जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

चौपासनी हाउसिंग बोर्ड मारवाड़ अपार्टमेंट के सामने झुग्गी के लोगों ने गुरुवार दोपहर पहले पुलिस पर पत्थर व शराब की बोतलें फेंकी। बाद में आवासन मंडल अतिक्रमण दस्ते पर पथराव किया। इसमें तीन अधिकारियों व राहगीरों को चोटें आई। बोतलें फेंकने से क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। घटनाक्रम सुबह 11 बजे शुरू हुआ। शाम 6 बजे अतिक्रमण हटाया। हाउसिंग बोर्ड पुलिस ने अज्ञात उपद्रवियों पर राजकीय कार्य में बाधा का केस किया है। थानाधिकारी जुल्फिकार अली ने बताया कि मारवाड़ अपार्टमेंट के पास हाउसिंग बोर्ड की भूमि पर लंबे समय से अवैध झुग्गियां हैं। गुरुवार दोपहर पुलिस जाब्ता और आवासन मंडलकर्मी व अतिक्रमण दस्ता पहुंचा तो पहले से जमे लोग घरों में से बीयर की बोतलें सहित पत्थर फेंकने लगे। ये बोतलें रास्ते से गुजरती कारों, ऑटो चालकों व अन्य गाड़ियों पर गिरीं। कुछ कारों के कांच फूट गए। हंगामा होता देख कार चालक मौके पर नहीं रुके।

हंगामे के बाद सीता जोगी (30) निवासी देवगढ़ राजसमंद मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि महिला गर्भवती सुबह डिलेवरी हुई थी। धक्का-मुक्की से अंदरूनी चोट से मौत हो गई। थानाधिकारी जुल्फिकार ने बताया कि पुलिस ने डंडे नहीं चलाया। बस्ती वाले उन पर पथराव कर रहे थे। भोपालगढ़ विधायक पुखराज गर्ग भी पहुंचे। महिला के परिजनों ने कोई दर्ज नहीं कराया है। रात में सूरसागर विधायक सूर्यकंता व्यास भी पहुंची।

समझाइश करने आई पुलिस पर की पत्थरबाजी

अचानक पत्थरबाजी हुई तो कर्मचारियों को भागना पड़ा। पुलिस समझाइश करने पहुंची, लेकिन उन पर भी पत्थरबाजी हुई। उसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की तो स्थानीय लोग विरोध में उतर आए। उन्होंने कुछ देर तक मुख्य सड़क को अवरुद्ध कर दिया। स्कूल वैन पर भी गिरी बोतलें आसपास के स्कूलों की छुट्टी के बाद ऑटो व वैन पर भी बोतलें गिरीं तो कई बच्चे सहम गए। गनीमत रही कि ऑटो व वैन चालकों ने अपनी गाड़ियां वहां से भगा दीं।

सेक्टर 12 व 14 के बिजलीघर के पास करोड़ों की मंडल की जमीन पर कब्जे हैं। हटाने मंडल और पुलिस पहुंची। एक तरफ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की. जैसे ही सड़क के दूसरी ओर अतिक्रमण हटाने लगे तो झुग्गी वालों ने टीम पर हमला बोल दिया। बोतल व पत्थरबाजी की इसमें मंडल उपायुक्त आरएस भाटी, श्रवण कुमार, मीठालाल सांखला व पुखराज में घायल हुए। क्षेत्रवासियों ने बताया कि सुबह जब टीम पहुंची तो पुलिस सपोर्ट नहीं कर रही थी। उत्पातियों को रोकने के बजाय मंडल की टीम को हटने को कहा। मामला हल नहीं हुआ तो मजबूरन मंडल के अधिकारियों व कर्मचारियों को ही सड़क पर बैठना पड़ा।