भरतपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

भरतपुर में सोमवार को जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह से एक दिवंगत जवान के माता-पिता को बेइज्जत कर निकाल दिया गया। उन्हें उस जगह नहीं बैठने दिया गया जहां शहीदों की वीरांगनाएं और परिवार बैठा था। माता पिता बेटे की वीरांगना पत्नी के नाम से मिले निमंत्रण कार्ड को लेकर यहां पहुंचे थे। अधिकारियों ने उन्हें वीरांगनाओं के साथ नहीं बैठने दिया और कहा कि आपका बेटा शहीद नहीं हुआ था। इस पर माता पिता फूट-फूटकर रोए और समारोह से लौट आए।

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आतंकी हमले में शहीद हुए थे सौरभ कटारा

भरतपुर के रूपवास क्षेत्र के बरौली ब्राह्मण गांव के निवासी सौरभ कटारा की शादी 8 दिसंबर 2019 को पूनम से हुई थी। शादी के बाद सौरभ ड्यूटी पर लौट गए। वे आर्मी 200 फील्ड रेजिमेंट में तैनात थे। उनकी पोस्टिंग कुपवाड़ा (जम्मू कश्मीर) में थी। 23 दिसंबर 2019 को वे अपने एक साथी के साथ पेट्रोलिंग कर रहे थे। इस दौरान आतंकियों ने उनकी कार पर हमला कर दिया था। 24 दिसंबर 2019 को उपचार के दौरान सेना के अस्पताल में वे शहीद हो गए। शादी के महज 17 दिन बाद ही सौरभ कटारा ने देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिए थे।

शहीद सौरभ के पूर्व सैनिक पिता, माता और वीरांगना पूनम तब से शहादत के सम्मान के लिए सरकार और मंत्रालय के चक्कर काट रहे हैं। सौरभ को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। सौरभ के पिता नरेश कटारा ने बताया- रक्षा मंत्रालय का कहना है कि आपका बेटा गोली से नहीं मरा, ब्लास्ट में मरा था। इसलिए उसे शहीद नहीं माना जा सकता। न शहीद को मिलने वाली सहायता दी जा सकती है।

सौरभ को शहीद का दर्जा नहीं मिलने से वीरांगना पूनम को भी कोई मदद नहीं मिली। नरेश कटारा ने कहा- देश के लिए बेटा बलिदान कर दिया। इसके बाद भी उसे शहीद का सम्मान नहीं मिला। दिल्ली जाकर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के चक्कर काटे। लेकिन कुछ नहीं हुआ। चार साल के बाद भी सौरभ का शहीद स्मारक नहीं बना है। परेशान होकर 2022 में सौरभ के माता-पिता ने कोर्ट में केस कर दिया।

15 अगस्त को क्यों रोए सौरभ के माता पिता

नरेश कटारा ने बताया- बहू पूनम के नाम स्वतंत्रता दिवस का इनविटेशन 11 अगस्त को मिला था। यह वीरांगनाओं और शहीद के परिवारजन को दिया जाता है। यही कार्ड लेकर हम भरतपुर जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह अटैंड करने पुलिस परेड ग्राउंड पहुंचे थे। वीरांगनाओं और शहीदों के परिजनों का सम्मान होना था।

23 दिसंबर 2019 को कुपवाड़ा में शहीद हुए बेटे की पत्नी पूनम को वीरांगना सम्मान देने के लिए ही प्रशासन ने न्योता भेजा था। बहू पूनम की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए वह आयोजन में नहीं जा सकी। मैं और सौरभ की मां अनिता शर्मा कार्ड लेकर समारोह में पहुंचे और सौरभ की मां को वीरांगनाओं के लिए लगाई गई कुर्सियों पर बैठा दिया।

वहां मौजूद सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारी ने मेरी पत्नी व शहीद की मां अनिता को वहां से यह कहते हुए उठा दिया कि यह आपका क्षेत्र अधिकार नहीं है। सौरभ कटारा शहीद के दर्जे में नहीं आता। वह आतंकियों की गोली से नहीं मरा।

इतना सुनकर मां की आंखें भर आईं। वह फूट-फूटकर रोई। मैंने अधिकारी को इनविटेशन कार्ड भी दिखाया लेकिन अधिकारी ने हमारी एक भी न सुनी और वहां से हटा दिया। रोते-रोते उस समारोह से हम दोनों अपने घर आ गए। शहीद बेटे के सम्मान के लिए आयोजन में गए थे लेकिन हमें बेइज्जत करके वहां से निकाल दिया गया। स्वतंत्रता दिवस पर बड़ी बड़ी बातें और कोरी भाषणबाजी की जाती है। शहीदों को कोई सम्मान नहीं है।