चित्तौड़गढ़ - गोपाल चतुर्वेदी 

प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अनुरूप शनिवार को राजीव गांधी शहरी ओलंपिक खेलों का प्रदेश में एक साथ आगाज हुआ है जिसमें चित्तौड़गढ़ में इंदिरा गांधी स्टेडियम राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत के कर कमलों से खेल महोत्सव का उद्घाटन किया। इस खेल महोत्सव में पारंपरिक खेलो जिसमें कबड्डी,  खो-खो, वॉलीबॉल, टेनिस बॉल क्रिकेट सहित अन्य खेलो को शामिल किया गया है। खेल प्रतियोगिता में टीमों को 6 क्लस्टर में विभाजित किया गया है जिसमें कुल 1061 टीमों के 8000 से अधिक खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। पहले दिन उद्घाटन सत्र से पहले और सत्र के कुछ घंटों के बाद खेल स्थल इंदिरा गांधी स्टेडियम का नजारा कुछ अलग ही दिखाई दिया जिसमें यह स्टेडियम खिलाड़ियों का नही होकर गायों व अन्य गोवंश कि लड़ाई का मैदान दिखाई दियाl 

इस प्रतियोगिताओं की व्यवस्थाओं और आयोजित कराने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से शारीरिक शिक्षकों पीओ के रूप में प्रधानाध्यापकों के साथ अन्य अध्यापकों और नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई लेकिन उपरोक्त अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं को गंभीरता से नहीं लिया और प्रतियोगिता स्थल से गायब हो गए। 

जब इसके बारे में नगर परिषद आयुक्त रविंद्र कुमार यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता में व्यवस्थाओं के लिए लिए दो प्रभारी और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है जिसमें जानकारी में सामने आया है कि करीब 20 से 25 अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी नगर परिषद की ओर से लगाई गई है लेकिन जब हमारी टीम मौके पर पहुंची तो वहां पर अधिकारी पर कर्मचारी नदारद पाए गए। 

शिक्षा विभाग के करीब 20 शारीरिक शिक्षकों के साथ विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों पर क्षेत्र के पीओ की भी ड्यूटी लगाई गई लेकिन यह सभी कर्मचारी और अधिकारी मुख्यमंत्री की मंशा को न मानते हुए लापरवाही करते हुए स्थल से नदारद पाए गए।  जब इस बारे में प्रतियोगिता के आयोजक सीबीओ जयारानी राठौर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस पूरी प्रतियोगिता का जिम्मेदारी एक महिला पीटीआई को दी गई है यह कहते हुए उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। 

गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप इस प्रतियोगिता को आयोजित कराने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में छुपी प्रतिभाओं को आगे लाकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना है लेकिन चित्तौड़गढ़ में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यही लगता है कि जिस तरह से शिक्षा विभाग और नगर परिषद अधिकारियों और कर्मचारी की लापरवाही इस महाकुंभ के पहले दिन दिखाई दी है उससे नहीं लगता है कि चित्तौड़गढ़ से किसी प्रतिभा को सामने लाया जा सकेगा l