चित्तौड़गढ़ - गोपाल चतुर्वेदी
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को लेकर समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलो से जुड़े नेता और ग्रामवासी अपनी अपनी मांगों को लेकर जिंक प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन और आंदोलन करते रहे हैं,  ऐसा ही एक प्रदर्शन कुछ कांग्रेस समर्थित नेताओं ने आधा दर्जन ग्रामीणों के साथ मिलकर हिन्दुस्तान जिंक द्वारा घोसुण्डा बांध निर्माण से प्रभावित परिवारों - किसानों को मुआवजा राशि दिलाए जाने को लेकर किया जिसमें जिला कलेक्टर को दिए ज्ञापन में अगर मुआवजा राशि नहीं दी गई  तो विरोध स्वरूप आन्दोलन की राह पकड़े जाने की भी धमकी दी।
इसके बारे मे महावीर सिंह डेलवास ने बताया की चित्तौड़गढ़ विधानसभा के अन्तर्गत हिन्दुस्तान जिंक (वेदान्ता) को पानी की आपूर्ति हेतु घोसुण्डा बांध का निर्माण राज्य सरकार व हिन्दुस्तान जिंक में आपसी समझौते के तहत किया गया पूर्व में सुखवाड़ा, पंचदेवला, सरलाई, होडा, सतपुड़ा, जवानपुरा, पीपली गुजरान, मोहम्मदपुरा, रूपाखेड़ी, कंथारिया, सागवाडिया, दोतडी, हजुरपुरा, नाहरगढ, जेतपुरा खुर्द, हाज्यिाखेड़ी, डेलवास आदि गांवों का पुर्नवास किया गया उसके तहत मुआवजा दिया जाना तय किया गया,  किन्तु आज दिनांक तक हिन्दुस्तान जिंक द्वारा न तो मुआवजा दिया गया और न हि कोई आधारभूत विकास कार्य कराये गये।
होड़ा सुखवाड़ा व अन्य ग्रामवासियों द्वारा बरसों से लगातार ज्ञापन, समझौता पत्र व धरना प्रदर्शन कर हिन्दुस्तान जिंक से मुआवजा राशि दिये जाने की मांग करते आ रहे है किन्तु प्रशासनिक दखल के पश्चात भी हिन्दुस्तान जिंक द्वारा यथोचित कार्यवाही नही की जा रही है जिससे ग्रामवासियों में भारी रोष व्याप्त हैं।
उन्होंने बताया घोसुण्डा बांध की भराव क्षमता 424.20 एम.आर.एल. किये जाने के प्रस्ताव के कारण संबंधित ग्रामवासी व काश्तकार न तो भू-उपभोग कर पा रहे है और न ही रूपान्तरण कार्यवाही हो पा रही है इससे स्थानीय लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
इस संबंध में मार्च 2023 में तत्कालीन जिला कलेक्टर की मध्यस्था में लिखित समझौता किया गया एवं 502 विस्थापित ग्राम होड़ा के परिवारों को मुआवजा दिये जाने की सहमति जिंक प्रशासन द्वारा दी गई, किन्तु आज दिनांक तक किसी प्रकार की कोई ठोस कार्यवाही नही हुई है जिससे आम लोगो में भारी असंतोष व्याप्त है।
उन्होंने बताया की परिस्थितियों में स्थानीय लोगो का धैर्य जवाब दे रहा है अब 424.20 के तहत भूति अवाप्ति का निर्माण शीघ्र नही होने व रोजगार नही दिये जाने व आधारभूत विकास कार्यो के नही करने की वादा खिलाफी के विरोध में ग्रामवासियों द्वारा 10 दिन पश्चात घोसुण्डा बांध का पानी बन्द किया जाएगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी हिन्दुस्तान जिंक व स्थानीय प्रशासन की होगी।