जिले की गंगरार उपखंड में संचालित हो रहे मेवाड़ यूनिवर्सिटी एक बार फिर से विवादों के घेरे में दिखाई दे रही है। जिसमें बीती रात यूनिवर्सिटी परिसर में कश्मीरी छात्रों और स्थानीय छात्रों के बीच जमकर पत्थरबाजी और चाकू बाजी की घटना हुई जिसमें करीब आधा दर्जन छात्रों को चोट लगने की सूचना है। जिसमें आयुष शर्मा की हालत गंभीर होने के चलते उसे उपचार के लिए उदयपुर रेफर किया गया। इसी कैंपस में इस घटना के दौरान कश्मीरी छात्रों ने विवादित नारे भी लगाए। इस घटना की सूचना मिलने के बाद गंगरार थाना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों ही पक्षों की ओर से परस्पर प्रकरण दर्ज कराए गए हैं।
मेवाड़ यूनिवर्सिटी में बीती रात मैस में खाने की मामूली से बात को लेकर हुए विवाद ने उस समय बड़ा रूप धारण कर लिया जब कश्मीरी छात्र और स्थानीय छात्र गुट बना कर आमने-सामने हो गए। जिसमें कश्मीरी छात्रों की ओर से चाकू और डंडों का प्रयोग करते हुए स्थानीय छात्रों पर हमला किया गया जिसमें करीब आधा दर्जन छात्रों को चोट लगने की सूचना है। जिसमें से गंभीर हालत में आयुष शर्मा और कृष्ण पाल शर्मा को स्थिति गंभीर होने के चलते जिला चिकित्सालय में उपचार के लिए भेजा गया। जहां से आयुष शर्मा की हाथ की नसें कट जाने के कारण स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सको ने उसे उपचार के लिए उदयपुर रेफर कर दिया। वहीं अन्य छात्रों का उपचार मेवाड़ यूनिवर्सिटी में स्थित अस्पताल में जारी है। इस घटना के दौरान कश्मीरी छात्रों ने अल्लाह हू अकबर के नारे भी लगाए और पत्थरबाजी की जिसमें यूनिवर्सिटी परिसर में बने मंदिर को क्षति पहुंची है। इस घटना की सूचना मिलने के बाद गंगरार थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची और मामले की जानकारी ले कर सीसीटीवी खंगाले।पुलिस के सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी मे दोनों ही पक्षों की ओर से प्रकरण दर्ज कराए गए हैं जिस पर जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि मेवाड़ यूनिवर्सिटी और विवादों का पुराना नाता है। जिसमें यूनिवर्सिटी परिसर में कई छात्रों ने आत्महत्या भी की है। इसी परिसर में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी पहले सुने गए हैं लेकिन प्रशासन की ओर से यूनिवर्सिटी प्रशासन के ऊपर कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं किया जाना कहीं ना कहीं सवालिया निशान खड़े करता है। उसी के चलते इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति लगातार देखी जा रही है। अब देखना यह है कि जिला और पुलिस प्रशासन बीती रात हुई इस घटना पर किस तरह की कार्रवाई करते हैं या फिर एक बार फिर से लीपा पोती करके प्रकरण को बंद किया जाता है।
0 टिप्पणियाँ