जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

पहली बार कानूनों को लेकर रोचक स्थिति बनी है। दशकों से होता यह आया है कि केंद्र की सरकार पहले संसद में बिल पारित करवाती थी।

फिर वे कानून नीचे राज्यों की सरकारें भी लागू करती थी, लेकिन इस बार उल्टा हुआ। राजस्थान की सरकार ने पांच-छह बिल पहले पारित किए। केंद्र सरकार उसी शीर्षक या उसी मंतव्य से जुड़े बिल संसद में बाद में लेकर आई।

यहां तक कि माॅब लिंचिंग से लेकर संगठित अपराधों को रोकने का कानून लाने वाला राजस्थान पहला राज्य है। नकल से लेकर संगठित अपराधों पर नियंत्रण के लिए राजस्थान विधानसभा 3 साल में 2-2 बार कानून ले आई। अब केंद्र तीन कानूनों को मिलाकर ऐसे अपराधों की रोकथाम का कानून लाने जा रही है।

1-राजस्थान ने पारित किया- राजस्थान सिनेमा विनियम (संशोधन) विधेयक 2023

  • 18 जुलाई को सदन में रखा, 21 जुलाई को पारित किया गया।
  • केंद्र सरकार ने संसद से सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 31 जुलाई को पारित करवाया।
  • पायरेसी रोकने, फिल्म चोरी की जांच करने, प्रमाणन की आयु-आधारित श्रेणियों को पेश करने और अनावश्यक को हटाने संबंधी कानून है।

2- राजस्थान सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक 202317 जुलाई को रखा, 19 जुलाई को पारित किया गया, इसमें इंटर स्टेट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटियों पर शिकंजा कसने के प्रावधान किए गए।

  • केंद्र ने 25 जुलाई को लोकसभा में बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2022 लोकसभा ने विधेयक पारित कर दिया।

3- राजस्थान विधियां निरसन विधेयक 2023

  • 14 जुलाई को सदन में रखा, 19 जुलाई को पारित कर दिया। इसमें 133 अनुपयोगी कानून निरस्त किए गए।
  • केंद्र ने निरसन और संशोधन विधेयक, 2022 को 27 जुलाई 2023 को लोकसभा में पारित करवाया। इस अधिनियम से 76 अप्रचलित या निरर्थक कानूनों निरस्त हो जाएंगे।

4- राजस्थान संगठित अपराध का नियंत्रण विधेयक 2023

  • सदन में 15 मार्च को रखा और 18 जुलाई को पारित किया। इसमें गिरोह बनाकर किसी की हत्या, डकैती आदि करते हैं। मॉब लिंचिंग करते हैं। उनके खिलाफ सजा बढाई।
  • केंद्र ने संसद में 11 अगस्त 2023 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 प्रतिस्थापित किया। नस्लीय हिंसा, 5 या अधिक द्वारा किसी की हत्या पर सजा उम्र कैद आदि सजा बढ़ाने का प्रावधान। लेकिन अगले सत्र में पारित करवाया जाएगा।

5- रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट बिल):

  • यह बिल लोकसभा में 26 जुलाई को पेश किया गया और फिर पास किया गया। इस बिल के जरिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को आसान बनाया गया है, साथ ही राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जन्म और मृत्यु के विधेयक के लागू होने पर जन्म और मृत्यु पंजीकरण के बदल जाएंगे। जन्म प्रमाणपत्र के लिए आधार नंबर अनिवार्य होगा।