नेटथियेट कार्यक्रम की श्रृंखला में आज कलंदर संस्था द्वारा प्रसिद्ध गीतकार गुलज़ार की कहानी पर आधारित नाटक रावी पार में अभिनेताओं ने अपने अभिनय से विभाजन की त्रासदी को सशक्त रूप से दर्शाया l
नेट थियेट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया की नाटक का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी रूचि भार्गव ने किया l रावी पार नाटक में टूटने का सदमा, छूटने का दर्द, बिछड़ने की टीस, विभाजन की घुटन , बिखरने की पीड़ा और वेदना कुरेद देती है, आज भी विभाजन की पीड़ा प्रत्येक हिंदुस्तानी को निचोड़ कर रख देती है l कहानी दर्शन सिंह के परिवार की है, जो पाकिस्तान में दंगे भड़कने के कारण हिन्दुस्तान आ जाता है, इस यात्रा में एक बच्चा बीमार होने के कारण खत्म हो जाता है, बीवी को पता न चले इस लिए जल्दीबाज़ी में ज़िंदा बच्चे को रावी नदी में फेंक देता है l गुलज़ार की कहानी रावी पार एक बार उसी दौर में ले जाएगी और शायद सोचने पर मजबूर कर देगी l
नाटक में तितिक्षु राज, प्रियांशु पारीक, ऋचा शर्मा, देवेश शर्मा,गौरव राठौर, भव्य जैन, कृतिका दिवाकर, वैभव दीक्षित, भूपेंद्र परिहार, सुनीता चौधरी , सरगम भटनागर, दशरथ दान, दीक्षांक शर्मा, जयपाल चौधरी, कनिष्क शेखर, विशाल जागरवाल ने अपने अभिनय से विभाजन की त्रासदी को बड़ी ही संवेदनशीलता से प्रस्तुत कर दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी lकार्यक्रम संयोजक नवल डांगी और नाटक में प्रकाश व्यवस्था संभाली राजीव मिश्रा ने तथा संगीत दिया भानू ने l
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