बीजेपी की राजस्थान में परिवर्तन यात्राओं से एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे धार्मिक यात्रा पर जा रही हैं। राजे का शुक्रवार (1 सितंबर) काे एक दिन का देव दर्शन का प्लान है। राजे देव दर्शन की शुरुआत राजसमंद जिले में स्थिति चारभुजा मंदिर से करने जा रही है। इसी मंदिर से राजे ने साल 2013 और 2018 में भी यात्रा की शुरुआत की थी।
परिवर्तन यात्रा से पहले अचानक एक दिवसीय देव दर्शन का कार्यक्रम घोषित करके राजे ने एक बार फिर से सियासी चर्चाओं को जन्म दे दिया है। 2 सितंबर को पूर्व सीएम सवाई माधोपुर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर से शुरू होने वाली पहली परिवर्तन यात्रा में शामिल होगी या नहीं। इसका कोई कार्यक्रम अभी तक जारी नहीं हुआ है।
राजे चारभुजा, नाथद्वारा और त्रिपुरा सुंदरी के करेंगी दर्शन
वसुंधरा राजे शुक्रवार सुबह जयपुर से हेलिकॉप्टर से रवाना होकर सीधे राजसमंद जिले में स्थिति चारभुजा मंदिर पहुंचेगी। यहां दर्शन के बाद राजे हेलिकॉप्टर से नाथद्वारा पहुंचेंगी। नाथद्वारा दर्शन के बाद राजे सीधे बांसवाड़ा जिले में स्थित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर जाएंगी। राजे जब भी बांसवाड़ा जाती है। त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन जरूर करती हैं।
राजे की देव दर्शन यात्रा के सियासी मायने
इस बार भाजपा की ओर से निकाली जा रही चार परिवर्तन यात्राओं में राजे पार्टी का चेहरा नहीं है। ऐसे में परिवर्तन यात्रा से ठीक एक दिन पहले राजे के देव दर्शन कार्यक्रम के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। एक दिवसीय धार्मिक यात्रा में राजे एक जगह पर डेढ़ से दो घंटे ही रुकेंगी। इस दौरान बड़ी संख्या में उनके समर्थक जुट सकते हैं।
वसुंधरा का धार्मिक स्थानों से शुरू से लगाव रहा है, लेकिन उनकी कभी भी कट्टर हिंदूवादी छवि नहीं रही। इस बार परिवर्तन यात्रा से पहले राजे की देव दर्शन यात्रा को उनके प्रदेश में खुद को हिंदूवादी चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने के रूप में भी देखा जा रहा है।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को सीधी चुनौती
दरअसल, जब प्रदेश में परिवर्तन यात्राओं के कार्यक्रम फाइनल हो रहे थे। तब चर्चा थी कि राजे को सवाईमाधोपुर से शुरू होने वाली पहली परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी दी जा रही है। वहीं, डूंगरपुर के बेणेश्वरधाम से शुरू हो रही दूसरी यात्रा की कमान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के हाथ में रहेगी।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार राजे दूसरी परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी चाहती थी। इसी यात्रा के रूट में उनका निर्वाचन क्षेत्र झालावाड़ शामिल है। वहीं, पूर्वी राजस्थान में ईआरसीपी के मुद्दे के कारण बीजेपी की स्थिति भी अच्छी नहीं है। राजे का मानना था कि यह स्थिति केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के कारण हुई है। ऐसे में वो क्यूं इस यात्रा की जिम्मेदारी अपने ऊपर लें।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष भी बेणेश्वरधाम से शुरू होने वाली दूसरी परिवर्तन यात्रा की कमान अपने पास रखना चाहते थे। ऐसे में 1 सितंबर को राजे जिन-जिन जगहों पर जाएगी, वो सभी जगह दूसरी परिवर्तन यात्रा के रूट में आती है। यहां कम समय में ज्यादा भीड़ एकत्र करके राजे एक तरह से सीधे तौर पर सीपी जोशी को चुनौती देती हुई नजर आएंगी। क्योंकि मेवाड़ मूलत प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी का क्षेत्र माना जाता है।
राजे प्रदेश में निकाल चुकी हैं तीन यात्राएं
- पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अब तक राजस्थान में तीन यात्राएं निकाल चुकी हैं। वहीं, चार से पांच बार देव दर्शन यात्रा भी कर चुकी हैं। पहली बार राजे ने साल 2002 में यात्रा निकाली थी। इस यात्रा को परिवर्तन यात्रा का नाम दिया गया था। राजे की यह सबसे लंबी यात्रा थी। इस यात्रा में राजे ने एक साल में 200 विधानसभा सीटों को कवर किया था। वहीं, पहली बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं थी।
- दूसरी यात्रा राजे ने साल 2013 में निकाली थी। इसे सुराज संकल्प यात्रा का नाम दिया गया था। यह यात्रा चारभुजा मंदिर से ही शुरू हुई थी। यह यात्रा प्रदेश की सभी 200 सीटों पर गई। दिसंबर-2013 में भाजपा ने राजस्थान में रिकॉर्ड बहुमत (163 सीट) हासिल किया। इसके बाद भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 2014 में सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की।
- तीसरी यात्रा राजे ने मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2018 में निकाली थीं। यह यात्रा भी चार भुजा मंदिर से ही शुरू हुई थी। इस यात्रा को गौरव यात्रा का नाम दिया गया था। 2018 के चुनावों में बीजेपी की हार हुई थी। वहीं, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
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