भंवरी हत्याकांड के आरोपी कुख्यात गैंगस्टर विशनाराम का जोधपुर जेल से एक वीडियो सामने आया है। टीशर्ट और लोअर में जेल में बैठे विशनाराम के पैर पर प्लास्टर बंधा है। हाथ जोड़कर वह कह रहा है- 15 साल मैंने बदमाशी की, टीलों में भटका, दुख पाया, अब सभी से अपील है कि कोई दादागिरी न करे, दादागिरी छोड़ने में ही भलाई है।
अपराध की दुनिया रहकर दशहत फैलाने वाला और 0029 गैंग का सरगना विशनाराम वीडियो में अपने कर्मों के लिए हाथ जोडकर माफी मांगते दिख रहा है। पुलिस ने उसे 19 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इसके बाद अब उसका वीडियो सामने आया है। विशनाराम के खिलाफ अलग-अलग थानों में 68 मामले दर्ज हैं।
वीडियो में यह बोला विशनाराम
वीडियो में विशनाराम बोला- मैंने कई साल दादागिरी और बदमाशी की। बदमाशी कर मैने मेरी जिंदगी खराब कर ली। मैंने 15 साल तक दादागिरी और बदमाशी की। इस दौरान मैं बहुत परेशान हुआ। 2 साल तक धोरों (रेत के टीले) में रहना पड़ा। खूब परेशान हुआ। कोई भी युवक, भाई, बहन दादागिरी नहीं करें। इस दुनिया से बाहर रहे। दादागिरी का अंत बहुत खराब है। आखिर में पुलिस की शरण में आना ही पड़ेगा। इसलिए दादागिरी छोड़ बाहर निकलें, इसी में भलाई है।
बता दें कि विशनाराम पर जोधपुर पुलिस ने 1 लाख का इनाम घोषित किया था। इसे पिछले शनिवार (19 अगस्त) को ग्रामीण एसपी धर्मेंद्र यादव और फलोदी एसपी विनीत बंसल के नेतृत्व में कार्रवाई के दौरान पकड़ा था। विशनाराम जांगू जलोदा गांव से पीलवा की तरफ जा रहा था इस दौरान उसे घेराबंदी कर पकड़ लिया गया। इस बार उसके बाएं पैर में चोट लगी थी।
भंवरी देवी हत्याकांड में 2021 में जेल से बाहर आने के बाद से विशनाराम 2 साल से फरार था। जेल से बाहर आने के बाद उसने 0029 नाम से बदमाशों की गैंग बनाई थी। इसमें बदमाशों को जोड़कर तस्करी का काम करता था। इसके अलावा गांव में समाज सेवा के कामों में भी सक्रिय था। इससे उसका लोकल सूचना तंत्र विकसित हो गया था। इसी के चलते पुलिस जब भी उसे पकड़ने के लिए दबिश देती तो वह फरार हो जाता था।
विशनाराम की गैंग एमडी, अफीम, डोडा-पोस्त की तस्करी में सक्रिय थी। गैंग ने जोधपुर, फलोदी, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, सांचौर, जालोर, नागौर सहित 10 जिलों में अफीम और एमडी सप्लाई का नेटवर्क बना रखा था। इसी ड्रग्स का इस्तेमाल विशनाराम ने नाबालिगों को अपनी गैंग में शामिल करने में लिया। युवाओं को ड्रग्स का एडिक्ट बनाया। फिर वे सिर्फ ड्रग के लिए गैंग में काम करते थे।
19 अगस्त को पकड़ में आया था बदमाश
गैंगस्टर विशनाराम जांगू को 19 अगस्त की रात लोहावट थाना क्षेत्र के दयाकोर गांव से गिरफ्तार किया गया था। जोधपुर पुलिस ने 11 अगस्त को उस पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। फलोदी और जोधपुर ग्रामीण पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर उसे दबोचा था।
हर बार धूल झोंकी, इस बार मुखबिर तंत्र से पकड़ा
विशनाराम को पहले भी पुलिस ने तीन बार पकड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार वह पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर फरार हो जाता। डीएसपी की टीम ने अपने मुखबिर तंत्र को इतना एक्टिव कर दिया था कि पिछले कुछ दिनों से उसकी हर एक्टिविटी को ट्रैस किया जा रहा था।
19 अगस्त को सूचना मिली कि विशनाराम अपने गांव जालोड़ा (जोधपुर) आया हुआ है। थोड़ी देर बाद ही वह किसी मंदिर में दर्शन करने के लिए पीलवा गांव के लिए रवाना हो गया। पुलिस ने रास्ते में दयाकोर गांव के पास दोनों तरफ से घेराबंदी कर उसकी स्काॅर्पियो को टक्कर मार कर उसे रोक लिया।
विशनाराम फिर से उसी तरह से भागने का प्रयास करने लगा। इस दौरान वह पत्थरों में गिर गया। उसके दोनों पैर में चोट आई। पुलिस ने उसे दबोच लिया। उसे लोहावट अस्पताल लाया गया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद एमडीएम अस्पताल रेफर कर दिया।
फलोदी एसपी विनीत बंसल, एएसपी सौरभ तिवाड़ी भी लोहावट पहुंचे। लोहावट डीवाईएसपी शंकर मेघवाल, सीआई बद्रीप्रसाद मीणा और स्पेशल टीम के अमानाराम भी मौजूद रहे।
इससे पहले वह लोहावट, बाप और शेरगढ़ में भी पुलिस को चकमा देकर फरार हो चुका था।
विशनाराम और राजू मांजू की गैंग में दुश्मनी
विशनाराम 0029 गैंग चलाता है, जबकि कुख्यात राजू मांजू की 007 गैंग से उसकी दुश्मनी है। विशनाराम के जमानत पर बाहर आने के बाद लोहावट में एक शादी समारोह में दोनों गैंग आपस में भिड़ गई थीं। इसके बाद से ही पुलिस को लगातार गैंगवार होने का अंदेशा था।
भंवरी हत्याकांड में विशनाराम की सबूत मिटाने में भूमिका
विशनाराम सबसे पहले भंवरी देवी हत्याकांड से चर्चा में आया था। उस वक्त वह लोहावट का हिस्ट्रीशीटर था। पुलिस की छानबीन में सामने आया था कि भंवरी देवी के शव को उसी ने ठिकाने लगाया था। उसी ने शव को जलाकर उसकी राख और हड्डियों को राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल में बहा दिया था। पुलिस ने 2010 में उसे अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार किया था। इस मामले में महिपाल मदेरणा, मलखान सिंह समेत 17 लोग 10 साल की जेल काट चुके हैं। 2021 में आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।
2010 में आरोपी विशनाराम और कैलाश जाखड़ भंवरी देवी हत्याकांड में पेशी पर आए थे। इस दौरान विशनाराम ने कोर्ट से भागने के लिए गैंग से फायरिंग कराई थी। हालांकि वह सफल नहीं हो सका था। कैलाश जाखड़ मौके से भाग निकला था।
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