जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान में इस साल होने वाले छात्रसंघ चुनाव अब नहीं होंगे। शनिवार देर रात उच्च शिक्षा विभाग की अहम बैठक में यह फैसला किया गया। सरकार के इस फैसले के कुछ ही देर बाद प्रदेशभर में विरोध का सिलसिला भी शुरू हो गया है।

राजधानी जयपुर में छात्र नेताओं ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार कर छात्रसंघ चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया तो प्रदेशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।

दरअसल, शनिवार को छात्रसंघ चुनाव को लेकर उच्च शिक्षा विभाग की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने नई शिक्षा नीति-2020 लागू करने के साथ ही यूनिवर्सिटी में चल रही एडमिशन और रिजल्ट प्रक्रिया का हवाला देकर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने की बात कही, जिस पर सर्वसम्मति से इस साल चुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया।

कुलपतियों का तर्क- धनबल-बाहुबल का उपयोग किया जा रहा
उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश में कहा- विवि के कुलपतियों ने यह स्पष्ट किया है कि छात्रसंघ चुनावों में धनबल और बाहुबल का खुलकर उपयोग किया जा रहा है और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन किया जा रहा है। यदि चुनाव कराए जाते हैं तो पढ़ाई प्रभावित होगी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं हो पाएगा, इसलिए छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया है।

छात्र नेता मनु दाधीच ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव टालने के फैसले के बाद राजस्थान कांग्रेस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई हैं, जिस राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 का हवाला देकर सरकार छात्रसंघ चुनाव नहीं करने का फैसला किया गया है, वह 2020 से अब तक लागू हो जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन की लापरवाही की वजह से वह आज तक लागू नहीं हो पाई, तो अब कैसे लागू हो जाएगी।

मनु ने कहा कि इस साल राजस्थान यूनिवर्सिटी में एडमिशन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है, जिसके लिए स्टूडेंट नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी प्रशासन और सरकार जिम्मेदार है, लेकिन इसकी सजा आम छात्रों को दी जा रही है। यह हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार ने अगर अगले 24 घंटे में छात्र संघ चुनाव कराने का फैसला नहीं किया तो प्रदेशभर के युवा एक साथ मिलकर इस चुनाव में इसका जवाब देंगे।

राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र नेता देव पलसानिया ने कहा कि राजस्थान की तानाशाह कांग्रेस सरकार ने NSUI की हार के डर से इस साल चुनाव नहीं करने का फैसला किया है, जो भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। इसके साथ ही हम यह मांग करते हैं कि सरकार एक बार फिर अपने फैसले पर रिव्यू कर छात्रसंघ चुनाव की तारीख का ऐलान करे।

राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र नेता महेश चौधरी ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों और प्रदेशभर के कुलपति द्वारा गलत तथ्य पेश कर छात्रसंघ चुनाव स्थगित कराने का षड्यंत्र रचा गया है।

CM ने कहा था, मैने फिर से शुरू करवाए थे चुनाव इससे पहले शनिवार को मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव को लेकर शिक्षा राज्य मंत्री राजेंद्र यादव ही फैसला करेंगे। हालांकि मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि जब चुनाव बंद हो गए थे, तब मैं ही वह मुख्यमंत्री हूं, जिसने फिर से चुनाव शुरू करवाए थे। हमसे बड़ा कमिटमेंट चुनाव को लेकर किसी और का नहीं हो सकता।

गहलोत ने कहा था कि आज चुनाव से पहले ही स्टूडेंट इस तरह पैसे खर्च कर रहे हैं, जैसे एमएलए-एमपी के चुनाव लड़ रहे हों। आखिर कहां से पैसा आ रहा है और इतने पैसे क्यों खर्च किए जा रहे हैं, जबकि यह सब लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के खिलाफ है। छात्र नेता इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं, हम इसे पसंद नहीं करते हैं।

इन यूनिवर्सिटी और कॉलेज में नहीं होंगे चुनाव
राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर, मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर, कोटा विश्वविद्यालय कोटा, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर, पं. दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर, राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय अलवर, गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा, हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय जयपुर, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय, जयपुर और एम.बी.एम. विश्वविद्यालय जोधपुर के साथ ही प्रदेश के 400 सरकारी और 500 से अधिक प्राइवेट कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लग गई है। इस वजह से प्रदेश के 6 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकेंगे।

राजस्थान में साल 2005 छात्रसंघ चुनाव के दौरान काफी हंगामा और हुड़दंग हुआ था, जिसके बाद हाईकोर्ट में पीआईएल दायर की गई थी। साल 2006 में कोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी। इसके बाद साल 2010 में एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव की शुरुआत हुई थी।

हालांकि, साल 2020 और 2021 में भी कोरोना संक्रमण की वजह से छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पाए थे। लेकिन पिछले साल 29 जुलाई को एक बार फिर सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने का फैसला किया था। इसके बाद प्रदेशभर में पिछले साल 26 अगस्त को वोटिंग, जबकि 27 अगस्त को काउंटिंग और रिजल्ट की प्रक्रिया पूरी की गई थी।