चित्तौड़गढ़ - गोपाल चतुर्वेदी 

राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अवकाश की घोषणा की वहीं दूसरी और चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर संचालित निजी विद्यालय संचालक सरकार के इन आदेशों को धता बताते हुए अपनी मनमर्जी से अपने ही नियम कानून से विद्यालय का संचालन करते हुए दिखाई दिए। दूसरी ओर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना होने के बाद भी उन्होंने इन निजी विद्यालय संचालकों पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की।


 जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर संचालित हो रहे निजी विद्यालयों के संचालक अपने विद्यालयों को सरकार के आदेशों से नहीं बल्कि अपने स्वयं के बनाए हुए नियम और कानूनों के हिसाब से संचालित कर रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश में समस्त सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में अवकाश घोषित किया लेकिन चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर संचालित हो रहे कुछ विद्यालय संचालक सरकार के आदेशों और नियमों को मानने को तैयार नहीं दिखे। जिसमें अवकाश घोषित होने के बावजूद भी मुख्यालय पर कई निजी विद्यालयों जिसमें नीरजा मोदी, सीकर एकेडमी सहित कई अन्य विद्यालयों में आम दिनों की तरह बच्चों की पढ़ाई जारी रखी। इसकी सूचना पर मीडिया की टीम इन विद्यालयों में पहुंची तो कैमरे में कैद हुई तस्वीरों में इन विद्यालयों में रोजाना की तरह बच्चों की पढ़ाई होती देखी गई और जब सीकर अकादमी विद्यालय संचालक से इस बारे में बात की गई उन्होंने बड़ी अकड़ अंदाज में कहां की मीडिया स्कूल में आकर ना बच्चों की पढ़ाई को खराब कर रहा है और हम सरकार के नियमों को नहीं मानते हम बच्चों के भविष्य का ध्यान रखते हुए यहां पर पढ़ाई करा रहे हैं। यहां पर जो बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं वह सभी हॉस्टल के बच्चे हैं और यहां पर उन्हें लंच के लिए लाया गया है जबकि सभी कक्षाओं में पढ़ाई निरंतर करवाई जा रही थी। दूसरी ओर जब इसकी सूचना शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी गई तो उन्होंने भी कार्यवाही करने में आनाकानी की। अब प्रश्न यह उठता है कि जब सरकार के नियमों को निजी विद्यालय संचालक नहीं मान रहे हैं और बेखौफ़ अपने ही बनाए हुए नियमों से विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। इन पर कार्य कार्यवाही करने की जिम्मेदारी भी शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की है और जब उच्च अधिकारी ही कार्रवाई करने से हाथ खींचने लगे तो इन विद्यालय संचालकों के हौसले और भी ज्यादा बुलंद होंगे। जिस तरह से वर्तमान परिस्थितियों में सरकार के आदेशों को धता बताकर अपनी मनमर्जी से विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। पहले भी देखा गया है कि कोरोना काल में भी कुछ विद्यालय संचालकों ने चोरी-छिपे कक्षाओं का संचालन किया था उस समय भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इन पर कार्रवाई नहीं की थी। उसी का नतीजा यह है कि आज यह निजी विद्यालय संचालको मे शिक्षा विभाग  और जिला प्रशासन के अधिकारियों का खौफ बिल्कुल समाप्त हो गया है।