सामुदायिक एकजुटता और पर्यावरण सक्रियता के एक उल्लेखनीय प्रदर्शन में, पिछले 10 दिनों से प्रतिदिन लगभग 200 चिंतित नागरिक जयपुर, राजस्थान में डोल का बाढ़ जंगल के संभावित विनाश का विरोध करने के लिए एक साथ आकर अपना आक्रोश प्रकट कर रहे हैं। प्रदर्शन का उद्देश्य इस अद्वितीय जंगल डोल का बाढ़ की रक्षा करना है। वन की जैव विविधता की सुरक्षा के लिए, प्रदर्शनकारी पारुल कंस्ट्रक्शन (वन में पेड़ों और अन्य वनस्पतियों को हटाने के लिए सरकारी टेंडर प्रदान किया गया था) द्वारा लाए गए बुलडोजरों की राह में खड़े हो गए। बुलडोजर चालक व रीको अधिकारियों ने प्रदर्शन में भाग ले रही महिलाओं व बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार किया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को लाठी के साथ आने को कहा। रीको अधिकारियों ने सभी प्रदर्शनकारियों को धमकी दी और कहा कि वे हॉस्टल में छात्रों को बुलाएंगे और प्रदर्शनकारियों को पिटवाएंगे। उन्होंने महिलाओं को गालियां दी और उपशब्दों का भी उपयोग किया।
जब प्रदर्शनकारियों ने बुल्डोजर रोकने का प्रयास किया तब रीको अधिकारी ने बुलडोजर चालक को आदेश दिए के वह काम न रोके, बेशक उसके काम में किसी को चोट ही लग जाए। बुलडोजर चालक ने महिला प्रदर्शनकारियों को चोटिल भी किया, और उनके ऊपर मिट्टी भी डाली।
तारों की खूंठ में स्थित डोल का बाध जंगल, पिछले 40 वर्षों में वनस्पतियों और जीवों दोनों के लिए एक अभयारण्य व आश्रय के रूप में विकसित हुआ है। इसमें 74 पक्षी प्रजातियों की विविध श्रृंखला के साथ-साथ कई प्राकृतिक पक्षियों जैसे कि इंडियन रोलर, येलो फुटेड ग्रीन पिजन, ग्रे हॉर्नबिल, अलेक्जेंड्राइन पैरोकिट, प्लम-हेडेड पैरोकिट, स्पॉटेड अफलेट, कूकू श्रैक, आदि की गिनती की गई है। यह गर्मियों में गोल्डन ओरियल, कूकू हॉक, मिनिवेट, और ओरिएंटल हनी बज़र्ड और सर्दियों में बैबलर, ट्री पाइपेट, और रेडस्टार्ट जैसे प्रवासी पक्षियों के लिए उनकी प्रवासी यात्राओं के दौरान एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है । यहां लगभग 20 नीलगाय हैं - 15 मादाएं और 5 नर। नीलगाय के अलावा, यहां जंगली खरगोश, कीट, और कई पक्षियों की कई प्रजातियाँ हैं जो जमीन पर घास में अंडे देती हैं - जैसे कि तीतर, मोर और अन्य। यह वन प्राकृति की क्षमता का प्रमाण है ।
पर्यावरण व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, प्रकृति प्रेमियों और चिंतित नागरिकों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग एक साझे उद्देश्य के लिए एक साथ आए। नारों, गीतों और बातचीत के साथ, प्रदर्शनकारियों ने जंगल के चारों ओर रैली की और बुलडोज़रों को इस बहुमूल्य निवास स्थान पर अतिक्रमण करने से रोकने के लिए एक मानव श्रृंखला बनाई।
निर्माण परियोजना के लिए पारुल कंस्ट्रक्शन को राजस्थान सरकार द्वारा टेंडर प्रदान किया गया था, जिसने स्थानीय समुदाय और पर्यावरणविदों के बीच आशंकाएं पैदा हो गईं। प्रदर्शनकारी इस बात का तर्क देते हैं कि विकास महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे हमारे प्राकृतिक खजाने से समझौता करने और दशकों से विकसित डोल का बाढ़ को मिटाने की कीमत पर नहीं आना चाहिए।
डोल का बाढ़ पक्षियों की विविधता का समर्थन करता है, और 2400 की कुल पेड़ संख्या और 60 से अधिक औषधीय जड़ी-बूटियों के साथ कई पेड़ प्रजातियों का घर है। यह वन एक मौलिक शैक्षिक संसाधन है, जो प्राकृति के संवेदनशील संतुलन और जीवन रूपों के आपसी संबंध की जानकारी प्रदान करता है। यह आत्मनिरीक्षण, मनोरंजन और अन्वेषण के लिए एक अभयारण्य बन गया है। प्रदर्शनकारी राजस्थान सरकार से यह अनुरोध कर रहे हैं कि इस ज़मीन पर एक फिनटेक पार्क विकसित करने पर पुनर्विचार करें और अन्य संभावित समाधानों की खोज करें जो डोल का बाढ़ की जैव विविधता की प्राथमिकता देते हैं। वे एक दृष्टिकोण की तलाश में हैं जो पर्यावरण को महत्व देता है और प्रगति और संरक्षण को संतुलित करने का उद्देश्य रखता है।
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