़ा ने कहा- मायावती को हम आंकड़े जरूर भेजेंगे, लगता है सही तस्वीर उनके पास नहीं पहुंची। राजस्थान में किस तरह से कितनी जन कल्याण की योजनाएं आई और कैसे लोगों को राहत मिली है। हम तो उनको आमंत्रित भी करेंगे कि मायावती राजस्थान आएं, यहां का दौरा करें और अपने वर्कर से मिलें और पूछें। हमारे वर्कर से नहीं मिले, कोई बात नहीं, आम आदमी से मिले तो उन्हें समझ में आ जाएगा कि कैसे गहलोत सरकार ने पिछले 5 साल में रिकॉर्ड जन कल्याण की योजनाएं दी हैं।
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