अजमेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

किशनगढ़ नगर परिषद में किसी दूसरे की जमीन का आवासीय पट्टा किसी अन्य के नाम बनाने का मामला सामने आया है। जिस व्यक्ति के नाम का फर्जी पट्टा बना, उसने इसी साल 28 फरवरी को पट्टा मिलते ही भूखंड फुलेरा के किसी व्यक्ति को बेच भी दिया था। इस मामले में एफआईआर होने और परिषद में शिकायत के बाद जब जांच हुई तो मामले में एटीपी और पटवारी की रिपोर्ट पर पट्टा जारी होने की कहानी खुलकर सामने आ गई।

मामला उजागर होने के बाद परिषद ने अब पट्टा निरस्त कर दिया है, लेकिन पट्टा जारी होने से लेकर रद्द होने तक दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई। मामला अग्रसेन नगर में खसरा नंबर 382 किशनगढ़ बी में विखंडित भूखंड संख्या डी-41 (क्षेत्रफल 479.17 वर्गगज) का है।

उपखंड अधिकारी (भूअ) की ओर से 28 अप्रैल 1993 को खसरा नंबर 382 किशनगढ़ बी में विखंडित भूखंड संख्या डी-41 (क्षेत्रफल 479.17 वर्गगज) का आवासीय पट्टा भंवरलाल पुत्र जेठू भांभी को दिया गया था। इन्हीं से इस भूखंड को 28 अगस्त 1993 को बालमुकुंद अग्रवाल पुत्र दुर्गालाल अग्रवाल ने खरीदा था। जबकि, परिषद ने 21 नवंबर 2022 को कृषि भूमि नियमन/3252 के तहत सांवतसर निवासी लक्ष्मण खोखर पुत्र भंवर लाल खोखर को पट्टा जारी कर दिया। नगर परिषद के भू अभिलेख निरीक्षक ने 6 जुलाई 2023 को अपनी जांच में इस तथ्य की पुष्टि की है।

अग्रसेन नगर निवासी बालमुकुंद अग्रवाल ने 16 नवम्बर 2022 को मदनगंज थाने में अपने हक की जमीन पर किसी अन्य को कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नगर परिषद की ओर से पट्टा वितरण करने की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद नगर परिषद ने पट्टा पत्रावली की जांच करवाई तो फर्जी तरीके से पट्टा हथियाने की चाल खुल गई।

नगर परिषद ने 21 जून 2023 को लक्ष्मण खोखर के नाम से जारी पट्टा तो निरस्त कर दिया हैं, लेकिन मामले में दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों व गलत तरीके से पट्टा हथियाने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

खसरा नंबर 382 किशनगढ़ बी में है। इसी में 382/1 हिस्सा बताकर लक्ष्मण खोखर ने गलत तथ्य प्रस्तुत कर नगर परिषद से पट्टा ले लिया। परिषद स्तर पर हुई जांच में माना गया है कि पुखराज पुत्र बोदूराम छीपा, भंवर लाल पुत्र अर्जुन जाट, पवन कुमार पुत्र मानमन जैन, महेशचंद पुत्र रामगोपाल मालू जरिए अधिकृत अभिकर्ता पूरण सिंह पुत्र शंकर सिंह राजावत ने खसरा नम्बर 382/1 में आवेदन प्रस्तुत किया था। इसके बाद अधिकृत अभिकर्ता पूरण सिंह पुत्र शंकर सिह राजावत ने प्रोविजनल भू-आवंटन पत्र और कब्जा प्रलेख पत्र लक्ष्मण खोखर पुत्र भंवर लाल खोखर को आवंटन किया था।

जांच में सामने आया कि पुखराज पुत्र बोदूराम छींपा, भंवर लाल पुत्र अर्जुन जाट, पवन कुमार पुत्र मानमन जैन, महेश चंद पुत्र राम गोपाल मालू जरिए अधिकृत अभिकर्ता पूरण सिंह शंकर सिंह राजावत द्वारा गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए। खसरा संख्या 382 के भूखंड संख्या डी-41 के पूर्व में जारी पट्टा शुदा भूखंड के फोटो एवं गूगल लोकेशन पत्रावली में संलग्न की गई। मौका भी दिखाया गया। खसरा संख्या 382 के संबंध में कोई रिकार्ड प्रस्तुत नहीं किया गया। बड़ा सवाल ये है कि धोखाधड़ी कर फर्जी तरीके से पट्टा हासिल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तक नहीं की गई।