जयपुर में करीब 10 माह बाद हुई बीस सूत्री कार्यक्रम की रिव्यू बैठक में उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान खासे नाराज दिखाई दिए। कलेक्टर, जिला परिषद सीईओ के अलावा कई विभागों के सीनियर अधिकारी इस बैठक में नहीं पहुंचे। एक-एक विभाग के कार्यों की समीक्षा की तो पता चला कृषि विभाग, राजस्थान कौशल और आजीविका विकास निगम, हायर एजुकेशन, नगर निगम ग्रेटर जयपुर का तो एक भी अधिकारी-कर्मचारी बैठक में नहीं पहुंचा।
इस डॉ. चंद्रभान को बैठक में बार-बार एक ही बात कहनी पड़ी कि अधिकारी ही नहीं है तो ये रिव्यू बैठक क्यों बुलाई है। चंद्रभान ने तंज कसते हुए कहा- जयपुर एकमात्र ऐसा जिला है। जहां इतनी महत्वपूर्ण बैठक में भी अधिकारी मौजूद नहीं होते हैं। जबकि सभी जिलों में कलेक्टर और अन्य सभी डिपार्टमेंट के एचओडी बैठक में आते है।
दरअसल, बीस सूत्री कार्यक्रम देश से गरीबी हटाने का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इसका मुख्य उद्देश्य वंचित, पिछड़ों, आर्थिक व सामाजिक रूप से शोषित वर्ग के जीवन स्तर में सुधार करना है। इस बैठक में सरकार के तय किए टारगेट वर्क पर विभागों ने कितना-कितना काम किया। सरकार की फ्लैगशिप स्कीम से ग्राउंड स्तर पर लोगों का क्या रिस्पॉन्स है। इसकी जानकारी के लेने के लिए ये बैठक आज बुलाई थी। इसमें आज नरेगा, राजीविका, राजस्व विभाग, रसद विभाग, ग्रामीण विकास, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड, पीएचईडी, मेडिकल हेल्थ समेत 13 विभागों के कार्यों की समीक्षा और उनकी प्रगति रिपोर्ट रखी गई।
एक भी सीएमएचओ मौजूद नहीं
जयपुर जिले में दो सीएमएचओ हैं। मेडिकल सेक्टर में सबसे ज्यादा फ्लैगशिप स्कीम सरकार चला रही है। उन्होंने जब मेडिकल सेक्टर से संस्थागत प्रसव, शुद्ध के लिए युद्ध अभियान, चिरंजीवी योजना, मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच और दवा योजना के बारे में जानकारी थी। उन्होंने पूछा कि क्या कोई सीएमएचओ यहां आया है। बैठक में मौजूद डिप्टी सीएमएचओ ने कहा- वे किसी कार्यक्रम में गए हैं। इसके बाद चंद्रभान ने पूछा कि जयपुर में सबसे ज्यादा मिलावटी केस मिलते आप लोगों ने इतने केस भी पकड़े, लेकिन सजा कितने को दिलाई ये बताई। इस पर डिप्टी सीएमएचओ कोई जवाब नहीं दे पाई। उन्होंने कहा- सजा तो नहीं दी गई, लेकिन चालान जरूर बनाए गए हैं।
नरेगा में 100 दिन का भी नहीं मिल रहा रोजगार
बैठक में नरेगा के मुद्दे पर चर्चा हुई तो देखा कि जयपुर में औसतन 16 दिन का भी औसत वर्किंग डे नहीं हो रहा। चंद्रभान ने अधिकारियों को बताया- इस साल जुलाई तक आपने जयपुर में 4.36 लाख जॉब कार्ड जारी किए हैं। जबकि इसके बदले अब तक 24.92 लाख मानव दिवस ही किए गए है। उन्होंने कहा कि आखिर जयपुर में हो क्या रहा है। क्या आप मनरेगा मजदूरों से काम नहीं ले पा रहे है या आपके पास काम करवाने के लिए प्लानिंग नहीं है।
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