ऊदबिलाव अर्धजलीय जीव होते हैं जो धरती और पानी दोनों में रहते हैं। ये जीव ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका को छोड़ कर सारी दुनिया में पाए जाते हैं और इनकी कई प्रजातियां होती हैं। इनमें से एक है छोटी हथेलीवाला ओरिएंटल ऊदबिलाव। यह जीव दक्षिण एशिया में प्रमुखता से पाया जाता है जो उत्तरी भारत से लेकर दक्षिणपूर्वी एशिया में फिलीपींस तक देखा जाता है। दक्षिण भारत में भी यह मौजूद होता है।

नदी, तालाब, पोखर आदि के किनारे सूरज की हल्की धूप को सेकते, आपस में मस्ती करते या फिर एक दूसरे से रस्साकस्सी करते ऊदबिलाव काफी सुहाने लगते हैं। गीली मिट्टी में लोटते पलटते ये बिलाव काफी सामाजिक प्राणी होते हैं जो 10-12 के समूह में रहते हैं। इनके आगे के पंजे हाथों जैसे होते हैं जिनसे ये अपने शिकार को पकड़ते हैं जैसे इंसान पकड़ता है। इनके शिकार छोटी मछलियां, घोंघे, केकड़े और सीपी होते हैं। कभी कभी ऊदबिलाव मेंढक को भी पकड़ने में सफल हो जाते हैं।

ऊदबिलाव एक परिवार की तरह जीवन जीते हैं। नर और मादा का जोड़ा पूरी उम्र साथ रहता है। दोनों की संतानें जन्म के समय अंधी होती हैं। कोई 45 दिन बाद बच्चे देखना शुरू करते हैं और तीन महीने तक भोजन तलाशने के लिए सक्षम नहीं होते हैं। ऐसे में पिता भोजन इकट्ठा करके लाता है जिससे माता और बच्चों का भरण पोषण हो सके। नर ऊदबिलाव अपने घर का मनुष्य की तरह रख रखाव करता है। परंतु हर तरफ से फैलती इंसानी आबादी ऊदबिलाव के लिए बड़ा खतरा बन रही है। दूसरी तरफ प्रदूषण के कारण वे जीव भी कम होते जा रहे हैं जो ऊदबिलाव का भोजन हैं। कुछ जानकार लोगों का मानना है कि निकट भविष्य में ऊदबिलाव के अस्तित्व को भी मनुष्य से बड़ा खतरा होने वाला है। ऊदबिलाव धान के खेतों में भी रहते हैं और अपने शिकार की तताश में कई जगह से धरती को खोद कर फसल के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इन हालातों के कारण मनुष्य भी उन्हें मार डालता है।