उदयपुर में चल रहे राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के 9वें सम्मेलन में दूसरे दिन आज 'लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से देश को मजबूत करने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका' पर चर्चा शुरू हुई। इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सदन की कार्यवाही और उससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
कार्यवाही में पारदर्शिता लाने की योजना: लोकसभा स्पीकर
इस दौरान लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि सीपीए एक नवाचार है जिसमें एक राज्य से दूसरे राज्य की संसदीय परंपराओं का आदान-प्रदान होता है। इसी के जरिए देश ने पिछले 75 सालों में बदलाव की दिशा देखी है। उन्होंने कहा कि आज तकनीक के जमाने में कई सदनों की कार्यवाही पेपर लेस हो चुकी है।
लोकसभा स्पीकर का कहना था कि आने वाले समय में सदन की कार्यवाही में पारदर्शिता लाने की योजना तैयार की जाएगी। ताकि राज्य की विधानसभा में जो भी चर्चा या मुद्दे उठे वे सीधे जनता की पहुंच में हों। आज देश में कानून बन जाते हैं और उसकी जानकारी जनता को होती ही नहीं। जनता उसके प्रभाव को पूरी तरह नही समझ पाती। उन्होंने कहा कि कानून बन जाते हैं और उनके नियम नहीं बनते ये चिंता की बात है। मेरा आग्रह है कि जो कानून पारित हो जाते हैं उनके नियम तय सीमा में बना दिए जाएं।
हर विषय पर डिबेट करें जनप्रतिनिधि
उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमें इस आयोजन से जनप्रतिनिधियों के जरिए समृद्ध राष्ट्र बनाना है। कई सदनों की गिरती गरिमा भी चिंता का विषय है। जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों की है कि वे सदन में हर विषय पर डिबेट करे, सवाल करें। जनप्रतिनिधि हर स्तर पर सक्षम हों, इसके लिए हम सम्मेलन करते रहते हैं। सीपीए का सम्मेलन भी इसलिए होता है और नए नवाचार साझा होते हैं। जनप्रतिनिधि वर्तमान और आने वाले 25 साल की भी चर्चा सदन में करें। नियोजित तरीके से सदन में गतिरोध पैदा करना चिंता की बात है। इन सदनों को और सार्थक और मजबूत बनाएंगे।
संसदीय व्यवस्थाओं के लिए फैसले
इस दौरान संसदीय व्यवस्थाओं के लिए कई नए फैसले लिए गए। इस दौरान सदनों को पेपरलेस बनाने पर काम शुरू होगा। वहीं जहां ये व्यवस्था नहीं है वहां जल्द इसे लागू करने के प्रयास किए जाएंगे। सभी सदनों की सारी कार्यवाही ऑनलाइन होगी। सदनों के प्रति जनता की भागीदारी बढ़ाने का काम किया जाएगा। सीपीए का एक कार्यालय संसद में भी स्थापित किया जाएगा।
सदन की मर्यादा बनाएं रखेराज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि सदस्यों को सदन की मर्यादा का ख्याल रखना होगा। शब्दों की सीमा तय होनी चाहिए। ताकि सदन की गरिमा का उल्लंघन नहीं हो। उन्होंने राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने संसदीय परम्परा को कायम रखा और कई नवाचार किए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि सदन में सदस्यों के लिए प्रश्नों के जवाब ऑनलाइन उपलब्ध होने चाहिए, ये व्यवस्था कई सदनों ने की है। इससे जनप्रतिनिधियों को भी जानकारी रखने में सुविधा होती है।
जनता की समस्याओं का समाधान करें जनप्रतिनिधि: उपराष्ट्रपति धनखड़
सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सीपीए के साथ मेरा जुड़ाव तीन दशकों से भी अधिक पुराना है। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र सबसे बड़ा हैं। भारत में ग्राम स्तर पर, पंचायत स्तर पर, जिला परिषद स्तर पर, राज्य स्तर पर और केंद्रीय स्तर पर संवैधानिक रूप से लोकतंत्र की संरचना की गई है। यह मंच हमें वर्तमान की चुनौतियों से संबंधित चर्चा में शामिल होने का अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि जनता के प्रतिनिधि के रूप में प्रत्येक विधायक की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है कि वह लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए बेहतर प्रयास करे। जब लोग विधायक चुनते हैं तो वे उनसे बहुत उम्मीद रखते हैं।
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