जिला स्तरीय युवा महोत्सव में कलाकारों ने दिखाई प्रतिभा

हनुमानगढ़ - विश्वाश कुमार 

प्रदेश की लोक कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहित करने हेतु राजस्थान युवा बोर्ड द्वारा राजस्थान युवा महोत्सव का आयोजन करवाया जा रहा है। जिसका उद्देश्य राज्य के प्रतिभाशाली युवा कलाकारों की खोज करना तथा उन्हें प्रशिक्षण एवं सुविधा देकर राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु तैयार करना है ताकि कलाकारों को स्वावलंबी बनाया जा सके। इसी सिलसिले में सोमवार को अरिहंत भवन में जिला स्तरीय युवा महोत्सव का आगाज हुआ । 

जिला स्तरीय युवा महोत्सव में ओबीसी वित्त एवं विकास आयोग के अध्यक्ष श्री पवन गोदारा, जिला प्रमुख श्रीमती कविता मेघवाल बीसूका उपाध्यक्ष सुरेंद्र दादरी, श्री भूपेंद्र चौधरी, नगर परिषद् सभापति गणेश राज बंसल, सीडब्ल्यूसी चेयरमैन जितेंद्र गोयल,जिला अहिसा प्रकोष्ठ के सह संयोजक तरुण विजय, जिला परिषद सदस्य मनीष मक्कासर, गुरमीत चंदडा,एडिशनल एसपी बी एल मीणा,जिला युवा अधिकारी रीना केसरिया, डीईओ हंसराज जाजेवाल इत्यादि उपस्थित रहे ।

डीईओ हंसराज जाजेवाल ने बताया कि ब्लॉक स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में विजेता रहने वाले प्रथम तीन स्थानों के कलाकारों ने जिला स्तरीय कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जिले के 7 ब्लॉक में से 6 ब्लॉक के कलाकारों ने जिला स्तरीय कार्यक्रम में हिस्सा लिया । जिला स्तर से विजेता प्रथम तीन स्थानों के कलाकारों को राज्य स्तरीय युवा महोत्सव जयपुर में अपना प्रदर्शन दिखाने का मौका मिलेगा । 

विजेता कलाकार होंगे पुरस्कृत

जाजेवाल ने बताया कि जिला स्तरीय युवा महोत्सव में प्रत्येक प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर विजेता रहने वाले कलाकारों को कला रत्न स्मृति चिह्न सहित प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जायेगा। राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में प्रत्येक प्रतियोगिता में विजेता रहने वाले कलाकारों को नकद पुरस्कार, कला रत्न स्मृति चिह्न सहित प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जायेगा। सामूहिक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले कलाकारों को 20 हजार, द्वितीय स्थान को 15 हजार और तृतीय स्थान को 10 हजार, वहीं एकल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान को 5 हजार, द्वितीय स्थान को 3 हजार और तृतीय स्थान को 2 हजार रु नगद पुरस्कार स्वरूप दिए जायेंगे।

महोत्सव में यह हो रही है प्रतियोगिताए

युवा महोत्सवों में सामुहिक लोक गायन, सामुहिक लोकनृत्य, शास्त्रीय नृत्य - कथक, भरतनाट्यम, ओड़िसी, मणिपुरी, कुचीपुरी , शास्त्रीय (हिन्दुस्तानी) नाटक, चित्रकला (पोस्टर बनाना, मिट्टी मॉडलिंग), भित्ती चित्र, आशू भाषण (स्लोगन लेखन व एकल गायन कविता ), शास्त्रीय वाद्य यन्त्र - हारमोनियम, तबला, बांसुरी, गिटार, सितार, मृदंग वीणा, फोटोग्राफी के साथ ही राजस्थान की लुप्त कला - फड़, रावण हत्था, रम्मत, अलगोजा, मांडना, लंघा मांगणियार, कठपुतली, खडताल, मोरचंग, भपंग आदि का आयोजन किया जा रहा है ।