जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. सीपी जोशी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दोस्ती पर कहा कि वे मेरे दोस्त नहीं हैं। पहले मैं उनका फॉलोअर था, लेकिन अब कॉलोबरेटर(सहयोगी) हूं।

गहलोत और जोशी जोधपुर के दो दिन (रविवार और सोमवार) के दौरे पर थे। सोमवार शाम जोधपुर के एक होटल में मीडिया से इंटरेक्शन था। इस दौरान किसी ने सवाल किया कि अशोक गहलोत आपके दोस्त हैं, तो उन्होंने ये जवाब दिया।

राजनीति की शुरुआत की तब फाॅलोअर था, हमारे विचारों में मतभेद
सीपी जोशी ने आगे कहा- मैंने जब राजनीति में करियर शुरू किया, उस समय मैं अशोक गहलोत का फॉलोअर था।

उन्होंने कहा- एक फॉलोअर होता है, एक कॉलोबरेटर और एक पार्टनर। मैं अशोक गहलोत का दोस्त नहीं हूं। मुझे अशोक गहलोत ने सरकार में जो पद दिया और काम करने का मौका दिया, इससे मेरी एक स्टेज बनी है। इनके कार्यकाल में आज मेरी जो स्थिति बनी है स्पीकर और सेंट्रल मिनिस्टर की। इसलिए मैं अपनी स्पेस कॉलोबरेटर के जैसी कर रहा हूं न कि फॉलोअर की तरह।

जोशी ने कहा- इसलिए हमारे व इनके बीच में विचारों का मतभेद है। फॉलोअर और कॉलोबरेटर में एक अंतर होता है। फाॅलोअर अपने नेता की बात ब्लाइंडली फॉलो करता है। जबकि कॉलोबरेटर अपनी बात रख फॉलो करता है। मैं अपनी स्पेस क्रिएट कर फिर इनको लीडरशिप देता हूं, इसलिए मैं दोस्त नहीं, कॉलोबरेटर हूं।

जोशी ने सीएम की तारीफ की
सीपी जोशी ने मुख्यमंत्री के 40 वर्ष के राजनीति सफर के बारे में कहा कि आज की जनरेशन नहीं जानती कि पश्चिमी राजस्थान में पानी कौन लाया? यहां रेतीले टीले थे, लेकिन आज जो डेवलपमेंट हुआ है उसकी वजह गहलोत हैं।

उन्होंने कहा कि राजनीति में काम करना बहुत कठिन होता है। जो लोग प्रस्पेक्टिव हैं, वे अपनी पूरी गुडविल को समाज में खर्च करेंगे, तब एरिया का भी डेवलपमेंट होगा। इन सब के बाद रास्ता निकाल कर लीडरशिप करना कोई आसान काम नहीं है और गहलोत यह कर रहे हैं।

आज गहलोत केवल सरदारपुरा के एमएलए नहीं हैं। वे देश की क्राउनिंग पर्सनैलिटी हैं। इसलिए पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए ऑफर किया था। वे बोले- आज के समय में सरकार को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है और उस चुनौती का सामना गहलोत ने किया।

सीपी जोशी बोले- अशोक गहलेात ही हैं, जिन्होंने मुश्किल हालात में 5 साल सरकार चलाई है। ये बात वे ही जानते हैं, उनका मन ही जानता है। यह उनके अनुभव और राजनीतिक कौशल से ही संभव हो पाया है। हम दोनों के काम करने के तरीके हैं, इसलिए वैचारिक मतभेद हैं। लेकिन, सभी को साथ लेकर चलने का अशोक गहलोत जी में जबरदस्त कौशल है।