उदयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान के भारतीय थल सेना आर्मी एविएशन के मेजर मुस्तफा बोहरा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा जाएगा। मेजर उदयपुर के रहने वाले हैं। मुस्तफा के शौर्य चक्र देने के ऐलान पर मां की आंखें भर आई और कहा कि मुस्तफा पर उन्हें फक्र है कि उसने राजस्थान का, मेवाड़ का नाम रोशन किया है। मां फातेमा बोहरा ने कहा कि शहीद होना एक शब्द नहीं है, यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

उन्होंने कहा कि जैसे ही राष्ट्रपति भवन से मुस्तफा को शौर्य चक्र के लिए नाम ऐलान हुआ तो हमे बड़ा गर्व हुआ। मुस्तफा को शुरू से ही अवार्ड लेने का बड़ा शौक था। वह मानता था कि जीवन में आगे तेजी से बढ़ना है और सक्सेस के अलावा और कोई गोल हो ही नहीं सकता।

मां फातेमा कहती है कि सच बात तो यह है कि ये वो हीरे हैं जो इस मां की कोख से जन्म लेते हैं। उनकी मां भी उन चीजों के लिए तैयार ही होती है। यह क्षण और वे चीजें हमेशा याद आती है। मां ने बताया कि मुस्तफा को अपनी जिंदगी में हमेशा तेजी से चलते हुए परिणाम लाने की ललक ही रहती थी। आज मरणोपरांत भी उसने अपने शब्द आई एम विनर को साबित कर दिखाया है। उसने हर कदम पर सब कुछ अच्छा करके ही बताया है।

मुस्तफा की बहन अल्फिया कहती है कि आज वो पल आंखों के सामने ही रहते है लेकिन भाई पर फ्रक है और यह पल तो ऐतिहासिक है। बहन कहती है कि मेरा भाई मेरा हीरो है, वो हर पल मेरे साथ रहता था।

अक्टूबर 2022 में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हुए मुस्तफा
उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के खेरोदा गांव में जन्मे मुस्तफा 21 अक्टूबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हो गए थे। मां फातेमा ने बताया कि उस दिन मेजर मुस्तफा एक मिशन के लिए अपने साथियों के साथ उड़ान भरी थी।

वे मिशन पूरा कर वापस लौट रहे थे तब हेलिकॉप्टर में आग लग गई थी। उस समय हेलिकॉप्टर को नीचे उतारा जा सकता था लेकिन नीचे मेकिंग नाम की जगह थी और वह आबादी क्षेत्र के साथ-साथ आर्मी का बेस था ऐसे में बड़ी जन हानि की तस्वीर मुस्तफा के सामने थी तो इसलिए वहां हेलिकॉप्टर नहीं उतारा और उसे जंगल की तरफ मोड़ दिया और यह हादसा हो गया।

​​​​​उदयपुर के सेंट पॉल स्कूल में पढ़े मुस्तफा
खेरोदा गांव के रहने वाले मुस्तफा का परिवार सालों से उदयपुर के हाथीपोल स्थित अजंता होटल की गली में रहने लगे। मुस्तफा ने प्राथमिक शिक्षा उदय शिक्षा मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय खेरोदा में ली। इसके बाद मुस्तफा ने उदयपुर के सेंट पॉल स्कूल में पढ़ाई की।

धर्म के प्रति मुस्तफा की निष्ठा अटूट थी
मां फातेमा ने बताया कि जब मुस्तफा का एनडीए में चयन हुआ तब वह धर्म गुरु सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन से आशीर्वाद लेकर उनकी आज्ञा से बढ़ा था। जब मुस्तफा शहीद हुआ तब भी बोहरा समाज के धर्मगुरु आलिकदर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने उदयपुर घर आकर उसे श्रद्धांजलि दी। मां बताती है कि उसका धर्म के प्रति निष्ठा अटूट थी। वह अपने प्रशिक्षण से लेकर ड्यूटी पर रहते हुए भी धर्म को उसने कभी नहीं छोड़ा। वे कहती है कि जब प्रशिक्षण होते थे तब भी वह रोजे करता था।